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Monthly Archives: December 2021

Auto Salary Process Error

श्री बलबीर स्वामी (व्याख्याता)
राउमावि कायमसर (सीकर)

Auto Salary Process Error

रोजाना एक प्रश्न- क्रमांक 347

ऑटो सेलेरी प्रोसेस के बाद ‘file not found’ का एरर आ रहा है, इसका क्या समाधान है !

बिल पर जब ऑटो ई-साईन नहीं होते है तो Signed fill जनरेट नहीं होती है तब ये समस्या आती है। यह समस्या प्रायः तब आती है जब एक ही बजट हैड में दो या दो से अधिक बिल ग्रुप बने हो। यह समस्या होने पर निम्न प्रक्रिया अपनाए।

  • सबसे पहले बिल को रिवर्ट करे व रिपोर्ट में जाकर उस बिल से संबंधित इनर,आउटर व आल सिड्यूल डाउनलोड करे।
  • अब ओरोराइजेशन में डोक्युमेंट ई साईन फेसिलिटी में जाये।
  • यहां उक्त बिल के रेफरेंस नम्बर डाल कर अपलोड पर क्लिक करे, एक नया विंडो खुलेगा जिसमें फिर से रेफरेंस नम्बर डाले व इनर, आउटर व आल सिड्यूल मांगे गये स्थान पर चयन कर अपलोड करे।
  • अब डोक्युमेंट ई-साईन फेसिलिटी में ही रेफरेन्स नम्बर डाल कर व्यू पीडीएफ पर क्लिक करे आपको आप द्वारा अपलोड की गई रिपोर्ट्स दिखाई देगी व नीचे साईन का ओप्सन होगा।
  • साईन पर क्लिक कर आप डोंगल द्वारा इस पर साईन कर छोड़ दे। बिल डीडीओ फोरवर्ड होने पर आपके बिल में साईन फाईल प्रदर्शित हो जायेगी।

Student Name Change Process

Information regarding School fund uses in rajasthan

श्री लीलाराम प्रधानाचार्य राउमावि
मुबारिकपुर (रामगढ) अलवर
Student Name Change Process

रोजाना एक प्रश्न- क्रमांक 346

शाला में अध्ययनरत छात्र के नाम, उपनाम व जन्म तिथि में परिवर्तन की प्रक्रिया

शाला में अध्ययनरत छात्र के नाम, उपनाम व जन्म तिथि में परिवर्तन के लिए निम्नांकित प्रक्रिया अपनावे :

नाम/ उपनाम में परिवर्तन की प्रक्रिया

  • 1. केवल अध्ययनरत छात्र, छात्रा के प्रकरण निर्धारित प्रक्रिया से उच्चाधिकारियों को प्रस्तुत किए जा सकेंगे।
  • 2. छात्र, छात्रा अथवा अभिभावक के आवेदन के साथ निम्न दस्तावेज संलग्न होने चाहिए।
    • अधिकृत न्यायालय का मूल प्रमाण पत्र / शपथ पत्र जिसमें छात्र, पिता का नाम, वर्तमान शाला में अध्यनरत कक्षा का विवरण प्रमाणित हो।
    • स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित विज्ञापन।
    • अभिभावक से लिखित घोषणा की छात्र के नाम परिवर्तन से उत्पन्न किसी भी विवाद के लिए वह स्वयं उत्तरदायी होगा।
    • मूल प्रवेश आवेदन पत्र की प्रति।
    • पूर्व विद्यालय का स्थानांतरण प्रमाण पत्र।
    • छात्र से संबंधित स्कॉलर रजिस्टर की प्रतिलिपि।

संस्था प्रधान की टिप्पणी इसके बाद संपूर्ण दस्तावेज संबंधित मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में भिजवाने होंगे

संबंधित कार्यालय द्वारा जांच उपरांत आदेश जारी किए जाएंगे संस्था प्रधान आदेश संख्या ,दिनांक अंकित कर नाम /उपनाम में संशोधन कर प्रमाणित कर सकेंगे

अध्ययनरत छात्र के जन्म तिथि परिवर्तन के लिए निम्न प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए

  • 1. छात्र अध्ययनरत हो।
  • 2. माता-पिता /अभिभावक के आवेदन पत्र के साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न होने चाहिए।
    • मूल प्रवेश आवेदन पत्र की प्रति
    • ग्राम पंचायत / नगर पालिका से प्राप्त जन्म प्रमाण पत्र की प्रति
    • माता-पिता का शपथ पत्र जिसमें जीवित, मृत संतानों की जन्मतिथि का भी उल्लेख हो।
    • दो पड़ोसियों /रिश्तेदारों के शपथ पत्र।
    • जन्म कुंडली
    • अध्ययनरत विद्यालय के स्कॉलर रजिस्टर पृष्ठ की प्रति
    • पूर्व विद्यालय के स्थानांतरण प्रमाण पत्र की प्रति/ प्रवेश आवेदन की प्रति
  • अग्रेषित करने वाले संस्था प्रधान की टिप्पणी के साथ संबंधित मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को प्रकरण भेजा जाएगा। सम्बन्धित कार्यालय द्वारा प्रकरण की जांच कर वस्तु स्थिति से संतुष्ट होने पर मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी जन्म तिथि परिवर्तन के आदेश जारी करेंगे।
  • आदेेश की प्रति स्कॉलर रजिस्टर के संबंधित पृष्ठ पर चस्पा की जाएगी।
  • आदेश संख्या, दिनांक, स्कॉलर पृष्ठ पर लिखकर संशोधन अंकित किया जाएगा एवं संस्था प्रधान द्वारा प्रमाणित किया जाएगा।

