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IT Quarterly Return Mismatch

Dinesh Kumar Vaishnav

श्री दिनेश कुमार वैष्णव, व. सहायक
CBEO अराई जिला अजमेर
IT Quarterly Return mismatch

रोजाना एक प्रश्न- क्रमांक 378

त्रैमासिक विवरण में चार्टर्ड अकाउटेंट द्वारा आयकर राशि मिसमैच बताने पर समाधान

आप जब भी अपनी आयकर त्रैमासिक विवरणी चार्टेड अकाउंटेंट को दे उससे पहले अपना आयकर निम्न स्टेप से चेक करें। जब आप आयकर मैच करके सन्तुष्ट हो जाए तभी आप अपनी इनकम टैक्स क्वार्टरली CA के यहाँ पर सबमिट करें।

  • Google पर Bin view सर्च करे।
  • TAN नम्बर की पूर्ति करे।
  • Nature of payment में TDS-Salary-Form 24Q सेलेक्ट करे।
  • AIN में accounts office identification Number भरे, Google पर AIN number of treasury rajasthan सर्च कर लेवे। अजमेर के AIN नम्बर 1014016 है।
  • Month of 24G filled में From में month व year select करे, To में भी Month व Year select करे।
  • कैप्चा में पूर्ति करे।
  • अंत मे Bin view details पर क्लिक करे।
  • इसके बाद 10 कॉलम का Book Identification Number (Bin) details खुलेगी जिसे आपको माहवार आयकर की कुल कटौती Amount वाले कॉलम में मैन्युअली भरनी है।
  • इसके बाद आप चेक बॉक्स पर टिक करके verify amount पर क्लिक करे।
  • अंतिम कॉलम वेरिफिकेशन अलर्ट में आपको Amount matched का सन्देश प्राप्त होने पर आप यह मान सकते हैं कि आपके द्वारा भेजी गई क्वार्टरली बिल्कुल OK है। अगर Mismatch in Amount का मैसेज मिलता हैं तो आप पुनः आयकर कटौती चेक करें।

Income Tax Section 80D

पोस्ट तैयारकर्ता
C P Kurmi
चन्द्र प्रकाश कुर्मी, प्राध्यापक भौतिकी
राउमावि. टोडारायसिंह (टोंक)
cpkurmi@gmail.com

Income tax Section 80GG

रोजाना एक प्रश्न – क्रमांक 340

Income tax Section 80D

मेडिक्लेम पालिसी/ स्वास्थ्य बीमा पिछले एक दशक में लोकप्रिय हो रही हैं। यह किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य समस्याओं के मामले में बीमाधारक/ निवेशक को चिकित्सा कवर प्रदान करता है। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियाँ आपात स्थिति के मामले में किसी की बचत को बचाने में मदद करती हैं। व्यक्तियों को स्वास्थ्य नीतियों को लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार आपके और आपके परिवार या माता-पिता के लिए आपके द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम पर कुछ कर लाभ प्रदान करती है। आयकर अधिनियम की धारा 80डी प्रीमियम से संबंधित भुगतान और उससे जुड़े टैक्स लाभों के नियमों का पालन करती है।

धारा 80D के तहत कर लाभ का दावा कौन से मामलों में कर सकता है?

एक निवेशक स्वयं, परिवार (18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और माता-पिता) के लिए स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए दावा कर सकता है। भाई-बहनों या अन्य रिश्तेदारों की ओर से भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए कटौती उपलब्ध नहीं होती है। समूह बीमा प्रीमियम के लिए भी यह कटौती उपलब्ध नहीं है।

वह राशि जो धारा 80D में कर राहत के लिए दावा की सकती है |

  1. 60 वर्ष से कम आयु के निवेशक भुगतान किए गए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के मुकाबले अधिकतम 25,000 रुपये तक प्रति वर्ष का दावा कर सकते हैं| इसमें स्वयं, पति / पत्नी, आश्रित बच्चों के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम शामिल होता है।
    (अधिकतम दावा योग्य राशि 25000 रुपये)
  2. 60 वर्ष से कम आयु के निवेशक अपने माता-पिता (60 वर्ष से कम आयु) के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम की कटौती के रूप में अधिकतम 25000 रुपये तक का दावा भी कर सकता है।
    ( अधिकतम दावा योग्य राशि 25000 स्वयं + 25000 माता-पिता = 50000 रुपये)
  3. 60 वर्ष से कम आयु के निवेशक अपने माता-पिता(60 वर्ष से ऊपर) के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम की कटौती के रूप में अधिकतम 50000 रुपये तक का दावा भी कर सकता है।
    ( अधिकतम दावा योग्य राशि 25000 स्वयं + 50000 माता-पिता = 75000 रुपये)
  4. निवेशक स्वयं (60 वर्ष से ऊपर) तथा अपने माता-पिता (60 वर्ष से ऊपर) के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम की कटौती के रूप में अधिकतम 50000 रुपये तक का दावा भी कर सकता है।
    ( अधिकतम दावा योग्य राशि 50,000 स्वयं + 50,000 माता-पिता = 100,000 रुपये)

इन चारों स्थतियों में प्रतिवर्ष हेल्थ चेकअप के 5000 रूपये भी शामिल है | हेल्थ चेकअप कराओ या नहीं कराओ | केन्द्रीय कार्मिकों के लिए फाइनेंस एक्ट 2010 के आदेश क्रमांक F.No.142/1/2011-SO(TPL) Dated, 6th April, 2011 के बिंदु 15 के अनुसार CGHS Contribution को आयकर अधिनियम की धारा 80D में कर राहत के लिए शामिल किया गया है | जिसमे कटौती की अधिकतम सीमा वित्तीय वर्ष 2021-22के लिए 25,000 रुपये तक है।

यहां ध्यान देना महत्वपूर्ण है, कि यदि निवेशकों के माता-पिता की आयु 60 से ऊपर है, तब ऊपर बिंदु 2 के लिए सीमा 50,000 रुपये तक बढ़ जाती है। यदि स्वयं व्यक्ति की आयु 60 वर्ष से अधिक है, तो बिंदु 1 की सीमा भी 50,000 रुपए तक बढ़ जाती है।

