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महिला उत्पीड़न : समस्या और समाधान

Devi Bijani



देवी बिजानी प्रधानाचार्य
रा० उ० मा० वि० बेरडों का बास
तह० ओसियां, जिला जोधपुर
Know Introduction

प्रश्न:- किसी महिला कार्मिक को कार्यस्थल पर पुरुष सहकर्मी या उच्चाधिकारी द्वारा दुर्व्यवहार विरुद्ध क्या अधिकार प्राप्त है ?

उत्तर:- किसी भी महिला कार्मिक को कार्यस्थल पर सहकर्मी या उच्चाधिकारी द्वारा किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दुर्व्यवहार को रोकने के लिए सेवा नियमों के तहत शिकायत कर अपनी अस्मिता की रक्षा का पूर्ण अधिकार है। विशाखा बनाम राजस्थान राज्य’ मामले में फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई भी अप्रिय हाव-भाव, व्यवहार, शब्द या कोई पहल जो यौन प्रकृति की हो, उसे यौन उत्पीड़न माना जाएगा।

सरल शब्दों में कहा जाए तो मात्र शारीरिक रूप से नही शाब्दिक रूप से या हाव भाव से किया गया व्यवहार जो किसी महिला की गरिमा व अस्मिता को ठेस पहुंचाए , यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है इसमें अपशब्द बोलना, गाली या द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग, किताब या मोबाइल पर आपत्तिजनक या अनावश्यक मेसेज करना। यहां तक कि महिलाओं की उपस्थिति में पुरूष कार्मिकों द्वारा आपस में अमर्यादित भाषा/द्विअर्थी शब्दों शब्दों/गालियों का प्रयोग, अभद्र हाव भाव या इशारे करना या लगातार घूरना भी इसी श्रेणी में आएगा।

एक महिला कार्यस्थल पर किन स्थितियों के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है? यह स्थितियां निम्न प्रकार की हो सकती हैं :

  • यदि किसी महिला पर शारीरिक सम्पर्क के लिए दबाव डाला जाता है या फिर अन्य तरीकों से उस पर ऐसा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है या बनाया जाता है।
  • यदि किसी भी सहकर्मी, वरिष्ठ या किसी भी स्तर के कार्मिक द्वारा उससे यौन संबंध बनाने के लिए अनुरोध किया जाता है या फिर उस पर ऐसा करने के लिए दबाव डाला जाता है।
  • किसी भी महिला की शारीरिक बनावट, उसके वस्त्रों आदि को लेकर भद्दी,अश्लील टिप्पणियां की जाती हैं तो यह भी एक कामकाजी महिला के अधिकारों का हनन है।
  • किसी भी महिला को किसी भी तरह से अश्लील और कामुक साहित्य दिखाया जाता है या ऐसा कुछ करने की कोशिश की जाती है।
  • किसी भी तरह से मौखिक या अमौखिक तरीके से यौन प्रकृति का अश्लील व्यवहार किया जाता है।

समाधान :

अगर किसी कर्मचारी के खिलाफ कदाचार का मामला सामने आता है तो सेवा नियमों के अनुसार उसके खिलाफ समुचित कार्रवाई हो, इसके लिए रोजगार के स्थल पर एक शिकायत पेटीका लगाया जाना अनिवार्य है जिस पर स्पष्ट लिखा हो – महिला यौन उत्पीड़न के विरुद्ध शिकायत पेटिका शिकायतों का निश्चित समय के अंदर निराकरण हेतु एक शिकायत समिति, एक विशेष सलाहकार होने चाहिए और शिकायतों के मामलों में पूरी तरह से गोपनीयता सुनिश्चित की जाए। साथ ही, शिकायत समिति की प्रमुख एक महिला होने सहित कम से कम आधे सदस्य महिलाए तथा Ngo से जुड़े जानकर सदस्य (वरिष्ठ स्तर से किसी अवांछित दबाव या प्रभाव रोकने के लिए) होने अनिवार्य है। शिकायत की जांच के पश्चात दोषी के विरुद्ध कार्रवाई हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को प्रकरण प्रेषित करना तथा पुलिस को रिपोर्ट करना कार्यालयाध्यक्ष का दायित्व होगा।

FAQ :

1. मेरे साथ हो रहे दुर्व्यवहार के विरोध में शिकायत करना चाहती हूं परंतु मुझे डर है इससे मेरी बदनामी होगी।

उत्तर – इस प्रकार की शिकायत की जांच एवं कार्रवाई पूर्ण तरह गोपनीय रखी जाती है जो कार्यालय अध्यक्ष एवं विभाग की जिम्मेदारी है अतः बदनामी के डर से इस प्रकार का दुर्व्यवहार सहन ना करें तथा निर्भय होकर शिकायत करें।

2. मेरे सहकर्मी /उच्च अधिकारी मुझे वक्त बेवक्त मोबाइल पर बिना काम के मैसेज करते हैं, उन मैसेज में कुछ गलत शब्द नहीं होते परंतु इस वजह से मैं मानसिक रूप से दबाव में रहती हूं, क्या मैं इसकी शिकायत कर सकती हूँ ?

