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विद्यार्थी सुरक्षा दुर्घटना बीमा योजना

Leela ram

श्री लीलाराम जी प्रधानाचार्य
रा उ मा वि मुबारिकपुर (रामगढ) अलवर
निवासी- दोहडा (किशनगढ बास) अलवर

विद्यार्थी सुरक्षा दुर्घटना बीमा योजना

यह योजना राज्य के समस्त राजकीय विद्यालयों में वर्ष 1996 से संचालित है इसके अंतर्गत कक्षा 1 से 12 तक के राज्य के समस्त राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थी सम्मिलित हैं।

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योजना का उद्देश्य

राज्य के समस्त राजकीय विद्यालयो में अध्ययनरत विद्यार्थियों की दुर्घटना में मृत्यु अथवा शारीरिक क्षति की दशा में विद्यार्थियों के माता-पिता/ संरक्षक को बीमा लाभ उपलब्ध करवाना.

योजना के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु :

  • योजना का संचालन राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग (साधारण बीमा) राजस्थान जयपुर द्वारा किया जा रहा है।
  • योजना का नवीनीकरण प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त को किया जाता है।
  • विद्यार्थी सुरक्षा दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत दुर्घटना में विद्यार्थी की मृत्यु अथवा अन्य शारीरिक क्षतियो की दशा में योजना के प्रावधानों के अनुसार राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग (साधारण बीमा योजना) द्वारा जारी परिपत्र एवं प्रतिवर्ष जारी पॉलिसी के अनुसार ही बीमाधन का भुगतान किया जाता है।

आवश्यक दस्तावेज एवं प्रक्रिया :

दुर्घटना की स्थिति में राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग, राजस्थान जयपुर द्वारा जारी दावा प्रपत्र छात्र/अभिभावक /संरक्षक के द्वारा संस्था प्रधान द्वारा स्वयं हस्ताक्षरित कर संबंधित सी बी ई ओ / जिला शिक्षा अधिकारी मा/प्रा ( मुख्यालय) के प्रति हस्ताक्षर एवं अग्रेषण पत्र के साथ संबंधित जिले के राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग कार्यालय को अविलंब प्रेषित करना चाहिए। प्रकरण के साथ निम्न दस्तावेज होने चाहिए।

  • दावा प्रपत्र …निर्धारित प्रारूप में
  • एफआईआर की प्रति, पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति, मृत्यु प्रमाण पत्र
  • संस्था प्रधान का प्रमाण पत्र
  • दावेदार के बैंक पासबुक की प्रति
  • विद्यालय द्वारा विद्यार्थी सुरक्षा दुर्घटना बीमा योजना की फीस के चालान की प्रति

योजना के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु :

  • विद्यार्थी से तात्पर्य, दुर्घटना के दिन राजस्थान राज्य में स्थित किसी भी राजकीय विद्यालय की नामांकन पंजिका में दर्ज विद्यार्थी से है.
  • विद्यार्थी की मृत्यु अथवा योजना में उल्लिखित क्षतियो की स्थिति में पॉलिसी के प्रभावी रहने तक भारत में किसी भी स्थान में दुर्घटना घटित होने पर योजना का लाभ दे होगा.
  • योजना के अंतर्गत दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि अन्य किसी भी विधान के अंतर्गत दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि के अतिरिक्त होगी.
  • मृत्यु अथवा शारीरिक क्षति दोनों ही परिस्थितियों में दावा राशि विद्यार्थी के माता/पिता/ संरक्षक को देय होगी.
  • विभाग द्वारा दावेदार के बैंक खाते में भुगतान किया जाएगा.
  • दावा प्रपत्र दुर्घटना की तिथि से छ:माह के अंदर जिले के एसआईपीएफ ऑफिस में पहुंच जाना चाहिए.
  • विद्यार्थी सुरक्षा दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत दुर्घटनाओं में विद्यार्थी की मृत्यु अथवा अन्य शारीरिक क्षतियो की दशा में ही बीमा धन भुगतान किया जाता है.
  • दुर्घटना में हुई क्षति से आशय किसी ऐसी शारीरिक चोट से है जो बाह्य, हिंसात्मक एवं दृश्य माध्यम द्वारा लगी हो.
  • छात्र कोष शुल्क के साथ ही विद्यार्थी दुर्घटना बीमा का शुक्ल कक्षा 9 से 12 तक छात्र से 10 रु एवम छात्रा से 5रु वसूल किया जाता है.
  • कक्षा 1 से 8 तक कोई शुल्क नही लगता है.
  • इस शुल्क के आधार पर छात्र की रिस्क 15 अगस्त से अगले सत्र के 14 अगस्त तक कवर होती है.
  • प्राप्त विद्यार्थी दुर्घटना शुल्क को 0202-01-102-03-01 (विविध) मद में चालान द्वारा जमा करवाया जाता है.
  • निजी विद्यालयो के लिए यह योजना अनिवार्य नहीं है।