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Leave on Medical Ground

Shyam Sunder Bhambhu

पोस्ट तैयारकर्ता
श्री श्याम सुंदर भांभू सूरपुरा
वरिष्ठ सहायक
राउमावि सूरपुरा
ब्लॉक- नोखा जिला बीकानर

रोजाना एक प्रश्न- क्रमांक 345

अवकाश नियमों की जानकारी- 2

(चिकित्सक के प्रमाण पत्र के आधार पर स्वीकृत अवकाश के सम्बन्ध में)

  • चिकित्सक के प्रमाण पत्र के आधार पर स्वीकृत अवकाश हेतु राजपत्रित अधिकरियों एवं अराजपत्रित कर्मचारियों हेतु वित्त विभाग की अधिसूचना दिनांक 07/09/10 द्वारा अलग – अलग चिकित्सा प्रमाण पत्र का प्रारूप जारी किया गया है जो निम्न लिंक पर उपलब्ध है
  • चिकित्सक के प्रमाण पत्रों में दी गई सिफारिशों से किसी ऐसे अवकाश की मांग नहीं की जा सकेगी जो कि सेवा शर्तों के अनुसार या उस पर प्रभावी नियमों के अनुसार स्वीकार्य नहीं हो।
  • इस प्रपत्र को यथासम्भव ज्यों – का – त्यों उपयोग में लिया जाना चाहिए । तथा इसे प्रार्थी के हस्ताक्षर करा लेने के बाद भरा जाना चाहिए । प्रमाणित करने वाले चिकित्सा प्राधिकारी को यह प्रमाणित करने को स्वतन्त्रता नहीं होगी कि प्रार्थी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण को आवश्यकता है या यह कि वह अमुक स्थान पर जाने के योग्य नहीं ऐसे प्रमाण पत्र केवल उसी समय दिये जाने चाहिए जब सम्बन्धित प्रशासनिक अधिकारी द्वारा ऐसा स्पष्ट रूप चाहा गया हो जब प्रार्थी प्रशासनिक अधिकारी के पास इस आधार पर प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करेगा तब उसके लिए यह निर्णय करने की स्वतन्त्रता होगी कि क्या प्रार्थी को उसकी शारीरिक क्षमता की जाँच के लिए चिकित्सक मण्डल के सम्मुख जाना चाहिए या नहीं।

READ POST PART-1

  • अवकाश स्वीकृतिकर्ता प्राधिकारी , प्राधिकृत चिकित्सक द्वारा निर्गमित अपूर्ण सूचनायुक्त चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर प्राप्त आवेदन पर विचार कर अवकाश स्वीकृत कर देते हैं जो नियमानुकूल नहीं है । अपूर्ण सूचनायुक्त चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर अवकाश स्वीकृत करने की कार्यवाही को अनुशासनहीनता मानते हुए अवकाश स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही की जा सकेगी। नियम 70
  • संदिग्ध मामलों में चिकित्सकीय परीक्षण में रखना -प्रमाण पत्र को स्वीकृत अस्वीकृत करने के निर्णय से पूर्व समिति संदिग्ध मामले में 14 दिवस तक एक आवेदक को चिकित्सालय परीक्षण में रख सकती है । उस स्थिति में समिति द्वारा निम्न प्रकार से एक प्रमाण – पत्र दिया जाना चाहिए –
  • श्री……… . ने अवकाश स्वीकृत करने के लिए चिकित्सा प्रमाण – पत्र के लिए हमें आवेदन पत्र प्रस्तुत किया, इस प्रकार का प्रमाण – पत्र देने या अस्वीकृत करने से पूर्व हम …… दिनों के लिए श्री को चिकित्सकीय परीक्षण में रखना आवश्यक समझते हैं । नियम -73
  • एक राज्य कर्मचारी जिसने चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर अवकाश स्वीकृत करवाया है अपने कर्तव्य पर उस समय तक उपस्थित नहीं हो सकेगा , जब तक वह चिकित्सक द्वारा जारी स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं कर देता । नियम 83
  • अवकाश स्वीकृत करवाने हेतु आवेदन GA- 45 में प्रस्तुत करना होगा।
  • स्वस्थ होकर पुनः कर्तव्य पर उपस्थित होते समय कार्यग्रहण करने हेतु प्रार्थना पत्र लिखना होगा।

शाला दर्पण – ऑनलाइन उपस्थिति में संशोधन की प्रक्रिया

Rebate Category Section 80G Deduction

यशवन्त कुमार जाँगिड़
अध्यापक
राप्रावि जगदेवपुरा डाँडा जिला बाराँ

रोजाना एक प्रश्न- क्रमांक 344

शाला दर्पण – ऑनलाइन उपस्थिति में संशोधन की प्रक्रिया

शालादर्पण पोर्टल पर ऑनलाइन उपस्थिति में गलती होने पर स्टॉफ दैनिक उपस्थिति में संशोधन हेतु मॉड्यूल CBEO लॉगइन पर प्रारंभ कर दिया गया है। दैनिक उपस्थिति में अपडेशन की चरणवार प्रक्रिया इस प्रकार है :

