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Monthly Archives: December 2021

SDMC Formation and Operation

Information regarding School fund uses in rajasthan

श्री लीलाराम प्रधानाचार्य राउमावि
मुबारिकपुर (रामगढ) अलवर
SDMC Formation and Operation

शाला विकास एवं प्रबंधन समिति के गठन एवं संचालन सम्बन्धी समस्त जानकारी

रोजाना एक प्रश्न #336

  • शाला विकास एवं प्रबंधन समिति (एसडीएमसी) के गठन, कार्य दायित्व, कोरम पूर्ति, प्रस्ताव, कार्य अनुमोदन आदि के संबंध में (श्रीमान निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान ,बीकानेर के परिपत्र दिनांक 6 जुलाई 2016 के संदर्भ में) समस्त राजकीय माध्यमिक, उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 9 से 12 तक के लिए विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति तथा कक्षा 1 से 8 तक के लिए विद्यालय प्रबंधन समिति के गठन के आदेश दिनांक 21.1.2015 के द्वारा जारी किए गए हैं।
  • माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार एवं विद्यालय भवन के विकास संबंधी कार्य एसडीएमसी के द्वारा किए जाएंगे। इसके साथ ही समग्र शिक्षा अभियान से प्राप्त अनुदान, विकास शुल्क एवं अन्य प्राप्त होने वाली राशियों का लेनदेन अथवा लेखा-जोखा इस समिति द्वारा संधारित किया जाएगा।
  • विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति तथा अन्य उप समितियों के गठन हेतु संरचना एवं इनके दायित्व शासन की स्वीकृति क्रमांक प.17 (22) शिक्षा_ 1/ 2016, जयपुर दिनांक 1. 7.2016 के क्रम में आंशिक संशोधन उपरांत एतद द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।

एसडीएमसी गठन हेतु सामान्य निर्देश :

वर्तमान गाइड लाइन के अनुसार एसडीएमसी में कार्य कारिणी समिति में कुल 23 सदस्य शामिल होंगे जिसमें प्रधानाचार्य अथवा प्रधानाध्यापक समिति का अध्यक्ष होगा तथा प्रधानाचार्य अथवा प्रधानाध्यापक द्वारा नामित मुख्य शिक्षक (हेड टीचर)/ वरिष्ठतम व्याख्याता उच्च माध्यमिक विद्यालय में ) वरिष्ठतम वरिष्ठ अध्यापक माध्यमिक विद्यालय में सदस्य सचिव के रूप में काम करेंगे।

  • 1.विद्यालय द्वारा अनावर्ती मद (non-recurring )में खरीद करने पर सी बी ई ई ओ /SMSA कार्यालय के लेखाकार /कनिष्ठ लेखाकार को सदस्य के रूप में मनोनीत किया जाए।
  • 2. एसडीएमसी के निर्धारित सदस्यों में कम से कम 1 सदस्य ऐसा हो जो एसएमसी में भी सदस्य हो एवं कुल एसडीएमसी सदस्यों में से कम से कम 50% महिला सदस्य हो।
  • 3.एसडीएमसी की कार्यकारिणी समिति का कार्यकाल दो शैक्षिक सत्र हेतु होगा तत्पश्चात नवीन कार्यकारिणी हेतु निर्वाचन होगा।
  • 4.सत्रारंभ में एसडीएमसी के गठन के लिए साधारण सभा की बैठक जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोजित की जानी चाहिए उक्त बैठक में साधारणतया सर्वसम्मति से सदस्यों का मनोनयन किया जाए जहां सर्वसम्मति न हो वहां उपस्थित सदस्यों में से बहुमत की राय को प्राथमिकता दी जाए।
  • 5 .प्रत्येक बैठक की अध्यक्षता के लिए सभा अध्यक्ष प्रस्तावित किया जावे जो कि स्थानीय समुदाय से होना चाहिए।
  • 6.एसडीएमसी गठन के बाद एक बोर्ड तैयार कर सभी कार्यकारिणी सदस्यों के नाम ,पता ,दूरभाष अथवा मोबाइल नंबर सर्वसाधारण हेतु उपलब्ध कराए जाएं।

एसडीएमसी के कार्य एवं दायित्व

विद्यालय विकास

  • विद्यालय की विकास योजना प्रतिवर्ष 31 जुलाई से पूर्व तैयार करना।
  • समग्र शिक्षा अभियान के निम्नांकित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु कार्य योजना बनाकर लक्ष्य प्राप्त करना।
  • विद्यालय की नामांकन दर आदर्श नामांकन संख्या प्राप्त करना।
  • माध्यमिक स्तर की ड्रॉपआउट दर 2.5% से नीचे लाना।
  • विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिए भौतिक, मानवीय, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संसाधन उपलब्ध कराना जिससे कि विद्यार्थियों में विद्यालय के शैक्षिक एवं सह शैक्षिक विकास को सुनिश्चित किया जा सके तथा विद्यालय का समाज के साथ संबंध स्थापित हो सके।
  • प्रत्येक तीन माह में विद्यालय विकास की या विद्यालय योजना की प्रगति शाला दर्पण पर अपलोड करवा कर विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करवाना।

वित्तीय प्रबंधन

  • एसडीएमसी के खाते में प्राप्त राशि का रिकॉर्ड संधारण किया जाना।
  • समिति अपने कोष का उपयोग आवृत्ति (recurring )/अनावर्ती (non recurring) मद में कर सकेगी।
  • समिति केंद्र अथवा राज्य सरकार के वित्तीय मैनुअल के अनुसार व्यय कर सकेगी।
  • बैंक खाते से लेन-देन समिति के अध्यक्ष व सदस्य सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से किए जाएंगे समिति की प्रत्येक बैठक में नियमित रूप से वित्तीय लेखों का अनुमोदन कराया जाएगा।
  • एसडीएमसी की सलाह से ही विद्यालय की वार्षिक सहायता, भामाशाह/जनसहयोग राशि , विद्यार्थी कोष तथा विकास शुल्क का उपयोग किया जाएगा।