Note : यह स्पष्ट किया जाता है कि मृत्यु अथवा क्षति का सीधा संबंध दुर्घटना से होना चाहिए, दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर बीमा धन Rs.100000 देय होगा इसके अलावा दुर्घटना में दोनों हाथों या दोनों पैरों या दोनों आंखों या एक हाथ या एक आंख अथवा एक पैर एवं एक आंख अथवा एक पैर एवं एक हाथ की क्षति होने पर भी Rs. 100000 बीमा धन देय होगा। इसके अलावा अन्य क्षतियो की स्थिति में विभाग द्वारा निर्धारित अलग-अलग बीमा धनराशि देय होगी।

अपवर्जन अर्थात किन परिस्थितियों में योजना का लाभ देय नहीं :

ध्यान रहे योजना के अंतर्गत प्राकृतिक रूप से बीमारी के कारण से होने वाली मृत्यु अथवा शारीरिक क्षति पर लाभ देय नहीं होगा जैसे हृदय गति रुक जाना, अन्य बीमारियां से मौत, आत्महत्या, आत्महत्या का प्रयास, पागलपन, किसी विद्यार्थी द्वारा नशीले द्रव्य के प्रयोग के प्रभाव से होने वाली क्षति, चिकित्सा अथवा शल्य क्रिया के दौरान होने वाली मृत्यु, नाभिकीय विकिरण परमाणु अस्त्रों से होने वाली मृत्यु अथवा क्षति, युद्ध विदेशी आक्रमण, गृह युद्ध, देशद्रोह अथवा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से होने वाली मृत्यु अथवा क्षति, विद्यार्थी द्वारा आपराधिक रुप से विधि का उल्लंघन करते समय हुई मृत्यु अथवा क्षति आदि उक्त परिस्थितियों में योजना का लाभ नहीं होगा। राज्य बीमा विभाग के संयुक्त / सहायक/उप निदेशक द्वारा विद्यालय के संस्था प्रधान के द्वारा प्राप्त प्रकरण कर कर जाँच की जाएगी। वांछित दस्तावेजों के आधार पर यह निर्णय किया जाएगा कि किया गया दावा इस पॉलिसी के अंतर्गत क्षतिपूर्ति हेतु योग्य है अथवा नहीं। इसके अनुसार ही भुगतान हेतु कार्यवाही की जाएगी।

अपील :

विभाग के जिला कार्यालय के निर्णय से असंतुष्ट होने की स्थिति में दावेदार द्वारा निर्णय की दिनांक से 3 माह की अवधि में निर्णय के विरुद्ध रिव्यु / रिवीजन हेतु निदेशक, राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग, जयपुर के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रेषित किया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना – रजिस्ट्रेशन की स्थिति

Lokesh Kumar Jain

सीखो और सिखाओ सीरीज :
श्री लोकेश कुमार जैन व्याख्याता
रा.उ.मा.वि. चंदोड़ा (सेमारी) जिला- उदयपुर

प्रश्न- मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में पात्र परिवार के रजिस्ट्रेशन की स्थिति जानने का कोई सरल तरीका बताइए जिससे Free तथा paid दोनों प्रकार की श्रेणियों के परिवार के पंजीकरण की स्थिति ज्ञात हो सके ?