अब हम कुछ उदाहरणों की मदद से उपरोक्त को समझने का प्रयास करेंगे

उदाहरण : A

मिस्टर X एक 31 वर्षीय व्यापारी है और अपने पति / पत्नी और 4 साल की बेटी के साथ रहता है। उनके साथ उनके माता-पिता भी हैं, जिनकी उम्र 58 और 56 वर्ष है। मिस्टर X अपने परिवार के लिए सालाना 20,000 रुपये का प्रीमियम चुकाता है। इसके अलावा, वह अपने माता-पिता के लिए 30,000 रुपये का वार्षिक स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम भी चुकाता है।

उपरोक्त मामले में, भले ही श्री X कुल 50,000 रुपये का प्रीमियम चुकाता है, वह केवल 80D के तहत 45,000 रुपये के लिए कर-बचत लाभों का दावा कर सकता है। वह अपने, पति / पत्नी और 4 साल की बेटी के लिए प्रीमियम 20,000 रुपये की संपूर्ण कटौती का दावा कर सकता है,किन्तु , उसके माता-पिता की आयु 60 वर्ष से कम है इसलिए, उसे केवल 25,000 रुपये का लाभ मिलेगा न कि 30,000 रुपये का ।

इसलिए, कुल कटौती धारा 80D में दावा 45,000 रुपये (20,000 + 25,000 रुपये ) होगा।

उदाहरण : B

मिस्टर Y एक वेतनभोगी 45 वर्षीय व्यक्ति है। वह अपनी पत्नी, 2 बच्चों और अपनी माँ जो 69 वर्ष की है। मिस्टर Y 28,000 रुपये का वार्षिक प्रीमियम (स्व + जीवनसाथी + 2 बच्चों के लिए) और 59,000 रुपये (माँ के लिए) चुकाता है।

उपरोक्त मामले में, भले ही मिस्टर Y 87,000 रुपये का कुल प्रीमियम चुकाते हैं, लेकिन वे केवल धारा 80 डी के तहत 75,000 रुपये के लिए कर-बचत लाभों का दावा कर सकते हैं। वह स्वयं, अपने पति या पत्नी और बच्चे के लिए अधिकतम 25,000 रुपये की कटौती का दावा कर सकता है ,भले ही उसने वास्तव में 28,000 का भुगतान किया हो। इसी प्रकार वह अपनी मां के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए अधिकतम 50,000 रुपये का दावा कर सकता है, भले ही वास्तविक भुगतान 59,000 रुपये हो।

इसलिए, कुल कटौती धारा 80D में दावा 75,000 रुपये ( 25,000 रु + 50,000 रु ) होगा।

स्वास्थ्य बीमा में कर लाभ के अलावा प्रमुख फायदे

स्वास्थ्य बीमा के लाभ उनके कर लाभों तक ही सीमित नहीं हैं। भले ही दावा योग्य प्रीमियम कटौती एक अच्छे प्रोत्साहन के रूप में काम करती है, भले ही उनके बिना स्वास्थ्य बीमा अत्यधिक अनुशंसित हो। कुछ प्रमुख लाभ नीचे सूचीबद्ध हैं।

  • चिकित्सा व्यय के विरुद्ध कवरेज।
  • गंभीर बीमारियों के खिलाफ कवरेज।
  • कैशलेस लाभ।
  • अपने नियोक्ता कवर के ऊपर और उसके ऊपर सुरक्षा।

Income Tax Section 80GG

पोस्ट तैयारकर्ता
C P Kurmi
चन्द्र प्रकाश कुर्मी, प्राध्यापक भौतिकी
राउमावि. टोडारायसिंह (टोंक)
cpkurmi@gmail.com

Income tax Section 80GG

Income tax Section 80GG

धारा 80GG आयकर अधिनियम – भुगतान किए गए किराए के संबंध में कटौती

अगर आपको HRA (हाउस रेंट अलाउंस) नहीं मिलता है लेकिन आप किराये के मकान में रहते हैं, तब भी आयकर अधिनियम, 1961 के धारा 80GG के अंतर्गत आपको दिए हुए किराये पर टैक्स छूट मिल सकती है । धारा 80GG के अंतर्गत सालाना 60,000 रु. ( 5,000 रु. प्रति महीना) की अधिकतम छूट की अनुमति है। आपको इस धारा का लाभ नहीं मिल सकता है अगर आपके (या आपकी पत्नी /बच्चे) के पास खुद का घर है । इस धारा के फायदे का दावा करने के लिए, आपको 10BA फॉर्म भरना होगा।

कौन धारा 80GG के अंतर्गत छूट का दावा कर सकता है ?

  • कोई भी नौकरीपेशा/स्वयं रोज़गार (अपना बिज़नस करने वाला) व्यक्ति जिसे हाउस रेंट अलाउंस (HRA) नहीं मिलता है और वित्तीय वर्ष (Financial year) के दौरान कभी भी HRA नहीं मिला है।

धारा 80GG के अंतर्गत निम्नलिखित में से जो भी सबसे कम छूट होगी वो आपको दी जाएगी:

  • किराए से मूल वेतन का 10% घटाने के बाद
  • 60,000 रू. प्रति वर्ष (5,000 रु. प्रति महिना)
  • कुल आय का 25% (मूल रूप से अपना बिज़नस करने वालों के लिए)

टैक्स छूट गणना : उदाहरण A

रमेश साल का 5 लाख कमाता है (सारी कटौती के बाद) और किराए के घर में रहता है जिसके लिए उसे कोई भी हाउस रेंट अलाउंस नहीं मिल रहा है। रमेश साल का 1.5 लाख रूपए किराया देता है। ऐसे मामले में निम्न में से कम टैक्स छूट दी जाएगी।

  • स्तिथि 1 : हर महीने 5,000 रू. की मासिक किराये की सीमा जो है 60,000 रु. प्रति साल।
  • स्तिथि 2 : दिया हुआ किराया 1.5 लाख माइनस 50,000 (वार्षिक आय का 10%) = 1 लाख रु.।
  • स्थिति 3 : पूरी वार्षिक आय का 25% = 1.25 लाख रु.।