  • 1. सर्वप्रथम उपस्थिति गलत दर्ज की सूचना एवं उपस्थिति में संशोधन बाबत एक पत्र सीबीईओ कार्यालय को भेजें।
  • 2. इसके बाद सीबीईओ लॉगिन पर HELPDESK > STAFF ATTANDANCE UPDATION पर क्लिक करना होगा।
  • 3. अब जिस दिनांक की उपस्थिति सही करनी है वह दिनांक दर्ज करें एवं Get Details पर क्लिक करें।
  • 4. अब आपके सामने सभी स्कूलों की लिस्ट आ जाएगी जिसमें से वांछित विद्यालय का चयन करें और स्कूल के नाम पर क्लिक करें।
  • 5. अब आपके सामने उस विद्यालय के सभी कार्मिकों की सूची एवं उपस्थिति का विवरण आ जाएगा। आपके Action में वांछित कार्मिक के नाम पर चेकबॉक्स में ✔️ करना है और To be Modified में सही उपस्थिति दर्ज करनी है।
  • 6. अब आपको Select Staff whose Attendance is to be modified टैब पर क्लिक करना है। क्लिक करते ही आपके सामने, जिस कार्मिक की उपस्थिति में परिवर्तन किया गया है, उसकी डिटेल्स आ जाएगी।
  • 7. अब आपको Modified Attendance पर क्लिक करना है और पॉपअप में Yes करना है। यह कार्य करते ही आपके सामने पॉपअप में All Staff Attendance saved successfully का मैसेज आ जाएगा।
  • 8. अब आपको सीबीईओ लॉगिन एवं स्कूल लॉगिन में Monthly Attendance Report में सही उपस्थिति दिखाई देने लगेगी।

प्रक्रिया के संबंध में अन्य प्रमुख जानकारी

  • कार्यालय माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर द्वारा जारी आदेश दिनांक 05.08.2021 के बिंदु संख्या 3(b) के अनुसार प्रारम्भिक शिक्षा के विद्यालयों की उपस्थिति उपर्युक्त प्रक्रिया द्वारा नियत अवधि से गत सात दिवस तक की अवधि एवं माध्यमिक शिक्षा के विद्यालयों की नियत दिवस से 8 दिवस तक की अवधि की उपस्थिति संबंधित ब्लॉक कार्यालय द्वारा संबंधित विद्यालय से ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज नहीं किये जाने / ऑनलाइन दर्ज उपस्थिति में संशोधन के यथोचित कारण सहित उपस्थिति मंगवाकर सीबीईओ लॉगिन से प्रविष्ट की जा सकती है, परन्तु उक्त सुविधा एक माह में प्रारम्भिक शिक्षा के एक विद्यालय के लिए अधिकतम पांच बार एवं माध्यमिक शिक्षा के एक विद्यालय के लिए 8 बार ही उपलब्ध होगी।
  • उपरोक्त प्रक्रिया द्वारा नियत अवधि से गत 15 दिवस तक की विद्यालयों की उपस्थिति एवं ब्लॉक तथा जिला स्तरीय कार्यालयों की उपस्थिति की नियत दिवस से 23 दिवस तक की उपस्थिति संबंधित मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा संबंधित विद्यालय / कार्यालय से ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज नहीं किये जाने / ऑनलाइन दर्ज उपस्थिति में संशोधन के कारण सहित उपस्थिति मंगवाकर सीडीईओ लॉगिन से प्रविष्ट की जा सकती है, परन्तु उक्त सुविधा एक माह में एक विद्यालय / कार्यालय के लिए अधिकतम सात बार के लिए ही उपलब्ध होगी।

PRAN Updation New Process at Paymanager

Paymanager Bill Auto Process

Created by
श्री दिलीप कुमार
सेवानिवृत्त व्याख्याता
निवासी सादड़ी जिला पाली

रोजाना एक प्रश्न- क्रमांक 343

पेमैनेजर पर प्राण नम्बर अपडेशन की नवीन प्रोसेस

  • NIC टीम जयपुर के Update के अनुसार पेमैनेजर पर प्राण नम्बर अपडेट करने के लिए अब आपको अपने SIPF आफिस से सम्पर्क करना पड़ेगा, यह सुविधा अब SIPF विभाग को उनके लॉगिन पर उपलब्ध करवाई गई है।
  • प्राण नम्बर पेमैनेजर पर अपडेट करने के लिए आप प्राण कार्ड या NSDL से प्राप्त Message की कॉपी अटेच कर अपने जिला SIPF आफिस को मेल करे या ऑफ लाइन आवेदन करे। SIPF आफिस से प्राण नम्बर अपडेट करने पर कुछ समय बाद आपके प्राण नम्बर पेमैनेजर पर अपडेट हो जायेगे।
  • पहले पर्सनल पेमैनेजर लॉगिन से प्राण नम्बर अपडेट करने की रिक्वेस्ट जनरेट कर HOD को भेजते थे एवं रिक्वेस्ट HOD से Approved होने पर प्राण नम्बर पेमैनेजर पर अपडेट हो जाते थे, अब यह प्रक्रिया करने की जरूरत नही है।

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नियुक्ति से पूर्व संतान होने की स्थिति में कार्मिक को मातृत्व अवकाश लाभ

Rebate Category Section 80G Deduction

यशवन्त कुमार जाँगिड़
अध्यापक
राप्रावि जगदेवपुरा डाँडा जिला बाराँ

रोजाना एक प्रश्न- क्रमांक 342

एक महिला कार्मिक ने राजकीय सेवा में नियुक्ति से पूर्व एक संतान को जन्म दिया है। कार्मिक को मातृत्व अवकाश लाभ मिलने के संबंध में जानकारी

वित्त विभाग राजस्थान जयपुर द्वारा जारी ज्ञापन क्रमांक – F.1(6)FD(Rules)/2021 दिनांक 23.12.2021 के अनुसार RSR भाग-1 के नियम 103 में संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया गया है कि – अब महिला कार्मिको को राजकीय सेवा में नियुक्ति से पूर्व जन्म लेने वाली संतान हेतु भी अधिकतम 180 दिनों के मातृत्व अवकाश का प्रावधान किया गया है। जो कि निम्न शर्तो के अधीन रहेगा.