>> Know Admin

उत्तर- मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में पात्र परिवार के रजिस्ट्रेशन की स्थिति जानने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें :

यहाँ आपको रजिस्ट्रेशन की स्थिति खोजे, लिखा हुआ Search Bar दिखेगा, अपने परिवार का जनाधार नम्बर डालकर सर्च करे एवम रजिस्ट्रेशन की स्थिति जाने.

आपको अब स्क्रीन पर निम्न जानकारी नज़र आएंगी

1. Father Name
2. Eligible Status
3. Search ID
4. Name
5. Status
6. District Code
7. Category
8. Message

व्याख्या ( समझने के लिए ) :

  1. Father Name – जनाधार कार्ड में परिवार के मुखिया का नाम इंगित करता है। आप इसे संतुष्टि के लिए मिलान कर लीजिए।

2. Eligible Status- अगर रजिस्ट्रेशन सफलतापूर्वक हो चुका है तो यहाँ Yes प्रदर्शित होगा अन्यथा No या रिक्त लिखा आएगा।

3. Search ID – जिस जनाधार कार्ड की id या पंजीयन संख्या से आपने विवरण खोजा है उसका उल्लेख यहाँ होगा। इसका भी तसल्ली के लिए मिलान सुनिश्चित कर लीजिए।

4. Name – यहाँ जिस जनाधार id से मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना के लिए रजिस्ट्रेशन किया है या देखना है उस परिवार के मुखिया सदस्य का नाम लिखा मिलेगा।

5. Status – यहाँ विभागीय उपयोग व महत्व के कोड लिखे हुए मिलेंगे।

6. District Code – यहाँ इस योजना के लिए निर्धारित संबंधित परिवार के निवास जिले का कोड अंकित किया हुआ मिलेगा।

7. Category – इसमे केटेगरी लिखी हुई मिलेगी। परिवार का पंजीकरण जिस पात्र श्रेणी में किया हुआ होगा वह लिखी मिलेगी। उदाहरण के लिए- NFSA या PAID इत्यादि।

8. Message – इसमे एक संदेश मिलेगा की आपके रजिस्ट्रेशन से संबंधित आँकड़े व सूचनाएं पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के पश्चात प्राप्त हुई या नही। यहाँ मैसेज के सामने Data Found लिखा दिखाई दे तो समझ ले आपकी सूचनाएं दर्ज हो गई है।

विशेष बात :

विशेष बात जो ध्यान रखने लायक है वह यह है कि दूसरे नंबर पर Eligible Status- Yes होना चाहिए व अंत मे Message के आगे Data Found लिखा होना चाहिए। अगर ये दो सूचना इस प्रकार प्रदर्शित होगी तो समझ लीजिए परिवार का मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में पंजीकरण हो गया है।

नोट- चिरंजीवी योजना सरकारी कार्मिको युक्त जनाधार परिवारों के लिए लागू नही है। यह योजना सामान्य सिटीजन के लिए ही है।

महिला उत्पीड़न : समस्या और समाधान

Devi Bijani



देवी बिजानी प्रधानाचार्य
रा० उ० मा० वि० बेरडों का बास
तह० ओसियां, जिला जोधपुर
Know Introduction

प्रश्न:- किसी महिला कार्मिक को कार्यस्थल पर पुरुष सहकर्मी या उच्चाधिकारी द्वारा दुर्व्यवहार विरुद्ध क्या अधिकार प्राप्त है ?