ऊपर दिए गए उदाहरण में, क्योंकि पहली स्तिथि में सबसे कम पैसे हैं इसलिए रमेश को स्तिथि 1 के हिसाब से लाभ मिलेगा. याद रखें कि आपको HRA टैक्स छूट वार्षिक 60,000 रु. से ज़्यादा की नहीं मिल सकती. अगर अन्य किसी स्तिथि में टैक्स छूट 60,000 रु. से कम बनती है तो आपको उतनी टैक्स छूट मिलेगी।

टैक्स छूट गणना : उदाहरण B

रमेश साल का 3 लाख कमाता है (सारी कटौती के बाद) और वो किराए के घर में रह रहा है जिसके लिए उसे कोई भी हाउस रेंट अलाउंस नहीं मिल रहा है। रमेश एक महीने का 6,000 रू. किराया देता है और साल का किराया हो जाता है 72,000 रू.। ऐसे मामले में निम्न से सबसे कम वाली स्तिथि की टैक्स छूट मिलेगी:

  • स्तिथि 1: हर महीने 5,000 रु. की मासिक किराये की सीमा जो है 60,000 रु. प्रति वर्ष।
  • स्तिथि 2: दिया हुआ किराया जो है 72,000 रु. में से 30,000 घटाओ (वार्षिक आय का 10%) = 42,000 रु.।
  • स्तिथि 3: पुरे वार्षिक आय का 25%= 75,000 रु.।

ऊपर दिए गए उदाहरण में, क्यूंकि दूसरी स्तिथि 2 में सबसे कम पैसे हैं इसलिए रमेश को स्तिथि 2 के हिसाब से टैक्स छूट मिलेगी. याद रखें कि आपको HRA टैक्स छूट वार्षिक 60,000 रु. से ज़्यादा की नहीं मिल सकती. अगर अन्य किसी स्तिथि में टैक्स छूट 60,000 रु. से कम बनती है तो आपको उतनी टैक्स छूट मिलेगी.

फॉर्म 10BA : टैक्स देने वाला व्यक्ति धारा 80GG के अंतर्गत टैक्स छूट के लिए फॉर्म 10BA भरता है। फॉर्म बहुत आसानी से सारे टैक्स कार्यालयों में, कर्मचारी के HR विभाग में मिलता है या आप कई वेबसाइटों से भी इसे डाउनलोड कर सकते हैं। आपको फॉर्म भरने के समय निम्न जानकारियां सहीं और अपडेट होनी चाहिये।

  • नाम तथा पैन न०
  • पूरा पता पिन कोड सहित
  • कब से उस पते पर रह रहे हैं
  • किराया भुगतान का तरीका
  • किराया भुगतान की राशि
  • मकान मालिक का नाम और पता
  • अगर कर निर्धारण वर्ष के लिए साल का किराया 1 लाख से ज्यादा है, तो मकानमालिक का पैन नंबर देना ज़रूरी है।
  • इस बात की घोषणा कि आप या आपकी पत्नी/बच्चे के नाम कोई घर नहीं है या HUF से जिसके वो सदस्य हैं।

Income Tax Section 80DD

पोस्ट तैयारकर्ता
C P Kurmi
चन्द्र प्रकाश कुर्मी, प्राध्यापक भौतिकी
राउमावि. टोडारायसिंह (टोंक)
cpkurmi@gmail.com

Income tax Section 80DD

Income tax Section 80DD

इनकम टैक्स की धारा 80 डीडी, किसी करदाता को अपने परिवार में किसी विकलांग व्यक्ति के ऊपर किए गए खर्च पर टैक्स छूट लेने का अधिकार प्रदान करती है। यह टैक्स छूट दो प्रकार से मिलती है।

  • 40 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांग व्यक्ति के लिए 75000 रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट ली जा सकती है।
  • 80 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांग व्यक्ति के लिए 1 लाख 25 हजार रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट ले सकते है।

धारा 80 डीडी और धारा 80यू में अंतर :

  • Section 80DD की तरह ही Section 80U भी विकलांग व्यक्ति पर खर्च पर टैक्स छूट पाने का अधिकार देती है। दोंनों में एक समान टैक्स छूट मिलती है। लेकिन दोनों में बेसिक रूप से अंतर है। धारा 80DD किसी आश्रित विकलांग व्यक्ति पर खर्च के बदले टैक्स छूट लेने का अधिकार देती है। यह टैक्स छूट उस विकलांग व्यक्ति को नहीं मिलती, बल्कि उस व्यक्ति को मिलती है, जो उस विकलांग व्यक्ति की देख रेख करता है। धारा 80U किसी विकलांग व्यक्ति की ओर से स्वयं पर किए गए खर्च के बदले टैक्स छूट लेने का अधिकार देती है। यानी कि यह टैक्स छूट उस विकलांग व्यक्ति को खुद ही मिलती है, अगर वह टैक्स भरने लायक आमदनी पाता है तो।

विकलांग व्यक्ति किसे माना जाएगा : संविधान की धारा (1) के भाग 2 में मौजूद कानून समान- अवसर, सुरक्षा का अधिकार और पूर्ण सहभागिता) कानून, 1965 में विकलांगता को परिभाषित किया गया है। जिन विकारों को विकलांगता माना गया है, वे इस प्रकार हैं

  • नेत्रहीनता (अंधापन) Blindness
  • अल्प दृष्टि | Low vision
  • ठीक हुआ कोढ़पन | Leprosy-cured
  • चलने की विकलांगता | Loco motor disability
  • सुनने में कठिनाई | Hearing impairment
  • अल्प मानसिक विकास | Mental retardation
  • मानसिक बीमारी | Mental illness
  • स्वलीनता | Autism
  • मानसिक पक्षाघात | Cerebral palsy
  • बहु विकलांगता | Multi Disabilit

80डीडी के तहत टैक्स छूट के लिए जरूरी दस्तावेज
Income tax Section 80DD

धारा 80 डीडी के तहत टैक्स छूट पाने के लिए आपको आप के खर्च पर आश्रित परिवार के सदस्य के बारे में उपयुक्त दस्तावेज भी प्रस्तुत करना होता है। दस्तावेज के बारे में नियम इस प्रकार हैं :