  • 1. महिला कार्मिक को राजकीय सेवा में कार्यग्रहण करने के 15 दिन के भीतर ही मातृत्व अवकाश के लिए निर्धारित प्रक्रियानुसार आवेदन करना होगा। राजकीय सेवा में नियुक्ति के 15 दिन बाद आवेदन करने पर मातृत्व अवकाश का लाभ नही मिलेगा।
  • 2. राजकीय सेवा में नियुक्ति होने से 3 माह पूर्व जन्मी संतान हेतु मातृत्व अवकाश देय नही होगा।
  • माननीय उच्च न्यायालय राजस्थान ने प्रकरण संख्या 4384/2020 में दिए निर्णय में बच्चे के जन्म के 15 दिन पूर्व से जन्म के तीन माह बाद तक की अवधि को ही प्रसूति अवधि (period of confinement) माना है। अतः बच्चे के जन्म से तीन माह बाद राजकीय सेवा में कार्यग्रहण करने पर मातृत्व अवकाश देय नहीं होगा।
  • 3. राजकीय सेवा में नियुक्ति होने से पूर्व जन्मी संतान के लिए मातृत्व अवकाश की कुल अवधि 180 दिन में से निम्न अवधि कम कर दी जाएगी –
    • A. बच्चे के जन्म से पूर्व के 15 दिन
    • B. राजकीय सेवा में नियुक्ति के समय बच्चे की उम्र (दिनों में)
    • C. नियुक्ति तिथि से मातृत्व अवकाश पर प्रस्थान करने की अवधि (दिनों में) जो कि अधिकतम 15 दिनों तक सीमित होगी।

मातृत्व अवकाश अवधि = 180 – ( संतान के जन्म से 15 दिवस पूर्व से अवकाश पर प्रस्थान की अवधि दिनों में )

इसे निम्नलिखित उदाहरणों से समझने का प्रयास करते है :

Order >> Maternity leave in case child born before appointment fin order Dt. 23-12-2021

Q1 – किसी महिला कार्मिक की राजकीय सेवा में नियुक्ति दिनांक 15.12.2021 है जिसने 30.11.2021 को एक संतान को जन्म दिया है और 23.12.2021 से मातृत्व अवकाश हेतु आवेदन करती है तो उसे कितने दिन का मातृत्व अवकाश मिलेगा?

उत्तर – इस स्थिति में प्रसूति दिनांक 30.11.2021 के 15 दिन पूर्व दिनांक 15.11.2021 से 14.05.2022 को 180 दिन की अवधि पूरी होती है। अतः कार्मिक को दिनांक 23.12.2021 से 14.05.2022 तक 142 दिन का मातृत्व अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।

Q2 – किसी महिला कार्मिक की राजकीय सेवा में नियुक्ति दिनांक 15.12.2021 है जिसने 13.09.2021 को एक संतान को जन्म दिया है और 23.12.2021 से मातृत्व अवकाश हेतु आवेदन करती है तो उसे कितने दिन का मातृत्व अवकाश मिलेगा?

उत्तर – वित्त विभाग के ज्ञापन दिनांक 23.12.2021 एवं माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा प्रकरण संख्या 4384/2020 में दिए निर्णय में बच्चे के जन्म के 15 दिन पूर्व से जन्म के तीन माह बाद तक की अवधि को ही प्रसूति अवधि (period of confinement) माना है। इस मामले में संतान का जन्म राजकीय सेवा में नियुक्ति से 3 माह पूर्व हुआ है। अतः मातृत्व अवकाश लाभ नही मिलेगा।

Income Tax Section 80D

पोस्ट तैयारकर्ता
C P Kurmi
चन्द्र प्रकाश कुर्मी, प्राध्यापक भौतिकी
राउमावि. टोडारायसिंह (टोंक)
cpkurmi@gmail.com

Income tax Section 80GG

रोजाना एक प्रश्न – क्रमांक 340

Income tax Section 80D

मेडिक्लेम पालिसी/ स्वास्थ्य बीमा पिछले एक दशक में लोकप्रिय हो रही हैं। यह किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य समस्याओं के मामले में बीमाधारक/ निवेशक को चिकित्सा कवर प्रदान करता है। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियाँ आपात स्थिति के मामले में किसी की बचत को बचाने में मदद करती हैं। व्यक्तियों को स्वास्थ्य नीतियों को लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार आपके और आपके परिवार या माता-पिता के लिए आपके द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम पर कुछ कर लाभ प्रदान करती है। आयकर अधिनियम की धारा 80डी प्रीमियम से संबंधित भुगतान और उससे जुड़े टैक्स लाभों के नियमों का पालन करती है।

धारा 80D के तहत कर लाभ का दावा कौन से मामलों में कर सकता है?