उत्तर:- किसी भी महिला कार्मिक को कार्यस्थल पर सहकर्मी या उच्चाधिकारी द्वारा किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दुर्व्यवहार को रोकने के लिए सेवा नियमों के तहत शिकायत कर अपनी अस्मिता की रक्षा का पूर्ण अधिकार है। विशाखा बनाम राजस्थान राज्य’ मामले में फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई भी अप्रिय हाव-भाव, व्यवहार, शब्द या कोई पहल जो यौन प्रकृति की हो, उसे यौन उत्पीड़न माना जाएगा।

सरल शब्दों में कहा जाए तो मात्र शारीरिक रूप से नही शाब्दिक रूप से या हाव भाव से किया गया व्यवहार जो किसी महिला की गरिमा व अस्मिता को ठेस पहुंचाए , यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है इसमें अपशब्द बोलना, गाली या द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग, किताब या मोबाइल पर आपत्तिजनक या अनावश्यक मेसेज करना। यहां तक कि महिलाओं की उपस्थिति में पुरूष कार्मिकों द्वारा आपस में अमर्यादित भाषा/द्विअर्थी शब्दों शब्दों/गालियों का प्रयोग, अभद्र हाव भाव या इशारे करना या लगातार घूरना भी इसी श्रेणी में आएगा।

एक महिला कार्यस्थल पर किन स्थितियों के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है? यह स्थितियां निम्न प्रकार की हो सकती हैं :

  • यदि किसी महिला पर शारीरिक सम्पर्क के लिए दबाव डाला जाता है या फिर अन्य तरीकों से उस पर ऐसा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है या बनाया जाता है।
  • यदि किसी भी सहकर्मी, वरिष्ठ या किसी भी स्तर के कार्मिक द्वारा उससे यौन संबंध बनाने के लिए अनुरोध किया जाता है या फिर उस पर ऐसा करने के लिए दबाव डाला जाता है।
  • किसी भी महिला की शारीरिक बनावट, उसके वस्त्रों आदि को लेकर भद्दी,अश्लील टिप्पणियां की जाती हैं तो यह भी एक कामकाजी महिला के अधिकारों का हनन है।
  • किसी भी महिला को किसी भी तरह से अश्लील और कामुक साहित्य दिखाया जाता है या ऐसा कुछ करने की कोशिश की जाती है।
  • किसी भी तरह से मौखिक या अमौखिक तरीके से यौन प्रकृति का अश्लील व्यवहार किया जाता है।

समाधान :

अगर किसी कर्मचारी के खिलाफ कदाचार का मामला सामने आता है तो सेवा नियमों के अनुसार उसके खिलाफ समुचित कार्रवाई हो, इसके लिए रोजगार के स्थल पर एक शिकायत पेटीका लगाया जाना अनिवार्य है जिस पर स्पष्ट लिखा हो – महिला यौन उत्पीड़न के विरुद्ध शिकायत पेटिका शिकायतों का निश्चित समय के अंदर निराकरण हेतु एक शिकायत समिति, एक विशेष सलाहकार होने चाहिए और शिकायतों के मामलों में पूरी तरह से गोपनीयता सुनिश्चित की जाए। साथ ही, शिकायत समिति की प्रमुख एक महिला होने सहित कम से कम आधे सदस्य महिलाए तथा Ngo से जुड़े जानकर सदस्य (वरिष्ठ स्तर से किसी अवांछित दबाव या प्रभाव रोकने के लिए) होने अनिवार्य है। शिकायत की जांच के पश्चात दोषी के विरुद्ध कार्रवाई हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को प्रकरण प्रेषित करना तथा पुलिस को रिपोर्ट करना कार्यालयाध्यक्ष का दायित्व होगा।

FAQ :

1. मेरे साथ हो रहे दुर्व्यवहार के विरोध में शिकायत करना चाहती हूं परंतु मुझे डर है इससे मेरी बदनामी होगी।

उत्तर – इस प्रकार की शिकायत की जांच एवं कार्रवाई पूर्ण तरह गोपनीय रखी जाती है जो कार्यालय अध्यक्ष एवं विभाग की जिम्मेदारी है अतः बदनामी के डर से इस प्रकार का दुर्व्यवहार सहन ना करें तथा निर्भय होकर शिकायत करें।

2. मेरे सहकर्मी /उच्च अधिकारी मुझे वक्त बेवक्त मोबाइल पर बिना काम के मैसेज करते हैं, उन मैसेज में कुछ गलत शब्द नहीं होते परंतु इस वजह से मैं मानसिक रूप से दबाव में रहती हूं, क्या मैं इसकी शिकायत कर सकती हूँ ?