उत्तर – जी हां आप अपनी निजता के हनन के विरोध में इसकी शिकायत साइबर क्राइम के तहत कर सकती हैं साथ ही यदि आपको यह महसूस होता है कि इस प्रकार के मैसेज आपके निजी जीवन को डिस्टर्ब कर रहे हैं या मानसिक दबाव बना रहे हैं तो इसकी शिकायत आप अपने विभाग में भी कर सकती हैं। ध्यान रहे कि ऐसी शिकायत करने से पूर्व इस प्रकार के मैसेज के स्क्रीनशॉट सेव कर ले। (यहां सलाह दी जाती है कि ऐसे स्क्रीनशॉट पुनः सम्बन्धित को भेजते हुए कमेंट करे- “यह सार्वजनिक मंच फेसबुक वॉल या औपचारिक व्हाट्सएप समूह में शेयर करू?” 95% सॉरी बोल के चले जायेंगे तथा वापस मुड़ के देखेंगे भी नहीं न ही भविष्य में तंग करने की हिम्मत करेंगे)

3. मेरे स्कूल कार्यालय में एक उच्च अधिकारी बार-बार निरीक्षण के नाम पर आते हैं मैं अपने कार्यालय में एकल महिला कार्मिक हूं अतः मुझे भय रहता है कि कभी किसी दिन मेरे साथ कोई दुर्व्यवहार ना करें।

उत्तर – अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जाना उनके कार्य का एक हिस्सा है परंतु आपको ऐसी आशंका है तो आप अपने मोबाइल में रिकॉर्डिंग ऑन रखें तथा किसी भी प्रकार का गलत व्यवहार होने पर उसका पुरजोर विरोध करें तथा रिकॉर्डिंग सहित अपने विभाग में शिकायत करें। आप सीधे पुलिस में भी शिकायत दर्ज करवा सकती हैं। यदि महिला कार्मिक को लगता है कि उसके विभाग/ कार्यालय में उसकी सुनवाई नहीं होगी तो वे जिला कलेक्टर को सीधे शिकायत कर सकती है (शिकायत की एक प्रति राज्य महिला आयोग को देते हुए)।

महिला कार्मिकों के लिए :

1.कार्यस्थल पर आपके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार ना हो इसके लिए सख्त कानून बने हैं ऐसे किसी भी दूर व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करें उसका विरोध करें तथा शिकायत करें।

2. आपकी खामोशी अगले की हिम्मत बढ़ाएगी जो न सिर्फ आपके लिए बल्कि अन्य महिलाओं के लिए किसी भी दुर्घटना को निमंत्रण होगा।

3. किसी भी तरह से यह शिकायत फर्जी ना हो क्योंकि जांच में कुछ छुपा नहीं रहता अतः महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने सख्त कानूनो दुरुपयोग नही किया जाना चाहिए।

पुरुष कार्मिकों के लिए :

1. न्यायालय विभाग एवं मानवाधिकार कानूनों ने महिलाओं को कार्यालय स्तर पर किसी भी प्रकार के शोषण से बचाव हेतु वन अधिकार दिए हैं उन्हें कमजोर समझने की गलती ना करें।

2. आपके द्वारा किया गया कोई भी व्यवहार, यौन प्रकृति से अप्रिय है या नहीं इसका तय करने का अधिकार न्यायालय ने महिला कार्मिक को दिया है अतः स्वयं मर्यादित व्यवहार करें ताकि आपके और आपके परिवार के सम्मान को ठेस ना पहुंचे।

3. कोई आपके गुड मॉर्निंग, नमस्ते, हेलो का जवाब न दे तो समझ जाएं कि उसकी आपसे बातचीत में कोई रुचि नहीं है ।

4. मोबाइल/ सोशल मिडिया पर मैसेज करते वक्त याद रखियेगा कि उनके स्क्रीनशॉट उसी सोशल मीडिया पर कभी भी सार्वजनिक हो सकते हैं।

विशेष : यदि किसी महिला कार्मिक के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है और उसे समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करें तो वह मार्गदर्शन के लिए निम्न कदम उठाए।

1. किसी महिला उच्चाधिकारी से सलाह ले सकती है।

2. महिला थाने में उपस्थित एनजीओ के सदस्यों से विधिक सहायता व सलाह ले सकती है।

3. पेमेनेजर इन्फो टीम के एडमिन से कांटेक्ट कर नियमो की विस्तृत जानकारी ले सकती हैं।

Note : इस सम्बन्ध में राजस्थान सिविल सेवा (आचरण) नियम 1971 के अनुसार वर्णित नियमो की पालना भी करनी अनिवार्य है।

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