एक निवेशक स्वयं, परिवार (18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और माता-पिता) के लिए स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए दावा कर सकता है। भाई-बहनों या अन्य रिश्तेदारों की ओर से भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए कटौती उपलब्ध नहीं होती है। समूह बीमा प्रीमियम के लिए भी यह कटौती उपलब्ध नहीं है।

वह राशि जो धारा 80D में कर राहत के लिए दावा की सकती है |

  1. 60 वर्ष से कम आयु के निवेशक भुगतान किए गए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के मुकाबले अधिकतम 25,000 रुपये तक प्रति वर्ष का दावा कर सकते हैं| इसमें स्वयं, पति / पत्नी, आश्रित बच्चों के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम शामिल होता है।
    (अधिकतम दावा योग्य राशि 25000 रुपये)
  2. 60 वर्ष से कम आयु के निवेशक अपने माता-पिता (60 वर्ष से कम आयु) के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम की कटौती के रूप में अधिकतम 25000 रुपये तक का दावा भी कर सकता है।
    ( अधिकतम दावा योग्य राशि 25000 स्वयं + 25000 माता-पिता = 50000 रुपये)
  3. 60 वर्ष से कम आयु के निवेशक अपने माता-पिता(60 वर्ष से ऊपर) के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम की कटौती के रूप में अधिकतम 50000 रुपये तक का दावा भी कर सकता है।
    ( अधिकतम दावा योग्य राशि 25000 स्वयं + 50000 माता-पिता = 75000 रुपये)
  4. निवेशक स्वयं (60 वर्ष से ऊपर) तथा अपने माता-पिता (60 वर्ष से ऊपर) के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम की कटौती के रूप में अधिकतम 50000 रुपये तक का दावा भी कर सकता है।
    ( अधिकतम दावा योग्य राशि 50,000 स्वयं + 50,000 माता-पिता = 100,000 रुपये)

इन चारों स्थतियों में प्रतिवर्ष हेल्थ चेकअप के 5000 रूपये भी शामिल है | हेल्थ चेकअप कराओ या नहीं कराओ | केन्द्रीय कार्मिकों के लिए फाइनेंस एक्ट 2010 के आदेश क्रमांक F.No.142/1/2011-SO(TPL) Dated, 6th April, 2011 के बिंदु 15 के अनुसार CGHS Contribution को आयकर अधिनियम की धारा 80D में कर राहत के लिए शामिल किया गया है | जिसमे कटौती की अधिकतम सीमा वित्तीय वर्ष 2021-22के लिए 25,000 रुपये तक है।

यहां ध्यान देना महत्वपूर्ण है, कि यदि निवेशकों के माता-पिता की आयु 60 से ऊपर है, तब ऊपर बिंदु 2 के लिए सीमा 50,000 रुपये तक बढ़ जाती है। यदि स्वयं व्यक्ति की आयु 60 वर्ष से अधिक है, तो बिंदु 1 की सीमा भी 50,000 रुपए तक बढ़ जाती है।

अब हम कुछ उदाहरणों की मदद से उपरोक्त को समझने का प्रयास करेंगे

उदाहरण : A

मिस्टर X एक 31 वर्षीय व्यापारी है और अपने पति / पत्नी और 4 साल की बेटी के साथ रहता है। उनके साथ उनके माता-पिता भी हैं, जिनकी उम्र 58 और 56 वर्ष है। मिस्टर X अपने परिवार के लिए सालाना 20,000 रुपये का प्रीमियम चुकाता है। इसके अलावा, वह अपने माता-पिता के लिए 30,000 रुपये का वार्षिक स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम भी चुकाता है।

उपरोक्त मामले में, भले ही श्री X कुल 50,000 रुपये का प्रीमियम चुकाता है, वह केवल 80D के तहत 45,000 रुपये के लिए कर-बचत लाभों का दावा कर सकता है। वह अपने, पति / पत्नी और 4 साल की बेटी के लिए प्रीमियम 20,000 रुपये की संपूर्ण कटौती का दावा कर सकता है,किन्तु , उसके माता-पिता की आयु 60 वर्ष से कम है इसलिए, उसे केवल 25,000 रुपये का लाभ मिलेगा न कि 30,000 रुपये का ।

इसलिए, कुल कटौती धारा 80D में दावा 45,000 रुपये (20,000 + 25,000 रुपये ) होगा।

उदाहरण : B

मिस्टर Y एक वेतनभोगी 45 वर्षीय व्यक्ति है। वह अपनी पत्नी, 2 बच्चों और अपनी माँ जो 69 वर्ष की है। मिस्टर Y 28,000 रुपये का वार्षिक प्रीमियम (स्व + जीवनसाथी + 2 बच्चों के लिए) और 59,000 रुपये (माँ के लिए) चुकाता है।

उपरोक्त मामले में, भले ही मिस्टर Y 87,000 रुपये का कुल प्रीमियम चुकाते हैं, लेकिन वे केवल धारा 80 डी के तहत 75,000 रुपये के लिए कर-बचत लाभों का दावा कर सकते हैं। वह स्वयं, अपने पति या पत्नी और बच्चे के लिए अधिकतम 25,000 रुपये की कटौती का दावा कर सकता है ,भले ही उसने वास्तव में 28,000 का भुगतान किया हो। इसी प्रकार वह अपनी मां के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए अधिकतम 50,000 रुपये का दावा कर सकता है, भले ही वास्तविक भुगतान 59,000 रुपये हो।