  • चिकित्सीय प्रमाण पत्र : आपको अपने परिवार के आश्रित विकलांग व्यक्ति के बारे में उपयुक्त चिकित्साधिकारी की ओर से जारी किया गया मेडिकल सर्टिफिकेट पेश करना होगा। नेत्रहीनता , अल्प दृष्टि, ठीक हुआ कोढ़पन, चलने की विकलांगता, सुनने में कठिनाई , अल्प मानसिक विकास, मानसिक बीमारी की स्थिति में इस प्रमाणपत्र की जरूरत होती है।
  • फॉर्म 10 IA कब भरना होता है : अगर आप पर आश्रित परिवारी जन स्वलीनता (Autism), मानसिक पक्षाघात (Cerebral palsy) या बहु विकलांगता (Multi Disability) की बीमारी से ग्रस्त है तो आपको फॉर्म 10 IA पेश करना होता है।
  • स्वघोषित प्रमाणपत्र : आश्रित व्यक्ति के संबंध में उपरोक्त दस्तावेजों के अलावा आपको खुद भी एक अपनी ओर से घोषणापत्र देना होता है। इस स्वघोषित प्रमाणपत्र में आप बताते हैं कि आश्रित व्यक्ति पर आपने उस साल के दौरान कितना खर्च किया है। इन खर्चों में चिकित्सीय उपचार (नर्सिंग समेत), ट्रेनिंग या पुनर्वास (rehabilitation) पर हुए खर्चे भी शामिल होते हैं।

आयकर सम्बन्धी विस्तृत जानकारी

Income Tax Section 80DDB

पोस्ट तैयारकर्ता
C P Kurmi
चन्द्र प्रकाश कुर्मी, प्राध्यापक भौतिकी
राउमावि. टोडारायसिंह (टोंक)
cpkurmi@gmail.com

आयकर की धारा 80DDB

सेक्शन 80DDB के तहत अपने किसी आश्रित की गंभीर और लंबी बीमारी के इलाज में खर्च की गई रकम पर इनकम टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं। कोई आयकर दाता अपने माता-पिता, बच्चे, आश्रित भाई-बहनों और पत्नी के इलाज में खर्च की गई रकम की कटौती के लिए दावा कर सकता है। इनमें कैंसर, हीमोफीलिया, थैलीसीमिया और एड्स, किडनी फेल्योर आदि बीमारियां शामिल हैं।

धारा 80DDB के अन्तर्गत टैक्स छूट के महत्वपूर्ण प्रावधान :

  • धारा 80DDB में रोगों या बिमारियों के संबंध में किए गए मेडिकल ट्रीटमेंट के खर्चों के लिए टैक्स छूट का प्रावधान है।
  • यदि कोई व्यक्ति या HUF (अविभाजित हिंदू परिवार) विशेष बिमारी के इलाज के लिये खर्च करता है तो धारा 80DDB के तहत उसे टैक्स छूट मिलती है।
  • इसमें मेडीकल ट्रीटमेंट में किए गए खर्चों के लिए टैक्स छूट मिलती है ना कि मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम के लिए।
  • इस धारा के तहत किसी कॉर्पोरेट या अन्य संस्थाओं द्वारा छूट नहीं क्लेम की जा सकती है। साथ ही इस टैक्स छूट को वही लोग क्लेम कर सकते हैं जो पिछले साल भारत देश के निवासी रहे हों। NRI (अप्रवासी भारतीयों) पर यह धारा लागू नहीं होगी।
  • व्यक्ति विशेष के मामले में, टैक्स छूट इसके या उस पर निर्भर (Dependent) में से किसी के मेडिकल पर खर्च के लिए क्लैम किया जा सकता है। यहाँ निर्भर (Dependent) का मतलब पति या पत्नी, उसके बच्चों, उसके माता पिता, भाई/बहनों आदि से है।
  • HUF के मामले में उसके किसी भी सदस्य मेडीकल ट्रीटमेंट के खर्च को टैक्स छूट के लिए कवर किया जाएगा।

धारा 80DDB कुछ विशेष मेडीकल ट्रीटमेंट पर किए गए खर्चों पर टैक्स छूट की सुविधा देती है। Section 11DD के अनुसार विशेष बीमारियां जिनमे न्यूरोलॉजिकल रोग जिसकी पहचान एक विशेषज्ञ द्वारा की गई हो, जहां विकलांगता का स्तर 40% या उससे अधिक होने का प्रमाण दिया गया हो, इसमें शामिल हैं डिमेंशिया, डिस्टोनिया मस्कुलरम डिफॉर्मस , कोरिया मोटर न्यूरोन रोग, एटासिया, पार्किंसंन डिजीस और हेमबैलिस्म, घातक कैंसर, एड्स, क्रोनिक रीनल फेलियर, हेमोफिलिया या थैलेसीमिया जैसे हेमेटोलॉजिकल डिसऑनर आदि के ट्रीटमेंट पर किए गए खर्चों पर टैक्स छूट की सुविधा देती है। । यह उन मेडिकल खर्चों के लिए टैक्स छूट नहीं देता जो बहुत समान होते हैं जैसे मोतियाबिंद या जो सेक्शन C में आते हैं ।

