पोस्ट तैयारकर्ता
श्री श्याम सुंदर भांभू सूरपुरा
वरिष्ठ सहायक
राउमावि सूरपुरा
ब्लॉक- नोखा जिला बीकानर
अवकाश अधिकार नहीं है – RSR खंड प्रथम के नियम 59 के अनुसार अवकाश को अधिकार के रूप में नहीं मांगा जा सकता है । अवकाश स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी को यह विवेक होगा कि वह जन सेवाओं के हित में अवकाश स्वीकृत करने से मना कर दे अथवा स्वीकृत अवकाश को किसी भी समय खंडित कर दें । अन्य प्रमुख नियम निम्न प्रकार है ।
- स्वीकृति प्राधिकारी के विवेक पर कर्मचारी द्वारा आवेदित एवं देय अवकाश की प्रकृति नहीं बदली जा सकती है ।
- यदि किन्हीं कारणों से प्राधिकारी को लगे या विश्वास हो जाए कि कर्मचारी अवकाश संबंधी नियमों अथवा उनके आशयों का गलत तरीके से लाभ उठाने की चेष्टा की जा रही है तो इस नियम के अन्तर्गत अपने विवेकाधिकार का उपयोग कर उसके अवकाश को अस्वीकृत कर सकता है ।
- नियम -59 के निर्णय संख्या 3 के अनुसार कोई भी कार्मिक स्वीकृत अवकाश की प्रकृति को परिवर्तित करवा सकता है शर्त यह है कि आवेदित अवकाश शेष एवं देय होना चाहिए तथा अवकाश प्रकृति को परिवर्तन करवाने का प्रार्थना पत्र तीन माह से पहले दिया जाना चाहे । जैसे किसी कार्मिक ने 10 दिन का अर्द्ध वेतन अवकाश लिया और तीन माह की अवधि में उसने अवकाश कि प्रकृति उपार्जित अवकाश में परिवर्तित करवाने का आवेदन किया जो आवेदित अवधि में शेष था तो उसकी प्रकृति को बदला जा सकेगा ।
- प्रत्येक कर्मचारी को अवकाश आवेदन पत्र में अपना पता लिखना चाहिए , अवकाश अवधि में पते में परिवर्तन हो तो उसकी तुरंत सूचना दी जानी चाहिए । (नियम 60 ए)
- अवकाश पर प्रस्थान से पूर्व आने वाले सार्वजनिक अवकाश या एक से अधिक सार्वजनिक अवकाश हो तो कर्मचारी उस पूर्व के दिन वाले कार्य दिवस की समाप्ति पर अपना कार्यालय छोड़ सकता है अथवा बाद में पड़ने वाले सार्वजनिक अवकाश की समाप्ति पर लौट सकता है किन्तु शर्त यह है कि उसके स्थानांतरण या कार्यभार संभालने में स्थायी अग्रिम राशि अतिरिक्त प्रतिभूतियों या धन राशि का संभालना सम्मिलित नहीं है । नियम 61 एवं 63
- अवकाश से वापिस बुलाना- किसी राज्य कर्मचारी को उसके अवकाश की अवधि समाप्त होने के पूर्व ही सेवा पर वापिस बुलाने के आदेशों में यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि क्या अवकाश पर से सेवा में वापिस आना स्वेच्छिक है अथवा आवश्यक है । यदि वापिस आना स्वेच्छिक हो तो राज्य कर्मचारी किसी सुविधा का अधिकारी नहीं है । यदि यह वापिस आना आवश्यक हो तो वह उस दिनांक से सेवा पर उपस्थित माने जाने का अधिकारी है जिसको वह उस स्थान के लिए प्रस्थान करता है जिस पर पहुँचने के लिए आदेश दिया गया है तथा यात्रा भत्ता नियमों के अन्तर्गत वह यात्रा भत्ता प्राप्त करने का अधिकारी है , किन्तु जब तक वह अपना पदभार ग्रहण नहीं करता है , तब तक वह अवकाश वेतन पर ही रहेगा । नियम 66
- अवकाश या अवकाश वृद्धि के लिए आवेदन – पत्र उसी प्राधिकारी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए जो अवकाश या उसमें वृद्धि को स्वीकृत कर सकता हो । नियम -67
- किसी भी प्रकार के अवकाश को किसी भी अन्य अवकाश जो सेवा नियम 7(15) में वर्णित है के साथ या उसकी निरंतरता में स्वीकृत किया जा सकता है । नियम – 88
- आकस्मिक अवकाश को अवकाशों की श्रेणी में नहीं रखा गया है अतः आकस्मिक अवकाश अन्य अवकाश के साथ या उसकी निरंतरता में स्वीकृत नहीं किया जा सकेगा । RSR खंड द्वितीय परिशिष्ट 1.3
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