इसलिए, कुल कटौती धारा 80D में दावा 75,000 रुपये ( 25,000 रु + 50,000 रु ) होगा।

स्वास्थ्य बीमा में कर लाभ के अलावा प्रमुख फायदे

स्वास्थ्य बीमा के लाभ उनके कर लाभों तक ही सीमित नहीं हैं। भले ही दावा योग्य प्रीमियम कटौती एक अच्छे प्रोत्साहन के रूप में काम करती है, भले ही उनके बिना स्वास्थ्य बीमा अत्यधिक अनुशंसित हो। कुछ प्रमुख लाभ नीचे सूचीबद्ध हैं।

  • चिकित्सा व्यय के विरुद्ध कवरेज।
  • गंभीर बीमारियों के खिलाफ कवरेज।
  • कैशलेस लाभ।
  • अपने नियोक्ता कवर के ऊपर और उसके ऊपर सुरक्षा।

Leave Rules General Information

Shyam Sunder Bhambhu

पोस्ट तैयारकर्ता
श्री श्याम सुंदर भांभू सूरपुरा
वरिष्ठ सहायक
राउमावि सूरपुरा
ब्लॉक- नोखा जिला बीकानर

अवकाश नियमों की जानकारी – 1

अवकाश अधिकार नहीं है – RSR खंड प्रथम के नियम 59 के अनुसार अवकाश को अधिकार के रूप में नहीं मांगा जा सकता है । अवकाश स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी को यह विवेक होगा कि वह जन सेवाओं के हित में अवकाश स्वीकृत करने से मना कर दे अथवा स्वीकृत अवकाश को किसी भी समय खंडित कर दें । अन्य प्रमुख नियम निम्न प्रकार है ।

  • स्वीकृति प्राधिकारी के विवेक पर कर्मचारी द्वारा आवेदित एवं देय अवकाश की प्रकृति नहीं बदली जा सकती है ।
  • यदि किन्हीं कारणों से प्राधिकारी को लगे या विश्वास हो जाए कि कर्मचारी अवकाश संबंधी नियमों अथवा उनके आशयों का गलत तरीके से लाभ उठाने की चेष्टा की जा रही है तो इस नियम के अन्तर्गत अपने विवेकाधिकार का उपयोग कर उसके अवकाश को अस्वीकृत कर सकता है ।
  • नियम -59 के निर्णय संख्या 3 के अनुसार कोई भी कार्मिक स्वीकृत अवकाश की प्रकृति को परिवर्तित करवा सकता है शर्त यह है कि आवेदित अवकाश शेष एवं देय होना चाहिए तथा अवकाश प्रकृति को परिवर्तन करवाने का प्रार्थना पत्र तीन माह से पहले दिया जाना चाहे । जैसे किसी कार्मिक ने 10 दिन का अर्द्ध वेतन अवकाश लिया और तीन माह की अवधि में उसने अवकाश कि प्रकृति उपार्जित अवकाश में परिवर्तित करवाने का आवेदन किया जो आवेदित अवधि में शेष था तो उसकी प्रकृति को बदला जा सकेगा ।
  • प्रत्येक कर्मचारी को अवकाश आवेदन पत्र में अपना पता लिखना चाहिए , अवकाश अवधि में पते में परिवर्तन हो तो उसकी तुरंत सूचना दी जानी चाहिए । (नियम 60 ए)
  • अवकाश पर प्रस्थान से पूर्व आने वाले सार्वजनिक अवकाश या एक से अधिक सार्वजनिक अवकाश हो तो कर्मचारी उस पूर्व के दिन वाले कार्य दिवस की समाप्ति पर अपना कार्यालय छोड़ सकता है अथवा बाद में पड़ने वाले सार्वजनिक अवकाश की समाप्ति पर लौट सकता है किन्तु शर्त यह है कि उसके स्थानांतरण या कार्यभार संभालने में स्थायी अग्रिम राशि अतिरिक्त प्रतिभूतियों या धन राशि का संभालना सम्मिलित नहीं है । नियम 61 एवं 63

READ POST PART-2

  • अवकाश से वापिस बुलाना- किसी राज्य कर्मचारी को उसके अवकाश की अवधि समाप्त होने के पूर्व ही सेवा पर वापिस बुलाने के आदेशों में यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि क्या अवकाश पर से सेवा में वापिस आना स्वेच्छिक है अथवा आवश्यक है । यदि वापिस आना स्वेच्छिक हो तो राज्य कर्मचारी किसी सुविधा का अधिकारी नहीं है । यदि यह वापिस आना आवश्यक हो तो वह उस दिनांक से सेवा पर उपस्थित माने जाने का अधिकारी है जिसको वह उस स्थान के लिए प्रस्थान करता है जिस पर पहुँचने के लिए आदेश दिया गया है तथा यात्रा भत्ता नियमों के अन्तर्गत वह यात्रा भत्ता प्राप्त करने का अधिकारी है , किन्तु जब तक वह अपना पदभार ग्रहण नहीं करता है , तब तक वह अवकाश वेतन पर ही रहेगा । नियम 66
  • अवकाश या अवकाश वृद्धि के लिए आवेदन – पत्र उसी प्राधिकारी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए जो अवकाश या उसमें वृद्धि को स्वीकृत कर सकता हो । नियम -67
  • किसी भी प्रकार के अवकाश को किसी भी अन्य अवकाश जो सेवा नियम 7(15) में वर्णित है के साथ या उसकी निरंतरता में स्वीकृत किया जा सकता है । नियम – 88
  • आकस्मिक अवकाश को अवकाशों की श्रेणी में नहीं रखा गया है अतः आकस्मिक अवकाश अन्य अवकाश के साथ या उसकी निरंतरता में स्वीकृत नहीं किया जा सकेगा । RSR खंड द्वितीय परिशिष्ट 1.3