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बैठकों का आयोजन

  • कार्यकारिणी समिति की मासिक बैठक विभाग के निर्देशानुसार प्रत्येक अमावस्या को रखी जाएगी जिसका कोरम न्यूनतम 50 % कार्यकारिणी सदस्यों की उपस्थिति से ही पूर्ण होगा।
  • अति आवश्यक होने पर विद्यालय हित में कभी भी एसडीएमसी बैठक का आयोजन किया जा सकेगा।
  • समिति की कार्यकारिणी की बैठक हेतु प्रधानाचार्य अथवा प्रधानाध्यापक द्वारा सभी सदस्यों को 2 सप्ताह पूर्व लिखित में अथवा एस एम एस द्वारा सूचित किया जाएगा।
  • समिति की सभी गतिविधियों की प्रगति की सूचना प्रत्येक तीन माह में शाला दर्पण पर अपडेट की जाएगी।
  • एसडीएमसी की प्रत्येक बैठक के कार्यवाही विवरण का संधारण निर्धारित प्रारूप में नियमित रूप से एक रजिस्टर में संधारित किया जाएगा जैसे बैठक आयोजन की दिनांक ,सभा अध्यक्ष का नाम ,बैठक में उपस्थित सदस्यों की संख्या ,बैठक में लिए गए प्रस्ताव विवरण या प्रस्तुतीकरण ,प्रस्ताव प्रस्तुत करने वालों की संख्या , प्रस्ताव प्रस्तुत करने वालों में महिलाओं की संख्या …

उप समितियों का गठन एवं दायित्व

  • विद्यालय भवन उप समिति जो कि भवन निर्माण एवं मेजर रिपेयर हेतु योजना बनाने का, विद्यालय भवन का प्रबंधन एवं संचालन , मॉनिटरिंग पर्यवेक्षण, रिपोर्टस लेखों का संधारण ,लेखों की मासिक रिपोर्ट बनाना आदि के लिए जिम्मेदार होगी जिसकी रिपोर्ट एसडीएमसी को नियमित रूप से की जाएगी। यह समिति निर्माण कार्यों को वित्तीय नियम अनुसार अनुबंध पर करवा सकेगी अथवा स्वयं भी कर सकेगी समिति में कुल 6 सदस्य होंगे।
  • प्रधानाचार्य अथवा प्रधानाध्यापक अध्यक्ष तथा उच्च माध्यमिक विद्यालयों में वरिष्ठ व्याख्याता वह माध्यमिक विद्यालयों में वरिष्ठतम वरिष्ठ अध्यापक इस समिति के सदस्य सचिव होंगे।
  • साथ ही पंचायत या स्थानीय शहरी निकाय का एक प्रतिनिधि व एक अभिभावक प्रतिनिधि , निर्माण कार्य से जुड़े अनुभवी अथवा तकनीकी व्यक्ति (JEN SMSA ) यह भी सदस्य होंगे, इसके अलावा लेखा, ऑडिट शाखा का प्रतिनिधि ( संस्था का लेखा कार्मिक ) होगा। इस प्रकार 6 सदस्यों की यह विद्यालय भवन उप समिति होगी।

शैक्षिक उप समिति

  • शैक्षिक गतिविधियों की कार्य योजना निर्माण तथा इसके प्रभावी क्रियान्वयन , मूल्यांकन , रिपोर्टस की समीक्षा, सुझावों का परीक्षण का कार्य करेगी तथा आगामी कार्य योजना में शैक्षिक मुद्दों से संबंधित विचारों को शामिल करने हेतु अनुशंसा करेगी।
  • शैक्षिक गुणवत्ता सुधार हेतु समय बद्ध कार्य योजना निर्माण और क्रियान्वयन, शैक्षिक समंको का विश्लेषण एवं निम्न उपलब्धि के क्षेत्रों में सम्बलन हेतु कार्य योजना प्रस्तुत करने का कार्य इस शैक्षिक उप समिति के कार्य होगें।
  • शैक्षिक उप समिति में कुल 8 सदस्य होंगे जिसमें प्रधानाचार्य अथवा प्रधानाध्यापक इस समिति का अध्यक्ष होगा तथा उच्च माध्यमिक विद्यालय में वरिष्ठतम व्याख्याता व माध्यमिक विद्यालय में वरिष्ठतम अध्यापक इस समिति के सदस्य सचिव होंगे इसके अलावा अभिभावक प्रतिनिधि तथा विज्ञान, गणित मानविकी ,कला ,संस्कृति, क्राफ्ट खेलकूद ,भाषा विशेषज्ञ व प्रधानाचार्य अथवा प्रधानाध्यापक द्वारा मनोनीत विद्यार्थी इसके सदस्य होंगे।

GPF Final Claim online at retirement

Paymanager Bill Auto Process

Created by
श्री दिलीप कुमार
सेवानिवृत्त व्याख्याता
निवासी सादड़ी जिला पाली

GPF Final Claim online

GPF का सेवानिवृति पर फाइनल क्लेम कैसे ऑन लाइन करने के लिए निम्न प्रक्रिया अपनाए :

  • 1) GPF का फाइनल क्लेम sso id से सबमिट करने के लिए सर्व प्रथम GPF की मूल पास बुक को अपडेट कर लेवें एवं उसकी एक पीडीएफ बना कर सेव रखें जो 3 MB से कम Size की हो। पासबुक में शुरू से अंत तक प्रति पेज पर हर महीने में Bill No, Bill date, (TV नम्बर अथवा भुगतान तिथि)अवश्य अंकित हो तथा हर पेज की वर्ष वार कटौतियों की राशि का योग लगावें एवं प्रति पेज वित्तीय वर्ष वार DDO के हस्ताक्षर मय सील प्रमाणित करावें।
  • 2) इसके साथ ही 50 रु के स्टाम्प पर Indemnity Bond को तैयार कर उसे DDO से प्रमाणित करवा कर पीडीएफ बनाकर किसी Folder में Save रखें। इसके साथ ही कार्मिक के सेवानिवृति आदेश की भी पीडीएफ बना लेवें।
  • 3) अब कार्मिक की SSO Id से लॉगिन कर STATE INSURANCE AND PROVIDENT FUND(NEW) ICON पर Click करें। Claim आवेदन से पूर्व कार्मिक Update E-Bag Option को Check कर लें कि वहाँ आपके Claim से सम्बंधित Documents Upload है या नहीं अन्यथा Active Window पर Claim आवेदन Validate करते समय *Upload Documents in E-BAG सम्बंधित Error Show होगा। अतः इस Option से आवश्यकता अनुसार GPF PASSBOOK, INDEMNITY BOND व Retirement Order आदि Upload कर E-BAG Update कर दें।
  • 4) डैशबोर्ड पर राइट साइड में Click For GPF Transaction पर Click कर GPF Claim को Select कर उस पर Click करें।
  • 5) Type of Claim में निम्न Options Show होंगे
    > Complsury retirement
    > Superannuation
    > Terminated
    > Voluntary retirement
    इसमे से अधिवार्षिकी आयु पूर्णता पर सेवानिवृत्ति के लिए Superannution को Select करें।
  • 6) Window पर Open फॉर्म में निम्न सूचनाएं भरें।
    > Date of Retirement
    > Application Date
    > Claim amount (यह Auto Filled मिलेगा।)
    > Total amount
  • 7) नीचे एक चेक बॉक्स 🔲 दिया गया है Transfer in Retired account उसमें ✅ Mark करें एवं यदि Claim की पूरी राशि आहरित करना चाहते हैं तो सम्पूर्ण Claim Amount को Bank के कॉलम में राशि फीड कर देवें एवं in Reterement Account में शून्य भर दें।
  • 8) यदि सेवानिवृति के बाद GPF Account Re Open कर उसमें पूरी राशि अथवा आंशिक राशि पुनः जमा करवाना चाहते है तो राशि को Bank एवं in Retirment Account इन दोनों Columns में सम्पूर्ण Claim Amount को स्प्लिट कर दोनों में राशि अपनी इच्छा अनुसार भर देवें परन्तु यह ध्यान रखे दोनो कॉलम में लिखी राशि का योग क्लेम की राशि से अधिक नहीं हो। अब Next Tab पर क्लिक कर आगे बढ़ें।
  • 9) Next Tab में आपकी बैंक Details पे मैनेजर से Auto Fetch हो कर Show होगी उसे अच्छी तरह से चेक करें एवं बैंक Details सही हो तो 🔲 में Tick Mark ✅ कर Next पर Click कर आगे बढ़ें।