उत्तर – जी हां आप अपनी निजता के हनन के विरोध में इसकी शिकायत साइबर क्राइम के तहत कर सकती हैं साथ ही यदि आपको यह महसूस होता है कि इस प्रकार के मैसेज आपके निजी जीवन को डिस्टर्ब कर रहे हैं या मानसिक दबाव बना रहे हैं तो इसकी शिकायत आप अपने विभाग में भी कर सकती हैं। ध्यान रहे कि ऐसी शिकायत करने से पूर्व इस प्रकार के मैसेज के स्क्रीनशॉट सेव कर ले। (यहां सलाह दी जाती है कि ऐसे स्क्रीनशॉट पुनः सम्बन्धित को भेजते हुए कमेंट करे- “यह सार्वजनिक मंच फेसबुक वॉल या औपचारिक व्हाट्सएप समूह में शेयर करू?” 95% सॉरी बोल के चले जायेंगे तथा वापस मुड़ के देखेंगे भी नहीं न ही भविष्य में तंग करने की हिम्मत करेंगे)

3. मेरे स्कूल कार्यालय में एक उच्च अधिकारी बार-बार निरीक्षण के नाम पर आते हैं मैं अपने कार्यालय में एकल महिला कार्मिक हूं अतः मुझे भय रहता है कि कभी किसी दिन मेरे साथ कोई दुर्व्यवहार ना करें।

उत्तर – अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जाना उनके कार्य का एक हिस्सा है परंतु आपको ऐसी आशंका है तो आप अपने मोबाइल में रिकॉर्डिंग ऑन रखें तथा किसी भी प्रकार का गलत व्यवहार होने पर उसका पुरजोर विरोध करें तथा रिकॉर्डिंग सहित अपने विभाग में शिकायत करें। आप सीधे पुलिस में भी शिकायत दर्ज करवा सकती हैं। यदि महिला कार्मिक को लगता है कि उसके विभाग/ कार्यालय में उसकी सुनवाई नहीं होगी तो वे जिला कलेक्टर को सीधे शिकायत कर सकती है (शिकायत की एक प्रति राज्य महिला आयोग को देते हुए)।

महिला कार्मिकों के लिए :

1.कार्यस्थल पर आपके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार ना हो इसके लिए सख्त कानून बने हैं ऐसे किसी भी दूर व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करें उसका विरोध करें तथा शिकायत करें।

2. आपकी खामोशी अगले की हिम्मत बढ़ाएगी जो न सिर्फ आपके लिए बल्कि अन्य महिलाओं के लिए किसी भी दुर्घटना को निमंत्रण होगा।

3. किसी भी तरह से यह शिकायत फर्जी ना हो क्योंकि जांच में कुछ छुपा नहीं रहता अतः महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने सख्त कानूनो दुरुपयोग नही किया जाना चाहिए।

पुरुष कार्मिकों के लिए :

1. न्यायालय विभाग एवं मानवाधिकार कानूनों ने महिलाओं को कार्यालय स्तर पर किसी भी प्रकार के शोषण से बचाव हेतु वन अधिकार दिए हैं उन्हें कमजोर समझने की गलती ना करें।

2. आपके द्वारा किया गया कोई भी व्यवहार, यौन प्रकृति से अप्रिय है या नहीं इसका तय करने का अधिकार न्यायालय ने महिला कार्मिक को दिया है अतः स्वयं मर्यादित व्यवहार करें ताकि आपके और आपके परिवार के सम्मान को ठेस ना पहुंचे।

3. कोई आपके गुड मॉर्निंग, नमस्ते, हेलो का जवाब न दे तो समझ जाएं कि उसकी आपसे बातचीत में कोई रुचि नहीं है ।

4. मोबाइल/ सोशल मिडिया पर मैसेज करते वक्त याद रखियेगा कि उनके स्क्रीनशॉट उसी सोशल मीडिया पर कभी भी सार्वजनिक हो सकते हैं।