Income Tax Section 80GG

पोस्ट तैयारकर्ता
C P Kurmi
चन्द्र प्रकाश कुर्मी, प्राध्यापक भौतिकी
राउमावि. टोडारायसिंह (टोंक)
cpkurmi@gmail.com

Income tax Section 80GG

Income tax Section 80GG

धारा 80GG आयकर अधिनियम – भुगतान किए गए किराए के संबंध में कटौती

अगर आपको HRA (हाउस रेंट अलाउंस) नहीं मिलता है लेकिन आप किराये के मकान में रहते हैं, तब भी आयकर अधिनियम, 1961 के धारा 80GG के अंतर्गत आपको दिए हुए किराये पर टैक्स छूट मिल सकती है । धारा 80GG के अंतर्गत सालाना 60,000 रु. ( 5,000 रु. प्रति महीना) की अधिकतम छूट की अनुमति है। आपको इस धारा का लाभ नहीं मिल सकता है अगर आपके (या आपकी पत्नी /बच्चे) के पास खुद का घर है । इस धारा के फायदे का दावा करने के लिए, आपको 10BA फॉर्म भरना होगा।

कौन धारा 80GG के अंतर्गत छूट का दावा कर सकता है ?

  • कोई भी नौकरीपेशा/स्वयं रोज़गार (अपना बिज़नस करने वाला) व्यक्ति जिसे हाउस रेंट अलाउंस (HRA) नहीं मिलता है और वित्तीय वर्ष (Financial year) के दौरान कभी भी HRA नहीं मिला है।

धारा 80GG के अंतर्गत निम्नलिखित में से जो भी सबसे कम छूट होगी वो आपको दी जाएगी:

  • किराए से मूल वेतन का 10% घटाने के बाद
  • 60,000 रू. प्रति वर्ष (5,000 रु. प्रति महिना)
  • कुल आय का 25% (मूल रूप से अपना बिज़नस करने वालों के लिए)

टैक्स छूट गणना : उदाहरण A

रमेश साल का 5 लाख कमाता है (सारी कटौती के बाद) और किराए के घर में रहता है जिसके लिए उसे कोई भी हाउस रेंट अलाउंस नहीं मिल रहा है। रमेश साल का 1.5 लाख रूपए किराया देता है। ऐसे मामले में निम्न में से कम टैक्स छूट दी जाएगी।

  • स्तिथि 1 : हर महीने 5,000 रू. की मासिक किराये की सीमा जो है 60,000 रु. प्रति साल।
  • स्तिथि 2 : दिया हुआ किराया 1.5 लाख माइनस 50,000 (वार्षिक आय का 10%) = 1 लाख रु.।
  • स्थिति 3 : पूरी वार्षिक आय का 25% = 1.25 लाख रु.।

ऊपर दिए गए उदाहरण में, क्योंकि पहली स्तिथि में सबसे कम पैसे हैं इसलिए रमेश को स्तिथि 1 के हिसाब से लाभ मिलेगा. याद रखें कि आपको HRA टैक्स छूट वार्षिक 60,000 रु. से ज़्यादा की नहीं मिल सकती. अगर अन्य किसी स्तिथि में टैक्स छूट 60,000 रु. से कम बनती है तो आपको उतनी टैक्स छूट मिलेगी।

टैक्स छूट गणना : उदाहरण B

रमेश साल का 3 लाख कमाता है (सारी कटौती के बाद) और वो किराए के घर में रह रहा है जिसके लिए उसे कोई भी हाउस रेंट अलाउंस नहीं मिल रहा है। रमेश एक महीने का 6,000 रू. किराया देता है और साल का किराया हो जाता है 72,000 रू.। ऐसे मामले में निम्न से सबसे कम वाली स्तिथि की टैक्स छूट मिलेगी:

  • स्तिथि 1: हर महीने 5,000 रु. की मासिक किराये की सीमा जो है 60,000 रु. प्रति वर्ष।
  • स्तिथि 2: दिया हुआ किराया जो है 72,000 रु. में से 30,000 घटाओ (वार्षिक आय का 10%) = 42,000 रु.।
  • स्तिथि 3: पुरे वार्षिक आय का 25%= 75,000 रु.।

ऊपर दिए गए उदाहरण में, क्यूंकि दूसरी स्तिथि 2 में सबसे कम पैसे हैं इसलिए रमेश को स्तिथि 2 के हिसाब से टैक्स छूट मिलेगी. याद रखें कि आपको HRA टैक्स छूट वार्षिक 60,000 रु. से ज़्यादा की नहीं मिल सकती. अगर अन्य किसी स्तिथि में टैक्स छूट 60,000 रु. से कम बनती है तो आपको उतनी टैक्स छूट मिलेगी.