नोट:- यदि बैंक Details में कोई सुधार अपेक्षित हो तो पहले उसे पे मैनेजर पर Update करें।

  • 10) Documents टैब में आप द्वारा E-bag में Save किये गए documents शो होंगे उसे एक बार पुनःOpen कर चेक कर लें एवं प्रत्येक Documents को Validate कर Save करें।
  • 11) अब क्लेम सबमिट करने के लिए दो ऑप्शन दिए गए है Submit With Aadhar/Submit With Janaadhar इन दोनों में से किसी एक को Select कर मोबाइल पर प्राप्त OTP से Verifed कर क्लेम फॉर्म को फाइनल सबमिट कर दें।
  • 12) Transaction टैब से सबमिट किये गए क्लेम फॉर्म की हार्ड कॉपी प्रिंट कर लें।
  • 13) निदेशक राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग द्वारा यह पूरा प्रोसेस पेपर लेस है फिर भी यदि आपके SIPF कार्यालय द्वारा हार्ड कॉपी मांगी जाती है तो निम्न दस्तावेज सलंग्न कर प्रकरण SIPF कार्यालय को भेज दें।
    • 1. ऑन लाइन सबमिट फॉर्म की हार्ड कॉपी
    • 2. Gpf की मूल पास बुक एवं मूल प्रमाणित Idemnity bond
    • 3 . एक Cancelled Cheque या बैंक पास बुक की कॉपी का प्रथम पेज
    • 4. तीन साल के Ga 55
    • 5. सेवा विवरण
  • 14) आप Track my application tab से अपने क्लेम का स्टेटस भी चेक कर सकते है। वैसे क्लेम का भुगतान कार्मिक की सेवानिवृत्ति के बाद किया जाता है।

Income Tax Section 80DD

पोस्ट तैयारकर्ता
C P Kurmi
चन्द्र प्रकाश कुर्मी, प्राध्यापक भौतिकी
राउमावि. टोडारायसिंह (टोंक)
cpkurmi@gmail.com

Income tax Section 80DD

Income tax Section 80DD

इनकम टैक्स की धारा 80 डीडी, किसी करदाता को अपने परिवार में किसी विकलांग व्यक्ति के ऊपर किए गए खर्च पर टैक्स छूट लेने का अधिकार प्रदान करती है। यह टैक्स छूट दो प्रकार से मिलती है।

  • 40 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांग व्यक्ति के लिए 75000 रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट ली जा सकती है।
  • 80 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांग व्यक्ति के लिए 1 लाख 25 हजार रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट ले सकते है।

धारा 80 डीडी और धारा 80यू में अंतर :

  • Section 80DD की तरह ही Section 80U भी विकलांग व्यक्ति पर खर्च पर टैक्स छूट पाने का अधिकार देती है। दोंनों में एक समान टैक्स छूट मिलती है। लेकिन दोनों में बेसिक रूप से अंतर है। धारा 80DD किसी आश्रित विकलांग व्यक्ति पर खर्च के बदले टैक्स छूट लेने का अधिकार देती है। यह टैक्स छूट उस विकलांग व्यक्ति को नहीं मिलती, बल्कि उस व्यक्ति को मिलती है, जो उस विकलांग व्यक्ति की देख रेख करता है। धारा 80U किसी विकलांग व्यक्ति की ओर से स्वयं पर किए गए खर्च के बदले टैक्स छूट लेने का अधिकार देती है। यानी कि यह टैक्स छूट उस विकलांग व्यक्ति को खुद ही मिलती है, अगर वह टैक्स भरने लायक आमदनी पाता है तो।

विकलांग व्यक्ति किसे माना जाएगा : संविधान की धारा (1) के भाग 2 में मौजूद कानून समान- अवसर, सुरक्षा का अधिकार और पूर्ण सहभागिता) कानून, 1965 में विकलांगता को परिभाषित किया गया है। जिन विकारों को विकलांगता माना गया है, वे इस प्रकार हैं

  • नेत्रहीनता (अंधापन) Blindness
  • अल्प दृष्टि | Low vision
  • ठीक हुआ कोढ़पन | Leprosy-cured
  • चलने की विकलांगता | Loco motor disability
  • सुनने में कठिनाई | Hearing impairment
  • अल्प मानसिक विकास | Mental retardation
  • मानसिक बीमारी | Mental illness
  • स्वलीनता | Autism
  • मानसिक पक्षाघात | Cerebral palsy
  • बहु विकलांगता | Multi Disabilit

80डीडी के तहत टैक्स छूट के लिए जरूरी दस्तावेज
Income tax Section 80DD

धारा 80 डीडी के तहत टैक्स छूट पाने के लिए आपको आप के खर्च पर आश्रित परिवार के सदस्य के बारे में उपयुक्त दस्तावेज भी प्रस्तुत करना होता है। दस्तावेज के बारे में नियम इस प्रकार हैं :