विशेष : यदि किसी महिला कार्मिक के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है और उसे समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करें तो वह मार्गदर्शन के लिए निम्न कदम उठाए।

1. किसी महिला उच्चाधिकारी से सलाह ले सकती है।

2. महिला थाने में उपस्थित एनजीओ के सदस्यों से विधिक सहायता व सलाह ले सकती है।

3. पेमेनेजर इन्फो टीम के एडमिन से कांटेक्ट कर नियमो की विस्तृत जानकारी ले सकती हैं।

Note : इस सम्बन्ध में राजस्थान सिविल सेवा (आचरण) नियम 1971 के अनुसार वर्णित नियमो की पालना भी करनी अनिवार्य है।

डीडीओ लेवल स्वीकृत अवकाश

प्रश्न:-DDO द्वारा अपने स्तर पर कौन कौन से अवकाश एवं कितने अवधि तक के स्वीकृत किये जा सकते है ?

उत्तर:- RSR के तहत निम्न अवकाश DDO स्तर पर स्वीकृत किये जा सकते है सामान्य जानकारी शेयर की जा रही है, विस्तृत दिशा निर्देश हेतु RSR के नियम देखे।

(1) उपार्जित अवकाश : सेवा नियम 91(3) के अनुसार DDO एक समय मे 120 दिनों तक यह अवकाश स्वीकृत कर सकते है।

(2) समर्पित अवकाश : नियम 91(A) के अनुसार एक वित्तीय वर्ष में 15 दिन का समर्पित अवकाश नगद भुगतान के लिए के किसी भी कार्मिक के DDO द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है।

(3) सेवानिवृति पर शेष जमा अवकाश का नगद भुगतान : नियम 91(B) के अनुसार सेवानिवृति पर अनुपयोजित उपार्जित अवकाश के एवज में अधिकतम 300 दिन PL का नगद भुगतान हेतु DDO द्वारा स्वीकृत किया जाता है।

(4) अर्द्ध वेतन अवकाश (HPL) : नियम 93(A) के अनुसार निजी किसी कारण से या चिकित्सा कारण से 120 दिन तक का अर्द्धवेतन अवकाश (HPL) DDO द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है। इसमे अर्द्ध वेतन का नियमानुसार भुगतान किया जाता है।

(5) रूपांतरित अवकाश ( commuted leave) :

  • नियम 93(B) के अनुसार स्थाई सेवा के कार्मिक के चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर अर्द्ध वेतन अवकाश को रूपांतरित अवकाश में परिवर्तित कर 120 दिन तक का यह अवकाश DDO द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है।
  • किसी कार्मिक के रूपांतरित अवकाश स्वीकृत करने पर उसके दुगनी संख्या में अवकाश के दिनों को HPL लेखा मेसे घटाया ( डेबिट) किया जाता है एवम कार्मिक को full pay के हिसाब से वेतन का भुगतान प्राप्त होता है।
  • नियुक्ति तिथि के 3 वर्ष बाद यह अवकाश स्वीकृत किया जाता है। (नियम 93 (4))

(6) अदेय अवकाश (Leave not due) : स्थाई कार्मिक के निम्न शर्तो पर :

  • अदेय अवकाश एक बार मे 90 दिनों तक ही DDO द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है इसके साथ ही यदि HPL पहले की जमा हो तो 120 तक DDO सेक्शन कर सकते है।
  • संपूर्ण सेवाकाल में अधिकतम 360 दिनों तक स्वीकृत किया जा सकता है, जिसमे से 180 दिन का अदेय अवकाश चिकित्सा प्रमाणपत्र के आधार पर एवं शेष 180 दिन अन्य आधार पर स्वीकृत किया जा सकता है जो निदेशालय से स्वीकृत किया जायेगा।
  • सक्षम अधिकारी के संतुष्ट होने पर की कर्मचारी अदेय अवकाश के बाद सेवा पर वापिस उपस्थित हो जाएगा।
  • अदेय अवकाश की संख्या उस अनुपातिक संख्या से अधिक नही होगी ,जो कर्मचारी अवकाश से वापस आ कर उतनी संख्या में HPL अर्जित कर सके।
  • अदेय अवकाश स्वीकृत किये जाने पर वह कर्मचारी के HPL खाते में माईनस में (डेबिट) लिखा जाएगा जिसका समायोजन भविष्य में अर्जित HPL से होता रहेगा।
  • इस अवकाश में कार्मिक को अर्द्ध वेतन की दर से वेतन का भुगतान किया जाता है ।