80DDB क्लेम के लिये जरूरी दस्तावेज

  • धारा 80DDB के तहत टैक्स छूट का क्लेम करने के लिए मेडीकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता के सबूत देने होंगे । साथ ही यह प्रमाण भी देना होगा कि यह ट्रीटमेंट वास्तव में कराया गया है। इसके अलावा एक डॉक्टर का प्रिस-क्रिपशन भी आवश्यक हैं।
  • पहले सरकारी अस्पताल से इस तरह के प्रिस-क्रिपशन लेना जरूरी था लेकिन वर्ष 2016-17 से यह नियम बदल गए है। अब निजि अस्पताल के संबंधित विशेषज्ञों से मिले प्रिस-क्रिपशन से भी काम चल जाता है। नियम 11DD में निम्नलिखित बदलाव हुए हैं।
  • न्यूरोलॉजिकल रोगों के मामले में डॉक्टर ऑफ मेडिसन इन न्यूरोलॉजिकल या उसके समकक्ष किसी डिग्री होल्डर डॉक्टर का ही प्रिस-क्रिपशन वैलिड होगा।
  • मेलिग्नेट कैंसर के मामले में एक ऑन्कोलॉजिस्ट या उसके समकक्ष किसी डिग्री होल्डर डॉक्टर का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
  • एड्स के मामले में सामान्य या आंतरिक चिकित्सा में पोस्ट ग्रैजुएशन डिग्री या समकक्ष डिग्री वाले किसी विशेषज्ञ का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
  • क्रोनिक रीनल फैलियर के मामले में भी डॉक्टर ऑफ नेफ्रोलॉजिस्ट , या मास्टर ऑफ चिरेगाइ (M.Ch) या उसके समकक्ष किसी डिग्री वाले डॉक्टर के प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
  • अंतिम बिमारी हेमेटोलॉजिकल डिसऑर्डर के मामले में हेमेटोलॉजी या इसके समकक्ष डिग्री विशेषज्ञ का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
  • ध्यान रखें कि ये सभी डॉक्टर या डिग्री होल्डर्स भारतीय चिकित्सा परिषद से मान्यता प्राप्त होने चाहिये।
  • अगर इलाज सरकारी अस्पताल में चल रहा है तो फुल टाइम काम कर रहे डॉक्टर और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री वाले विशेषज्ञो के प्रिस-क्रिपशन भी शामिल होंगे

प्रिस-क्रिपशन में क्या होना चाहिए : पहले प्रिस-क्रिपशन फॉर्म 10-I में जमा होता था, जो 2016-17 से बदल गया है, अब निम्न निर्देश है:

  • रोगी का नाम
  • रोगी की आयु
  • बीमारी
  • प्रिस-क्रिपशन देने वाले डॉक्टर का नाम, पता, व रजिस्ट्रेशन नम्बर
  • यदि किसी सरकारी हॉस्पिटल में उपचार हो तो वहां का नाम व पता और प्रिस-क्रिपशन आवश्यक होंगा ।
  • प्रिस-क्रिपशन में सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टर व इंचार्ज के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं।

धारा 80DDB के तहत किस राशि को टैक्स माफ़ी में क्लेम कर सकते हैं ?

  • धारा 80DDB के तहत छूट क्लेम करने के लिए उस व्यक्ति की आयु मुख्य आधार है, जिसका मेडिकल ट्रीटमेंट किया गया हो।
  • यदि किसी व्यक्ति या उस पर निर्भर (Dependent) या HUF के सदस्य के मेडिकल ट्रीटमेंट पर खर्च किया जाता है, तो टैक्स छूट की राशि भुगतान की गई वास्तविक राशि या 40,000 रु. दोंनो में से जो कम हो उतनी होगी।
  • यदि किसी व्यक्ति या उस पर निर्भर (Dependent) या HUF के किसी सदस्य के मेडिकल ट्रीटमेंट पर खर्च किया जाता है, तो छूट की राशि भुगतान की गई वास्तविक राशि के एक लाख रुपए दोंनो में से जो कम हो उतनी होगी।
  • वरिष्ठ नागरिकों यानी जिनकी उम्र 60 साल या उस से ज़्यादा के व्यक्ति, जिनकी नागरिकता भी भारतीय हो, ये उनसे संबंधित है।
  • अतिवरिष्ठ नागरिक का मतलब जिनकी आयु 80 वर्ष से ज़्यादा है, और वो भारत का नागरिक हो।

धारा 80DDB के तहत छूट का क्लेम निम्नलिखित है:

  • सामान्य नागरिक -आयु 60 वर्ष से कम : ₹ 40,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो
  • वरिष्ठ नागरिक – आयु 60 वर्ष या उससे ऊपर 80 वर्ष से कम हो : ₹ 1,00,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो
  • अति वरिष्ठ नागरिक – 80 या उससे ऊपर : ₹ 1,00,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो

ध्यान रखने योग्य बातें :

👉छूट का क्लेम तभी किया जाएगा जब पिछले वर्ष के दौरान किए गए खर्च वास्तविक हों।

👉इसके अलावा छूट की राशि मेडिकल ट्रीटमेंट लेने वाले व्यक्ति की उम्र पर निर्भर होगी न कि क्लेम करने वाले की उम्र पर।

👉धारा 80DDB के तहत छूट की राशि, भाग VI (A) के तहत कवर की गई है।

मेडिकल इंश्योरेंस होने पर कितनी मिलेगी टैक्स छूट? अगर आपके मेडिकल खर्च के लिए कुछ या पूरा पैसा मेडिकल इंशोरेंस से मिला है तो उसे घटाकर ही आपको धारा 80DDB के तहत टैक्स छूट मिलेगी।

  • उदाहरण-1 यदि क्लेम करने वाला 60,000/- रुपये मेडीकल ट्रीटमेंट पर खर्च करता है, तो वह धारा 80DDB के तहत 40,000/- रुपये की टैक्स छूट क्लेम कर सकता है। यदि इस खर्च के लिए किसी बीमा कंपनी से 30,000/- रुपये की राशि प्राप्त हुई है, तो धारा 80DDB के तहत वह जो टैक्स छूट का दावा कर सकता है वह 10,000 रु. (40,000 रु. – 30,000 रु.) होगी।
  • उदाहरण -2 यदि बीमा कंपनी से 60,000/- रु. के खर्च पर मिली राशि 50,000/- रुपये है, जो 40,000/- रु. की टैक्स छूट क्लेम करने वाले को मिलने वाली थी वो नहीं मिलेगी, क्योंकि उस से ज़्यादा उसे बीमा कंपनी से मिल चुका है। हालाँकि, इस मामले में मेडीकल ट्रीटमेंट पाने वाला व्यक्ति यदि एक वरिष्ठ नागरिक है, तो वह 1,00,000/- (वरिष्ठ नागरिक को धारा 80DDB के तहत मिलने वाली टैक्स छूट) टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकता है।