  • चिकित्सीय प्रमाण पत्र : आपको अपने परिवार के आश्रित विकलांग व्यक्ति के बारे में उपयुक्त चिकित्साधिकारी की ओर से जारी किया गया मेडिकल सर्टिफिकेट पेश करना होगा। नेत्रहीनता , अल्प दृष्टि, ठीक हुआ कोढ़पन, चलने की विकलांगता, सुनने में कठिनाई , अल्प मानसिक विकास, मानसिक बीमारी की स्थिति में इस प्रमाणपत्र की जरूरत होती है।
  • फॉर्म 10 IA कब भरना होता है : अगर आप पर आश्रित परिवारी जन स्वलीनता (Autism), मानसिक पक्षाघात (Cerebral palsy) या बहु विकलांगता (Multi Disability) की बीमारी से ग्रस्त है तो आपको फॉर्म 10 IA पेश करना होता है।
  • स्वघोषित प्रमाणपत्र : आश्रित व्यक्ति के संबंध में उपरोक्त दस्तावेजों के अलावा आपको खुद भी एक अपनी ओर से घोषणापत्र देना होता है। इस स्वघोषित प्रमाणपत्र में आप बताते हैं कि आश्रित व्यक्ति पर आपने उस साल के दौरान कितना खर्च किया है। इन खर्चों में चिकित्सीय उपचार (नर्सिंग समेत), ट्रेनिंग या पुनर्वास (rehabilitation) पर हुए खर्चे भी शामिल होते हैं।

आयकर सम्बन्धी विस्तृत जानकारी

Income Tax Section 80DDB

पोस्ट तैयारकर्ता
C P Kurmi
चन्द्र प्रकाश कुर्मी, प्राध्यापक भौतिकी
राउमावि. टोडारायसिंह (टोंक)
cpkurmi@gmail.com

आयकर की धारा 80DDB

सेक्शन 80DDB के तहत अपने किसी आश्रित की गंभीर और लंबी बीमारी के इलाज में खर्च की गई रकम पर इनकम टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं। कोई आयकर दाता अपने माता-पिता, बच्चे, आश्रित भाई-बहनों और पत्नी के इलाज में खर्च की गई रकम की कटौती के लिए दावा कर सकता है। इनमें कैंसर, हीमोफीलिया, थैलीसीमिया और एड्स, किडनी फेल्योर आदि बीमारियां शामिल हैं।

धारा 80DDB के अन्तर्गत टैक्स छूट के महत्वपूर्ण प्रावधान :

  • धारा 80DDB में रोगों या बिमारियों के संबंध में किए गए मेडिकल ट्रीटमेंट के खर्चों के लिए टैक्स छूट का प्रावधान है।
  • यदि कोई व्यक्ति या HUF (अविभाजित हिंदू परिवार) विशेष बिमारी के इलाज के लिये खर्च करता है तो धारा 80DDB के तहत उसे टैक्स छूट मिलती है।
  • इसमें मेडीकल ट्रीटमेंट में किए गए खर्चों के लिए टैक्स छूट मिलती है ना कि मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम के लिए।
  • इस धारा के तहत किसी कॉर्पोरेट या अन्य संस्थाओं द्वारा छूट नहीं क्लेम की जा सकती है। साथ ही इस टैक्स छूट को वही लोग क्लेम कर सकते हैं जो पिछले साल भारत देश के निवासी रहे हों। NRI (अप्रवासी भारतीयों) पर यह धारा लागू नहीं होगी।
  • व्यक्ति विशेष के मामले में, टैक्स छूट इसके या उस पर निर्भर (Dependent) में से किसी के मेडिकल पर खर्च के लिए क्लैम किया जा सकता है। यहाँ निर्भर (Dependent) का मतलब पति या पत्नी, उसके बच्चों, उसके माता पिता, भाई/बहनों आदि से है।
  • HUF के मामले में उसके किसी भी सदस्य मेडीकल ट्रीटमेंट के खर्च को टैक्स छूट के लिए कवर किया जाएगा।

धारा 80DDB कुछ विशेष मेडीकल ट्रीटमेंट पर किए गए खर्चों पर टैक्स छूट की सुविधा देती है। Section 11DD के अनुसार विशेष बीमारियां जिनमे न्यूरोलॉजिकल रोग जिसकी पहचान एक विशेषज्ञ द्वारा की गई हो, जहां विकलांगता का स्तर 40% या उससे अधिक होने का प्रमाण दिया गया हो, इसमें शामिल हैं डिमेंशिया, डिस्टोनिया मस्कुलरम डिफॉर्मस , कोरिया मोटर न्यूरोन रोग, एटासिया, पार्किंसंन डिजीस और हेमबैलिस्म, घातक कैंसर, एड्स, क्रोनिक रीनल फेलियर, हेमोफिलिया या थैलेसीमिया जैसे हेमेटोलॉजिकल डिसऑनर आदि के ट्रीटमेंट पर किए गए खर्चों पर टैक्स छूट की सुविधा देती है। । यह उन मेडिकल खर्चों के लिए टैक्स छूट नहीं देता जो बहुत समान होते हैं जैसे मोतियाबिंद या जो सेक्शन C में आते हैं ।