फॉर्म 10BA : टैक्स देने वाला व्यक्ति धारा 80GG के अंतर्गत टैक्स छूट के लिए फॉर्म 10BA भरता है। फॉर्म बहुत आसानी से सारे टैक्स कार्यालयों में, कर्मचारी के HR विभाग में मिलता है या आप कई वेबसाइटों से भी इसे डाउनलोड कर सकते हैं। आपको फॉर्म भरने के समय निम्न जानकारियां सहीं और अपडेट होनी चाहिये।

  • नाम तथा पैन न०
  • पूरा पता पिन कोड सहित
  • कब से उस पते पर रह रहे हैं
  • किराया भुगतान का तरीका
  • किराया भुगतान की राशि
  • मकान मालिक का नाम और पता
  • अगर कर निर्धारण वर्ष के लिए साल का किराया 1 लाख से ज्यादा है, तो मकानमालिक का पैन नंबर देना ज़रूरी है।
  • इस बात की घोषणा कि आप या आपकी पत्नी/बच्चे के नाम कोई घर नहीं है या HUF से जिसके वो सदस्य हैं।

SI and GPF last deduction

Rebate Category Section 80G Deduction

यशवन्त कुमार जाँगिड़
अध्यापक
राप्रावि जगदेवपुरा डाँडा जिला बाराँ

#337 एसआई एवं जीपीएफ अंतिम कटौती किस माह से की जाती है तथा SI पॉलिसी विस्तार लाभ क्या है, इनकी जानकारी हेतु निम्न बिंदुओं पर एक नजर डाले ।

  • राज्य बीमा पॉलिसी की परिपक्वता तिथि सदैव 01 अप्रेल ही होती है और सामान्यतः सेवानिवृत्ति तिथि से पूर्व आने वाली 1 अप्रेल ही एसआई परिपक्वता तिथि होती है।
  • राज्य बीमा नियम 1998 के नियम 18(3) के अनुसार परिपक्वता तिथि से तीन माह पूर्व राज्य बीमा कटौती बन्द कर दी जाती है। सामान्यतः जिनकी पॉलिसी 1 अप्रेल को परिपक्व होती है, उनकी अंतिम SI कटौती पूर्ववर्ती वर्ष के नवम्बर (देय दिसम्बर) माह के वेतन से की जाती है।
  • ऐसे कर्मचारी जिनकी सेवानिवृत्ति तिथि 01.04.2022 से 31.03.2023 के मध्य है, उनकी राज्य बीमा पॉलिसी सामान्यतः 01.04.2022 को परिपक्व हो जाएगी। अतः इन कर्मचारियों के माह नवम्बर 2021 (देय दिसम्बर) के वेतन से राज्य बीमा की अंतिम कटौती करनी है।
  • अंतिम एसआई कटौती पश्चात इन कर्मिकों का परिपक्वता दावा प्रपत्र SIPF पोर्टल पर ऑनलाईन कर हार्डकॉपी मय बीमा पॉलिसी, बीमा रेकार्ड बुक एवं अंतिम तीन वर्ष का जीए 55A एवं परिशिष्ट ‘क’ संलग्न कर 31 जनवरी तक राज्य बीमा विभाग को भिजवाएं ताकि कार्मिक को पोलिसी परिपक्वता राशि का भुगतान समय पर किया जा सकें।
  • राजस्थान राज्य कर्मचारी सामान्य प्रावधायी निधि नियम 1997 के नियम 12 के अनुसार जीपीएफ की अंतिम कटौती नियमानुसार सेवानिवृत्ति से 3 माह पूर्व बंद की जाती है।
  • अतः जीपीएफ की कटौती सेवानिवृत्ति से 3 माह पूर्व के वेतन बिल से काटना सुनिश्चित करें। जैसे – किसी कार्मिक की सेवानिवृत्ति 30 अप्रेल 2022 को है तो जनवरी 2022 (देय फरवरी) के वेतन बिल से जीपीएफ की अंतिम कटौती की जाएगी।
  • राजस्थान राज्य कर्मचारी बीमा नियमों के अनुसार कार्मिक की सेवानिवृति तिथि से ठीक पूर्व आने वाली 1 अप्रेल को पॉलिसी परिपक्व हो जाती है, लेकिन अगर कार्मिक चाहे राज्य बीमा नियम 39(2)(i) के अनुसार पॉलिसी अवधि विस्तार का विकल्प भी ले सकता है। इसके लिए परिपक्वता तिथि के 15 दिन पूर्व (15 मार्च तक) डीडीओ के माध्यम से अपना विकल्प सम्बंधित जिले के SIPF ऑफिस भेजकर सेवानिवृति के ठीक बाद में आने वाली 31 मार्च तक अपनी एसआई पॉलिसी को जारी रख सकते हैं। ऐसी स्थिति में बीमाकृत राशि विस्तारित अवधि के बोनस सहित कार्मिक की सेवानिवृति के ठीक पश्चात आने वाली 01 अप्रैल को संदेय होगी।
  • राजकीय कार्मिकों द्वारा उक्त विकल्प लेने पर राजस्थान सरकारी कर्मचारी बीमा नियम 51 के अनुसार सेवानिवृति के ठीक पश्चात आने वाले 31 मार्च तक कार्मिक की मृत्यु होने बीमाकृत राशि की दुगुनी राशि का भुगतान किया जाएगा तथा नियम 18 (2) के अनुसार एसआई प्रीमियम बीमाकृत व्यक्ति की सेवानिवृत्ति तक वेतन से वसूलनीय होगा और सेवानिवृत्ति पश्चात का शेष बकाया प्रीमियम बिना ब्याज के दावे की रकम मे से वसूलनीय होगा ।
error: भैया जी कॉपी की करने की बजाय पीडीएफ़ डाउनलोड कर लो !!