सारांश : धारा 80DDB विशेष बिमारियों के इलाज में मेडिकल खर्चों के लिए व्यक्ति विशेष और HUF को टैक्स छूट देता है। और यह छूट टैक्स में आने वाली आय (ग्रौस टैक्सेबल इनकम) पर मिलती है।

आयकर सम्बन्धी विस्तृत जानकारी

Rebate Category Section 80G Deduction

Rebate Category Section 80G Deduction

यशवन्त कुमार जाँगिड़
अध्यापक
राप्रावि जगदेवपुरा डाँडा जिला बाराँ
Rebate Category Section 80G Deduction

आयकर अधिनियम की धारा 80G के अंतर्गत छूट की श्रेणियां

Rebate Category Section 80G Deduction आयकर अधिनियम की धारा 80 जी दो अलग-अलग श्रेणियों के तहत दान को वर्गीकृत करती है। प्रथम श्रेणी के अंतर्गत बिना किसी अधिकतम सीमा के 100% या 50% दान राशि की कर छूट का दावा कर सकते हैं। द्वितीय श्रेणी के अंतर्गत आप अधिकतम सकल वेतन के 10% सीमा तक ही 100% या 50% तक दान राशि पर छूट प्राप्त कर सकते है।

बिना किसी सीमा के दान की 100% या 50% की छूट :

  • 100 फीसदी कर छूट बिना किसी लिमिट : इन संस्थाओं को दान देने पर दान दी गई रकम पर 100 फीसदी कर छूट मिलती है। इनमें दान की रकम पर 10 फीसदी का बंधन भी नहीं है। जैसे प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष, PM CARES फंड, राष्ट्रीय रक्षा कोष, राष्ट्रीय बाल कोष, राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय रक्ताधान (blood transfusion) समिति, मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष, मुख्यमंत्री कोविड-19 राहत कोष, जिला साक्षरता समिति, राष्ट्रीय महत्व की मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी / शिक्षण संस्थान, राष्ट्रीय खेलकूद प्राधिकरण, स्वच्छ भारत कोष एवं स्वच्छ गंगा निधि, आर्मी/एयरफोर्स सेंट्रल वेलफेयर फंड आदि।
  • 50 फीसदी कर छूट बिना किसी लिमिट के : इस श्रेणी की संस्थाओं को दान देने पर दान दी गई रकम पर केवल 50 फीसदी करछूट अनुज्ञेय है। इसमें भी दान की रकम पर 10 फीसदी का बंधन नहीं है। जैसे प्रधानमंत्री सूखा राहत कोष, जवाहर लाल नेहरू/इंदिरा गांधी स्मृति निधि, राजीव गांधी फाउंडेशन, 80G के तहत पंजीकृत राष्ट्रीय चेरिटेबल संस्थाए, ज्ञानसंकल्प पोर्टल आदि।

सकल आय के अधिकतम 10% सीमा तक 100% या 50% की छूट :

  • 100 फीसदी कर छूट (सकल आय का अधिकतम 10% तक): इस श्रेणी के संस्थाओं को दान देने पर दान दी गई रकम पर 100 फीसदी कर छूट मिलती है लेकिन कुल कर योग्य आय के 10 फीसदी के बराबर दान की गई रकम पर ही 100 फीसदी करछूट मिलेगी। सरकारी या स्थानीय संस्थाएं जो परिवार नियोजन के प्रमोशन का काम करती हैं, इसमें आती हैं। इसके अलावा भारतीय ओलंपिक संघ या धारा 10(23) के अधीन अधिसूचित खेलकूद प्रायोजक संस्थाए/आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए निर्मित संस्थाए आदि इसमें शामिल है।
  • 50 फीसदी कर छूट (सकल आय का अधिकतम 10% तक): इस श्रेणी की संस्थाओं को दान देने पर दान दी गई रकम पर 50 फीसदी तक की करछूट मिलती है लेकिन कुल वार्षिक आमदनी के 10 फीसदी के बराबर दान की गई रकम पर ही 50 फीसदी करछूट मिलेगी। इसमें ऐसी सरकारी या स्थानीय संस्थाएं आती हैं, जो परिवार नियोजन के अलावा समाज सेवा, टाउन प्लानिंग का काम भी करती हों। अल्पसंख्यक समुदाय के उन्नतिकरण हेतु गठित राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय संस्थाएं/निगम एवं कोई भी धार्मिक पूजा/प्रार्थना स्थल जो ऐतिहासिक,पुरातात्विक या कलात्मक महत्व रखती हो, आदि शामिल है।

कार्मिकों हेतु आयकर सम्पूर्ण जानकारी

नोट :-

आयकर अधिनियम की धारा 80G के अन्तर्गत चैरिटेबल संस्थाओं को दिए गए दान पर छूट देने के लिये आहरण एवं वितरण अधिकारी सक्षम नहीं है, करदाता को इस दान को अपनी रिटर्न फाइल करने पर स्वयं कर छूट हेतु क्लेम करना होगा।

लेकिन जहां किसी कर्मचारी ने अपने वेतन से दान का भुगतान किया है और नियोक्ता द्वारा स्वयं उसके वेतन से राशि काट ली गई है, तब नियोक्ता द्वारा धारा 80जी के तहत की गई कटौती का दावा किया जा सकता है। ऐसे मामलों में नियोक्ता द्वारा जारी फॉर्म नंबर 16 में ये कटोती (दान) अंकित होगा।

Income Tax Section 80U

पोस्ट तैयारकर्ता
C P Kurmi
चन्द्र प्रकाश कुर्मी, प्राध्यापक भौतिकी
राउमावि. टोडारायसिंह (टोंक)
cpkurmi@gmail.com