80DDB क्लेम के लिये जरूरी दस्तावेज

  • धारा 80DDB के तहत टैक्स छूट का क्लेम करने के लिए मेडीकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता के सबूत देने होंगे । साथ ही यह प्रमाण भी देना होगा कि यह ट्रीटमेंट वास्तव में कराया गया है। इसके अलावा एक डॉक्टर का प्रिस-क्रिपशन भी आवश्यक हैं।
  • पहले सरकारी अस्पताल से इस तरह के प्रिस-क्रिपशन लेना जरूरी था लेकिन वर्ष 2016-17 से यह नियम बदल गए है। अब निजि अस्पताल के संबंधित विशेषज्ञों से मिले प्रिस-क्रिपशन से भी काम चल जाता है। नियम 11DD में निम्नलिखित बदलाव हुए हैं।
  • न्यूरोलॉजिकल रोगों के मामले में डॉक्टर ऑफ मेडिसन इन न्यूरोलॉजिकल या उसके समकक्ष किसी डिग्री होल्डर डॉक्टर का ही प्रिस-क्रिपशन वैलिड होगा।
  • मेलिग्नेट कैंसर के मामले में एक ऑन्कोलॉजिस्ट या उसके समकक्ष किसी डिग्री होल्डर डॉक्टर का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
  • एड्स के मामले में सामान्य या आंतरिक चिकित्सा में पोस्ट ग्रैजुएशन डिग्री या समकक्ष डिग्री वाले किसी विशेषज्ञ का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
  • क्रोनिक रीनल फैलियर के मामले में भी डॉक्टर ऑफ नेफ्रोलॉजिस्ट , या मास्टर ऑफ चिरेगाइ (M.Ch) या उसके समकक्ष किसी डिग्री वाले डॉक्टर के प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
  • अंतिम बिमारी हेमेटोलॉजिकल डिसऑर्डर के मामले में हेमेटोलॉजी या इसके समकक्ष डिग्री विशेषज्ञ का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
  • ध्यान रखें कि ये सभी डॉक्टर या डिग्री होल्डर्स भारतीय चिकित्सा परिषद से मान्यता प्राप्त होने चाहिये।
  • अगर इलाज सरकारी अस्पताल में चल रहा है तो फुल टाइम काम कर रहे डॉक्टर और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री वाले विशेषज्ञो के प्रिस-क्रिपशन भी शामिल होंगे

प्रिस-क्रिपशन में क्या होना चाहिए : पहले प्रिस-क्रिपशन फॉर्म 10-I में जमा होता था, जो 2016-17 से बदल गया है, अब निम्न निर्देश है:

  • रोगी का नाम
  • रोगी की आयु
  • बीमारी
  • प्रिस-क्रिपशन देने वाले डॉक्टर का नाम, पता, व रजिस्ट्रेशन नम्बर
  • यदि किसी सरकारी हॉस्पिटल में उपचार हो तो वहां का नाम व पता और प्रिस-क्रिपशन आवश्यक होंगा ।
  • प्रिस-क्रिपशन में सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टर व इंचार्ज के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं।

धारा 80DDB के तहत किस राशि को टैक्स माफ़ी में क्लेम कर सकते हैं ?

  • धारा 80DDB के तहत छूट क्लेम करने के लिए उस व्यक्ति की आयु मुख्य आधार है, जिसका मेडिकल ट्रीटमेंट किया गया हो।
  • यदि किसी व्यक्ति या उस पर निर्भर (Dependent) या HUF के सदस्य के मेडिकल ट्रीटमेंट पर खर्च किया जाता है, तो टैक्स छूट की राशि भुगतान की गई वास्तविक राशि या 40,000 रु. दोंनो में से जो कम हो उतनी होगी।
  • यदि किसी व्यक्ति या उस पर निर्भर (Dependent) या HUF के किसी सदस्य के मेडिकल ट्रीटमेंट पर खर्च किया जाता है, तो छूट की राशि भुगतान की गई वास्तविक राशि के एक लाख रुपए दोंनो में से जो कम हो उतनी होगी।
  • वरिष्ठ नागरिकों यानी जिनकी उम्र 60 साल या उस से ज़्यादा के व्यक्ति, जिनकी नागरिकता भी भारतीय हो, ये उनसे संबंधित है।
  • अतिवरिष्ठ नागरिक का मतलब जिनकी आयु 80 वर्ष से ज़्यादा है, और वो भारत का नागरिक हो।

धारा 80DDB के तहत छूट का क्लेम निम्नलिखित है:

  • सामान्य नागरिक -आयु 60 वर्ष से कम : ₹ 40,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो
  • वरिष्ठ नागरिक – आयु 60 वर्ष या उससे ऊपर 80 वर्ष से कम हो : ₹ 1,00,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो
  • अति वरिष्ठ नागरिक – 80 या उससे ऊपर : ₹ 1,00,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो

ध्यान रखने योग्य बातें :

👉छूट का क्लेम तभी किया जाएगा जब पिछले वर्ष के दौरान किए गए खर्च वास्तविक हों।

👉इसके अलावा छूट की राशि मेडिकल ट्रीटमेंट लेने वाले व्यक्ति की उम्र पर निर्भर होगी न कि क्लेम करने वाले की उम्र पर।

👉धारा 80DDB के तहत छूट की राशि, भाग VI (A) के तहत कवर की गई है।

मेडिकल इंश्योरेंस होने पर कितनी मिलेगी टैक्स छूट? अगर आपके मेडिकल खर्च के लिए कुछ या पूरा पैसा मेडिकल इंशोरेंस से मिला है तो उसे घटाकर ही आपको धारा 80DDB के तहत टैक्स छूट मिलेगी।

  • उदाहरण-1 यदि क्लेम करने वाला 60,000/- रुपये मेडीकल ट्रीटमेंट पर खर्च करता है, तो वह धारा 80DDB के तहत 40,000/- रुपये की टैक्स छूट क्लेम कर सकता है। यदि इस खर्च के लिए किसी बीमा कंपनी से 30,000/- रुपये की राशि प्राप्त हुई है, तो धारा 80DDB के तहत वह जो टैक्स छूट का दावा कर सकता है वह 10,000 रु. (40,000 रु. – 30,000 रु.) होगी।
  • उदाहरण -2 यदि बीमा कंपनी से 60,000/- रु. के खर्च पर मिली राशि 50,000/- रुपये है, जो 40,000/- रु. की टैक्स छूट क्लेम करने वाले को मिलने वाली थी वो नहीं मिलेगी, क्योंकि उस से ज़्यादा उसे बीमा कंपनी से मिल चुका है। हालाँकि, इस मामले में मेडीकल ट्रीटमेंट पाने वाला व्यक्ति यदि एक वरिष्ठ नागरिक है, तो वह 1,00,000/- (वरिष्ठ नागरिक को धारा 80DDB के तहत मिलने वाली टैक्स छूट) टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकता है।

सारांश : धारा 80DDB विशेष बिमारियों के इलाज में मेडिकल खर्चों के लिए व्यक्ति विशेष और HUF को टैक्स छूट देता है। और यह छूट टैक्स में आने वाली आय (ग्रौस टैक्सेबल इनकम) पर मिलती है।

आयकर सम्बन्धी विस्तृत जानकारी

State Insurance Claim Online Process

पोस्ट तैयारकर्ता
जगदीश प्रसाद बरोड़ (प्राध्यापक)
राउमावि साहवा (चूरू)
पूरा परिचय जानें Click

State Insurance Claim Online Process

जिन कार्मिकों की जन्म तिथि 1/4/1962 से 31/3/1963 के मध्य है उनकी राज्य बीमा पॉलिसी 01/04/22 को परिपक्व हो रही है अतः माह नवम्बर-2021(देय दिसम्बर-2021) के वेतन से SI की अंतिम कटौती कर Final claim ऑन लाइन सबमिट करना है उसके लिए निम्न प्रोसेस फॉलो करें।

  • सर्व प्रथम कार्मिक की व्यक्तिगत sso id लॉगिन करें एवं STATE INSURANCE AND PROVIDENT FUND (New) Icon पर Click करें।
  • उसके बाद Update E-bag पर क्लिक कर Scheme में SI को Select कर Documents में कार्मिक के SI policy का बॉण्ड एवं SI की पूरी पासबुक(सम्बंधित DDO द्वारा हस्ताक्षरित व सीलयुक्त हो) की पीडीएफ बना कर अपलोड कर Save कर देवें। (PDF File Uploading के दौरान यदि कोई Error आए तो आप File को Resize कर लें।)
  • अब डेशबोर्ड पर राइट साइड पर एक लाल छतरी यानि SI का Icon है उस पर Click कर नीचे Click for SI Transation पर Click करें।
  • अब SI Claim पर Click करें एवं Type of Claim में से Compulsory Retirement, Death, Superannuation, Terminated और Voluntary Retirement दिखाई देंगे। अधिवार्षिकी आयु पूर्ण कर सेवानिवृत्ति के मामले में Superannuation पर एवं Death Case में Death Option को Select करेंगे।
    • ध्यान रहे Death Case में Claim करने से पूर्व आप कार्मिक की Nominee की Details Update अवश्य कर दें अन्यथा Claim आवेदन Submit एवं Validate नहीं होगा।
    • अब अधिवार्षिकी आयु पूर्ण कर सेवानिवृत्ति के मामले में Superannuation को Select कर Claim Date Calendar से Select करें। नीचे दो Boxes जिनके आगे घोषणा निम्नानुसार लिखी हुई दिखाई देंगी उन दोनों में ही ✅ करना है।
      • 🔲 I hereby declare to refund and/or to authorize the Director to recover the amount of over payment from the fund, with interest, if any, from payment due to me from the Government. एवं
      • 🔲 Discharge Letter has been Submitted.
  • Next टैब में आपकी बैंक Details पे मैनेजर से Auto Fetch होकर यहाँ Show होगी उसे अच्छी तरह से चेक कर लें फिर नीचे 🔲 declare that the above bank details is correct. के पूर्व Box में ✅ Mark कर Next पर Click करें।
  • अब अगले Documents टैब में E-Bag में आप द्वारा Upload किए गए SI बॉण्ड एवं SI की पास बुक Show होंगे उन्हें पुनः डाऊनलोड कर चेक कर लें।
  • सही होने पर Claim Form Final Submit करें। इस हेतु Subimit With Aadhar एवं Submit with Janaadhar के दो Options हैं उनमें से किसी एक को सेलेक्ट कर मोबाइल से प्राप्त OTP को Verify कर SI Claim Final Submit कर दें।
  • फिर डेशबोर्ड पर Transaction टैब से Applied Claim Application का Print ले लेवें।
  • साथ ही Application की हार्ड कॉपी के साथ मूल राज्य बीमा की पास बुक,SI पॉलिसी का मूल बॉण्ड,तीन साल के GA 55 ,इसके साथ ही SIPF विभाग का प्रपत्र-क एवं परिशिष्ट प्रपत्र ( क) सभी सलंग्न कर SI दावा प्रकरण DDO से प्रमाणित करवा कर सम्बंधित SIPF Office में जमा करवा देवें। बाद में आप द्वारा Applied SI Claim Application का Status Track your Application टैब से कभी भी देख सकते है।

एडमिन की अन्य पोस्ट देखें

नोट:-निदेशक राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग जयपुर के आदेश क्रमांक:एफ 19/बीमा/व्यय.एवंपं.2010-11/1068-1118 / Dated:04.12.19 के अनुसार राजस्थान सरकारी कर्मचारी बीमा नियम 1998 के नियम-39(2)(i) के प्रावधान के अनुसार अगर कार्मिक चाहें तो अपनी सेवानिवृति तिथि के बाद आने वाले 31 मार्च तक अपनी SI की पॉलिसी बढ़ाना चाहे तो अपना लिखित में विकल्प भरकर सम्बंधित SIPF Office में जमा करवाकर अपनी पॉलिसी को बढ़ा सकता है उसे उक्त अवधि का प्रीमियम उसे चालान से हर महीने भरना होगा।

Rebate Category Section 80G Deduction

Rebate Category Section 80G Deduction

यशवन्त कुमार जाँगिड़
अध्यापक
राप्रावि जगदेवपुरा डाँडा जिला बाराँ
Rebate Category Section 80G Deduction

आयकर अधिनियम की धारा 80G के अंतर्गत छूट की श्रेणियां

Rebate Category Section 80G Deduction आयकर अधिनियम की धारा 80 जी दो अलग-अलग श्रेणियों के तहत दान को वर्गीकृत करती है। प्रथम श्रेणी के अंतर्गत बिना किसी अधिकतम सीमा के 100% या 50% दान राशि की कर छूट का दावा कर सकते हैं। द्वितीय श्रेणी के अंतर्गत आप अधिकतम सकल वेतन के 10% सीमा तक ही 100% या 50% तक दान राशि पर छूट प्राप्त कर सकते है।

बिना किसी सीमा के दान की 100% या 50% की छूट :

  • 100 फीसदी कर छूट बिना किसी लिमिट : इन संस्थाओं को दान देने पर दान दी गई रकम पर 100 फीसदी कर छूट मिलती है। इनमें दान की रकम पर 10 फीसदी का बंधन भी नहीं है। जैसे प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष, PM CARES फंड, राष्ट्रीय रक्षा कोष, राष्ट्रीय बाल कोष, राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय रक्ताधान (blood transfusion) समिति, मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष, मुख्यमंत्री कोविड-19 राहत कोष, जिला साक्षरता समिति, राष्ट्रीय महत्व की मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी / शिक्षण संस्थान, राष्ट्रीय खेलकूद प्राधिकरण, स्वच्छ भारत कोष एवं स्वच्छ गंगा निधि, आर्मी/एयरफोर्स सेंट्रल वेलफेयर फंड आदि।
  • 50 फीसदी कर छूट बिना किसी लिमिट के : इस श्रेणी की संस्थाओं को दान देने पर दान दी गई रकम पर केवल 50 फीसदी करछूट अनुज्ञेय है। इसमें भी दान की रकम पर 10 फीसदी का बंधन नहीं है। जैसे प्रधानमंत्री सूखा राहत कोष, जवाहर लाल नेहरू/इंदिरा गांधी स्मृति निधि, राजीव गांधी फाउंडेशन, 80G के तहत पंजीकृत राष्ट्रीय चेरिटेबल संस्थाए, ज्ञानसंकल्प पोर्टल आदि।