आयकर की धारा 80U क्या है

इस नियम के तहत कोई विकलांग व्यक्ति स्वयं अपने ऊपर खर्च पर टैक्स छूट का दावा कर सकता है, एक बार फिर से ध्यान दें— विकलांग व्यक्ति स्वयं। जबकि धारा 80DDB के तहत कोई व्यक्ति स्वयं की बजाय अपने परिवार के किसी विकलांग सदस्य पर हुए खर्च पर टैक्स छूट का दावा कर सकता है। धारा section 80U के तहत टैक्स छूट (Deduction) की सुविधा, विकलांगता के स्तर के हिसाब से मिलती है। विकलांगता का स्तर हल्का होने पर कम टैक्स छूट मिलती है, जबकि विकलांगता का स्तर गंभीर होने पर ज्यादा टैक्स छूट मिलती है।

धारा 80U के तहत टैक्स छूट को दो श्रेणियों में बांटा गया है।

  • सामान्य विकलांग व्यक्ति पर खर्च के लिए के लिए टैक्स छूट (Expense on Common disabile person)- सामान्य विकलांग व्यक्ति उसे माना गया है जो चिकित्सा विज्ञान के हिसाब से 40% विकलांगता का शिकार है। धारा 80 यू के तहत कम से कम 40% विकलांगता ग्रस्त व्यक्ति पर सालाना 75 हजार रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट का लाभ लिया जा सकता है।
  • गंभीर रूप से विकलांग व्यक्ति पर खर्च के लिए के लिए टैक्स छूट (Deduction for expense on severe disabile person) – गंभीर विकलांग व्यक्ति उसे माना गया है, जो चिकित्सा विज्ञान के हिसाब से कम से कम 80% विकलांगता का शिकार है। धारा 80 यू के तहत ऐसा व्यक्ति जो कम से 80% या इससे अधिक विकलांगताग्रस्त है, उस पर भर में हुए 1 लाख 25 हजार रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट ली जा सकती है।

विकलांगता की श्रेणी और छूट (Category of disability & Deduction)

  • सामान्य विकलांगताग्रस्त व्यक्ति|Normal Disabled person (40% disability) – Deduction allowed Rs. 75,000
  • गंभीर विकलांगताग्रस्त व्यक्ति Severely disabled person (80% disability) – Deduction allowed Rs. 1,25,000

धारा 80 यू के तहत टैक्स छूट के लिए आवश्यक दस्तावेज :

  • धारा 80 यू के तहत टैक्स छूट पाने के लिए आपको पहली बात तो भारतीय नागरिक होना चाहिए। दूसरी बात, आपके पास उपयुक्त चिकित्सा अधिकारी की ओर से जारी विकलांग व्यक्ति .“a person with disability” का प्रमाणपत्र होना चाहिए। उपयुक्त चिकित्सा अधिकारी (medical authority) के रूप में निम्नलिखित अधिकारियों को रखा गया है-
    • राजकीय अस्पताल का सिविल सर्जन या मुख्य चिकित्सा अधिकारी
    • न्यूरोलॉजिस्ट जो कि न्यूरोलॉजी में एमडी की उपाधि धारण करता हो
    • बच्चों के मामले में Paediatric Neurologist जिसके पास एमडी की उपाधि हो

80U के तहत विकलांग व्यक्ति की परिभाषा – निम्नलिखित में से किसी भी शारीरिक अक्षमता से ग्रस्त व्यक्ति को विकलांग व्यक्ति की श्रेणी में माना गया है, जिसे उपयुक्त चिकित्सा अधिकारी से प्रमाणित भी किया गया हो

दृष्टिहीनता (अंधत्व) | (Blindness) कम दिखाई देना | Low vision कोढ की बीमारी | Leprosy-cured

सुनने की अक्षमता | Hearing impairment लोको मोटर अक्षमता | Loco motor disability

मानसिक अक्षमता | Mental retardation मानसिक अयोग्यता | Mental illness

आटिज्म (भूलने की बीमारी) |Autism सेरेबल पॉल्सी की बीमारी | Cerebral palsy

ध्यान देने योग्य बातें :

  • धारा 80 यू के तहत टैक्स छूट का दावा करने के लिए शारीरिक समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करना पड़ता। लेकिन इसका प्रमाणपत्र आपके पास होना जरूरी है, ताकि आगे किसी जांच की स्थिति में उसे पेश किया जा सके। लेकिन गंभीर बीमारियों जैसे कि autism या cerebral palsy के संबंध में Form 10-IA अलग से भरा जाना अनिवार्य होता है।
  • विकलांग व्यक्ति उसे माना जाएगा उसे Equal Opportunities, Protection of Rights and Full Participation) Act, 1995 में परिभाषित किया गया है।

आयकर सम्बन्धी विस्तृत जानकारी

Section 80G Deduction – Income Tax Act

Yashwant Jangid

यशवन्त कुमार जाँगिड़
अध्यापक
राप्रावि जगदेवपुरा डाँडा जिला बाराँ
Section 80G Deduction – Income Tax Act

धारा 80 जी के तहत कर छूट के प्रावधानों की जानकारी

Section 80G Deduction – Income Tax Act विशिष्ट निधियों, धर्मार्थ संस्थानों या आपदा राहत कोष या पंजीकृत ट्रस्ट में किए गए योगदान पर धारा 80G के तहत कर छूट के रूप में दावा किया जा सकता है। इनकम टैक्स की धारा 80 जी के तहत कोई भी नागरिक, एचयूएफ या कंपनी किसी फंड या चैरिटेबल संस्था को दिए गए दान पर टैक्स छूट ले सकती है।

धारा 80G के तहत कर छूट लेने के लिए आवश्यक शर्ते :

(i) आप जिस संस्था को दान दे रहे है, वह आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 12A के तहत रजिस्टर्ड होनी चाहिए और साथ ही धारा 80G के तहत दान लेने के योग्य होनी चाहिए। अगर आप आयकर कानून के तहत अपंजीकृत संस्था या विदेशी ट्रस्ट या किसी राजनीतिक दल को चंदा या दान करते हैं तो इस प्रकार के दान पर 80G में कोई टैक्स छूट नहीं मिलेगी। Section 80G Deduction – Income Tax Act