सकल आय के अधिकतम 10% सीमा तक 100% या 50% की छूट :

  • 100 फीसदी कर छूट (सकल आय का अधिकतम 10% तक): इस श्रेणी के संस्थाओं को दान देने पर दान दी गई रकम पर 100 फीसदी कर छूट मिलती है लेकिन कुल कर योग्य आय के 10 फीसदी के बराबर दान की गई रकम पर ही 100 फीसदी करछूट मिलेगी। सरकारी या स्थानीय संस्थाएं जो परिवार नियोजन के प्रमोशन का काम करती हैं, इसमें आती हैं। इसके अलावा भारतीय ओलंपिक संघ या धारा 10(23) के अधीन अधिसूचित खेलकूद प्रायोजक संस्थाए/आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए निर्मित संस्थाए आदि इसमें शामिल है।
  • 50 फीसदी कर छूट (सकल आय का अधिकतम 10% तक): इस श्रेणी की संस्थाओं को दान देने पर दान दी गई रकम पर 50 फीसदी तक की करछूट मिलती है लेकिन कुल वार्षिक आमदनी के 10 फीसदी के बराबर दान की गई रकम पर ही 50 फीसदी करछूट मिलेगी। इसमें ऐसी सरकारी या स्थानीय संस्थाएं आती हैं, जो परिवार नियोजन के अलावा समाज सेवा, टाउन प्लानिंग का काम भी करती हों। अल्पसंख्यक समुदाय के उन्नतिकरण हेतु गठित राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय संस्थाएं/निगम एवं कोई भी धार्मिक पूजा/प्रार्थना स्थल जो ऐतिहासिक,पुरातात्विक या कलात्मक महत्व रखती हो, आदि शामिल है।

कार्मिकों हेतु आयकर सम्पूर्ण जानकारी

नोट :-

आयकर अधिनियम की धारा 80G के अन्तर्गत चैरिटेबल संस्थाओं को दिए गए दान पर छूट देने के लिये आहरण एवं वितरण अधिकारी सक्षम नहीं है, करदाता को इस दान को अपनी रिटर्न फाइल करने पर स्वयं कर छूट हेतु क्लेम करना होगा।

लेकिन जहां किसी कर्मचारी ने अपने वेतन से दान का भुगतान किया है और नियोक्ता द्वारा स्वयं उसके वेतन से राशि काट ली गई है, तब नियोक्ता द्वारा धारा 80जी के तहत की गई कटौती का दावा किया जा सकता है। ऐसे मामलों में नियोक्ता द्वारा जारी फॉर्म नंबर 16 में ये कटोती (दान) अंकित होगा।

Income Tax Section 80U

पोस्ट तैयारकर्ता
C P Kurmi
चन्द्र प्रकाश कुर्मी, प्राध्यापक भौतिकी
राउमावि. टोडारायसिंह (टोंक)
cpkurmi@gmail.com

आयकर की धारा 80U क्या है

इस नियम के तहत कोई विकलांग व्यक्ति स्वयं अपने ऊपर खर्च पर टैक्स छूट का दावा कर सकता है, एक बार फिर से ध्यान दें— विकलांग व्यक्ति स्वयं। जबकि धारा 80DDB के तहत कोई व्यक्ति स्वयं की बजाय अपने परिवार के किसी विकलांग सदस्य पर हुए खर्च पर टैक्स छूट का दावा कर सकता है। धारा section 80U के तहत टैक्स छूट (Deduction) की सुविधा, विकलांगता के स्तर के हिसाब से मिलती है। विकलांगता का स्तर हल्का होने पर कम टैक्स छूट मिलती है, जबकि विकलांगता का स्तर गंभीर होने पर ज्यादा टैक्स छूट मिलती है।

धारा 80U के तहत टैक्स छूट को दो श्रेणियों में बांटा गया है।

  • सामान्य विकलांग व्यक्ति पर खर्च के लिए के लिए टैक्स छूट (Expense on Common disabile person)- सामान्य विकलांग व्यक्ति उसे माना गया है जो चिकित्सा विज्ञान के हिसाब से 40% विकलांगता का शिकार है। धारा 80 यू के तहत कम से कम 40% विकलांगता ग्रस्त व्यक्ति पर सालाना 75 हजार रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट का लाभ लिया जा सकता है।
  • गंभीर रूप से विकलांग व्यक्ति पर खर्च के लिए के लिए टैक्स छूट (Deduction for expense on severe disabile person) – गंभीर विकलांग व्यक्ति उसे माना गया है, जो चिकित्सा विज्ञान के हिसाब से कम से कम 80% विकलांगता का शिकार है। धारा 80 यू के तहत ऐसा व्यक्ति जो कम से 80% या इससे अधिक विकलांगताग्रस्त है, उस पर भर में हुए 1 लाख 25 हजार रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट ली जा सकती है।

विकलांगता की श्रेणी और छूट (Category of disability & Deduction)

  • सामान्य विकलांगताग्रस्त व्यक्ति|Normal Disabled person (40% disability) – Deduction allowed Rs. 75,000
  • गंभीर विकलांगताग्रस्त व्यक्ति Severely disabled person (80% disability) – Deduction allowed Rs. 1,25,000

धारा 80 यू के तहत टैक्स छूट के लिए आवश्यक दस्तावेज :

  • धारा 80 यू के तहत टैक्स छूट पाने के लिए आपको पहली बात तो भारतीय नागरिक होना चाहिए। दूसरी बात, आपके पास उपयुक्त चिकित्सा अधिकारी की ओर से जारी विकलांग व्यक्ति .“a person with disability” का प्रमाणपत्र होना चाहिए। उपयुक्त चिकित्सा अधिकारी (medical authority) के रूप में निम्नलिखित अधिकारियों को रखा गया है-
    • राजकीय अस्पताल का सिविल सर्जन या मुख्य चिकित्सा अधिकारी
    • न्यूरोलॉजिस्ट जो कि न्यूरोलॉजी में एमडी की उपाधि धारण करता हो
    • बच्चों के मामले में Paediatric Neurologist जिसके पास एमडी की उपाधि हो

80U के तहत विकलांग व्यक्ति की परिभाषा – निम्नलिखित में से किसी भी शारीरिक अक्षमता से ग्रस्त व्यक्ति को विकलांग व्यक्ति की श्रेणी में माना गया है, जिसे उपयुक्त चिकित्सा अधिकारी से प्रमाणित भी किया गया हो

दृष्टिहीनता (अंधत्व) | (Blindness) कम दिखाई देना | Low vision कोढ की बीमारी | Leprosy-cured

सुनने की अक्षमता | Hearing impairment लोको मोटर अक्षमता | Loco motor disability

मानसिक अक्षमता | Mental retardation मानसिक अयोग्यता | Mental illness

आटिज्म (भूलने की बीमारी) |Autism सेरेबल पॉल्सी की बीमारी | Cerebral palsy

ध्यान देने योग्य बातें :

  • धारा 80 यू के तहत टैक्स छूट का दावा करने के लिए शारीरिक समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करना पड़ता। लेकिन इसका प्रमाणपत्र आपके पास होना जरूरी है, ताकि आगे किसी जांच की स्थिति में उसे पेश किया जा सके। लेकिन गंभीर बीमारियों जैसे कि autism या cerebral palsy के संबंध में Form 10-IA अलग से भरा जाना अनिवार्य होता है।
  • विकलांग व्यक्ति उसे माना जाएगा उसे Equal Opportunities, Protection of Rights and Full Participation) Act, 1995 में परिभाषित किया गया है।

आयकर सम्बन्धी विस्तृत जानकारी

Section 80G Deduction – Income Tax Act

Yashwant Jangid

यशवन्त कुमार जाँगिड़
अध्यापक
राप्रावि जगदेवपुरा डाँडा जिला बाराँ
Section 80G Deduction – Income Tax Act

धारा 80 जी के तहत कर छूट के प्रावधानों की जानकारी

Section 80G Deduction – Income Tax Act विशिष्ट निधियों, धर्मार्थ संस्थानों या आपदा राहत कोष या पंजीकृत ट्रस्ट में किए गए योगदान पर धारा 80G के तहत कर छूट के रूप में दावा किया जा सकता है। इनकम टैक्स की धारा 80 जी के तहत कोई भी नागरिक, एचयूएफ या कंपनी किसी फंड या चैरिटेबल संस्था को दिए गए दान पर टैक्स छूट ले सकती है।

धारा 80G के तहत कर छूट लेने के लिए आवश्यक शर्ते :

(i) आप जिस संस्था को दान दे रहे है, वह आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 12A के तहत रजिस्टर्ड होनी चाहिए और साथ ही धारा 80G के तहत दान लेने के योग्य होनी चाहिए। अगर आप आयकर कानून के तहत अपंजीकृत संस्था या विदेशी ट्रस्ट या किसी राजनीतिक दल को चंदा या दान करते हैं तो इस प्रकार के दान पर 80G में कोई टैक्स छूट नहीं मिलेगी। Section 80G Deduction – Income Tax Act

(ii) बैंक ड्राफ्ट, नकद, चेक या ऑनलाइन भुगतान के माध्यम से किए गए दान पर टैक्स छूट ली जा सकती है। यदि आप नकद में दान कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि दान राशि रुपये 2000/- से अधिक नहीं हो। उक्त सीमा से अधिक नकद दान के लिए कर छूट दावा केवल ₹2000/- तक ही अनुमत है। वित्तीय वर्ष 2017-18 से नकदी के रूप में दान या चंदे को अधिकतम 2000 रुपए तक सीमित कर दिया गया है। इससे अधिक का दान या चंदा अन्य किसी रिकॉर्डयुक्त माध्यम (चेक, ड्राफ्ट या डिजिटल पेमेंट) से ही दिया जा सकता है।

(iii) किसी भी प्रकार की सामग्री, भोजन, दवाओं, कपड़े या अन्य रूप में किया गया दान आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के तहत कटौती के लिए पात्र नहीं हैं।

कार्मिकों हेतु आयकर की जानकारी

(iv) धारा 80 जी के तहत टैक्स छूट का फायदा लेने के लिए आपके पास संस्था की ओर से दी गई दान की रसीद अथवा दान का वैध प्रमाण अवश्य होना चाहिए। डिजिटल भुगतान से किए दान पर रशीद के बिना भी छूट ली जा सकती है।

(v) संस्था जो रसीद दे रही हैं, उस पर संस्था का नाम एवं पूरा पता, रसीद नंबर, दान दी गई राशि का विवरण अंकों एवं शब्दो मे, प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर, संस्था का 80जी के तहत पंजीयन प्रमाणपत्र क्रमांक आदि विवरण अवश्य अंकित होना चाहिए।

(vi) धारा 80 जी के तहत कटौती का दावा करने के लिए आपको अपना रिटर्न दाखिल करते समय कुछ विवरणों का उल्लेख करना होगा जैसे – दानदाता का नाम एवं पता, अंशदान राशि, दान प्राप्त करने वाली संस्था/कोष का नाम व पता एवं पैन नम्बर एवं धारा 80G के अंतर्गत पंजीयन का क्रमांक आदि का विवरण देना आवश्यक है।

(vii) दान की राशि में प्राप्त छूट : धारा 80जी में निर्दिष्ट विभिन्न दान प्रदान किए गए प्रावधानों के अनुसार 100% या 50% तक की कटौती के लिए पात्र हैं।

नोट :-

आयकर अधिनियम की धारा 80G के अन्तर्गत चैरिटेबल संस्थाओं को दिए गए दान पर छूट देने के लिये आहरण एवं वितरण अधिकारी सक्षम नहीं है, करदाता को इस दान को अपनी रिटर्न फाइल करने पर स्वयं कर छूट हेतु क्लेम करना होगा।

लेकिन जहां किसी कर्मचारी ने अपने वेतन से दान का भुगतान किया है और नियोक्ता द्वारा स्वयं उसके वेतन से राशि काट ली गई है, तब नियोक्ता द्वारा धारा 80जी के तहत की गई कटौती का दावा किया जा सकता है। ऐसे मामलों में नियोक्ता द्वारा जारी फॉर्म नंबर 16 में ये कटोती (दान) अंकित होगा।

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