(ii) बैंक ड्राफ्ट, नकद, चेक या ऑनलाइन भुगतान के माध्यम से किए गए दान पर टैक्स छूट ली जा सकती है। यदि आप नकद में दान कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि दान राशि रुपये 2000/- से अधिक नहीं हो। उक्त सीमा से अधिक नकद दान के लिए कर छूट दावा केवल ₹2000/- तक ही अनुमत है। वित्तीय वर्ष 2017-18 से नकदी के रूप में दान या चंदे को अधिकतम 2000 रुपए तक सीमित कर दिया गया है। इससे अधिक का दान या चंदा अन्य किसी रिकॉर्डयुक्त माध्यम (चेक, ड्राफ्ट या डिजिटल पेमेंट) से ही दिया जा सकता है।

(iii) किसी भी प्रकार की सामग्री, भोजन, दवाओं, कपड़े या अन्य रूप में किया गया दान आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के तहत कटौती के लिए पात्र नहीं हैं।

कार्मिकों हेतु आयकर की जानकारी

(iv) धारा 80 जी के तहत टैक्स छूट का फायदा लेने के लिए आपके पास संस्था की ओर से दी गई दान की रसीद अथवा दान का वैध प्रमाण अवश्य होना चाहिए। डिजिटल भुगतान से किए दान पर रशीद के बिना भी छूट ली जा सकती है।

(v) संस्था जो रसीद दे रही हैं, उस पर संस्था का नाम एवं पूरा पता, रसीद नंबर, दान दी गई राशि का विवरण अंकों एवं शब्दो मे, प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर, संस्था का 80जी के तहत पंजीयन प्रमाणपत्र क्रमांक आदि विवरण अवश्य अंकित होना चाहिए।

(vi) धारा 80 जी के तहत कटौती का दावा करने के लिए आपको अपना रिटर्न दाखिल करते समय कुछ विवरणों का उल्लेख करना होगा जैसे – दानदाता का नाम एवं पता, अंशदान राशि, दान प्राप्त करने वाली संस्था/कोष का नाम व पता एवं पैन नम्बर एवं धारा 80G के अंतर्गत पंजीयन का क्रमांक आदि का विवरण देना आवश्यक है।

(vii) दान की राशि में प्राप्त छूट : धारा 80जी में निर्दिष्ट विभिन्न दान प्रदान किए गए प्रावधानों के अनुसार 100% या 50% तक की कटौती के लिए पात्र हैं।

नोट :-

आयकर अधिनियम की धारा 80G के अन्तर्गत चैरिटेबल संस्थाओं को दिए गए दान पर छूट देने के लिये आहरण एवं वितरण अधिकारी सक्षम नहीं है, करदाता को इस दान को अपनी रिटर्न फाइल करने पर स्वयं कर छूट हेतु क्लेम करना होगा।

लेकिन जहां किसी कर्मचारी ने अपने वेतन से दान का भुगतान किया है और नियोक्ता द्वारा स्वयं उसके वेतन से राशि काट ली गई है, तब नियोक्ता द्वारा धारा 80जी के तहत की गई कटौती का दावा किया जा सकता है। ऐसे मामलों में नियोक्ता द्वारा जारी फॉर्म नंबर 16 में ये कटोती (दान) अंकित होगा।

एनपीएस अंशदान हेतु कर छूट के संबंध में क्या प्रावधान है और यह कर छूट किन धाराओं के तहत मिलती है ?

प्रश्न- 1:- एनपीएस अंशदान हेतु कर छूट के संबंध में आयकर के क्या प्रावधान है और यह कर छूट किन धाराओं के तहत मिलती है ?

उत्तर – एनपीएस 01.01.2004 के बाद नियुक्त सभी कार्मिको की सकल आय में जोड़ा जाता है, जिस पर आयकर नियमों के तहत विभिन्न धाराओं में कर छूट का लाभ भी देय है। आज हम एनपीएस योगदान के बदले में मिलने वाली कर छूट के प्रावधानों के बारे में जानते है।

(i) 80CCD1 – कार्मिक द्वारा एनपीएस का योगदान (अधिकतम – वेतन+डीए का 10%)
नोट – उक्त कटौती धारा 80C के अधीन 1,50,000 की सीमा में ही की जा सकती है।

(ii) 80CCD2 – नियोक्ता द्वारा कार्मिक अंशदान के बराबर एनपीएस का अंशदान (अधिकतम – वेतन+डीए का 10%)
नोट – उक्त कटौती धारा 80C के अन्तर्गत 1,50,000 के अलावा अलग से की जाएगी।

(iii) 80CCD(1B) – इसमें 01.01.2004 के बाद नियुक्त कार्मिक एनपीएस अंशदान पर 50,000 की अतिरिक्त कर छूट प्राप्त कर सकते है। यह सुविधा बजट प्रावधान 2015-16 के तहत दी गई है।
नोट:- इसमें कार्मिक अपने एनपीएस की कटौती को दो भागों में विभाजित भी कर सकता है। उक्त सुविधा केवल एनपीएस के टियर-1 एकाउंट में निवेश पर ही प्राप्त की जा सकती है।

उदाहरण 1- एक कार्मिक की एनपीएस कटौती 65000 है व अन्य कटौतियां (LIC, PLI,SI, PPF, TUTION FEES, NSC) 120000 है। कार्मिक को कर छूट किस प्रकार मिलेगी।

धारा 80C में – 120000

धारा 80CCD1 – 30000 या 15000

कुल योग 80C – 1,50,000 या 1,35,000

80CCD(1B) – 35000 या 50000
कुल कर छूट योग्य कटौती – 185000/-

उदाहरण 2- एक कार्मिक की एनपीएस कटौती 75000 है व अन्य कटौतियां (LIC, PLI,SI, PPF, TUTION FEES, NSC) 130000 है। कार्मिक को कर छूट किस प्रकार मिलेगी।
धारा 80C में – 130000

धारा 80CCD1 – 20000 या 25000

कुल योग धारा 80C – 1,50,000

80CCD(1B) – 50000
कुल कर छूट योग्य कटौती – 2,00,000/-

नोट:- धारा 80CCD1 एवं 80CCD(1B) का योग धारा 80CCD2 के बराबर (नियोक्ता के अंशदान) के बराबर होना चाहिये

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