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(7) असाधारण अवकाश (Extra ordinary leave) : स्थाई कार्मिक के चिकित्सा या कोई पाठ्य क्रम पूरा करने के लिए एक समय मे तीन महीने से 18 माह तक असाधारण अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। जिसने एक साथ तीन महीने से अधिक का असाधारण अवकाश वित्त विभाग की पूर्व सहमति से उक्त शिथिलता के बाद ही स्वीकृत किया जा सकता है।

  • DDO स्तर पर 120 दिनों तक यह अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
  • चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के असाधारण अवकाश की स्वीकृति के लिए DDO 120 दिनो से अधिक अवधि की सेक्शन भी कर सकते है।
  • प्रोबेशनकाल में 30 दिन तक का असाधारण अवकाश नियुक्ति अधिकारी एवं उससे अधिक अवधि का प्रशासनिक विभाग द्वारा स्वीकृत किया जाता है।

(8) मातृत्व अवकाश : सेवा नियम 103 के अनुसार स्थाई कार्मिक एवं प्रोबेशनर कार्मिक को चिकित्सक के प्रमाण पत्र के आधार पर 180 दिन का मातृत्व अवकाश DDO द्वारा स्वीकृत किया जाता है ।

(9) पितृत्व अवकाश : सेवा नियम 103 (A) के अनुसार स्थाई कार्मिक एवं प्रोबेशनर कार्मिक को पत्नी की प्रसुति से 15 दिन पूर्व से प्रसुति के तीन माह की अवधि में पुरुष कार्मिक को 15 दिन का पितृत्व अवकाश पत्नी की देख भाल हेतु DDO द्वारा स्वीकृत किया जाता है जो बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर स्वीकृत होता है।

(10) चाइल्ड केयर लीव (CCL) : वित्त विभाग के आदेश दिनांक 22/05/2018 एवं 10/09/2018 के अनुसार महिला कर्मिको को चाइल्ड केयर लिव की सुविधा प्रदान की गई है। उक्त 120 दिनो तक की चाइल्ड केयर लीव Ddo द्वारा स्वीकृत की जा सकती है।

State Insurance Loan Process

ऋण के सम्बन्ध में मुख्य बिंदु :
(State Insurance Loan Process)

  • कार्मिक समर्पण मूल्य व अर्जित बोनस का 90% तक ऋण ले सकते हैं।
  • यदि पूर्व में SI का Loan ले रखा है तो वह पूर्ण रूप से चुकाया जाना आवश्यक है साथ ही पूर्व ऋण व वर्तमान आवेदित ऋण के बीच 2 वर्ष का अंतराल होना चाहिए।
  • ऋण के मूल की अदायगी 60 समान किस्तों में होंगी या 60 से कम किस्तों में करा सकते हैं।
  • ऋण के ब्याज की अदायगी 10 समान किस्तों में।(10 से कम किश्तों में भी कर सकते हैं।
  • कार्मिक चाहें तो मूल ऋण व उस पर संदेय ब्याज की किस्तें एक साथ भी जमा करा सकता है या पहले मूल ऋण एवं फिर ब्याज चुका सकता है पर बेहतर यही रहेगा कि पहले मूल एवं फिर ब्याज जमा करवाया जाए। फार्मूला-कुल किस्तें÷12×(मूल ऋण+अंतिम क़िस्त)÷2×ब्याज दर÷100)
  • वर्तमान में SI Loan पर ब्याज दर 7.5% है।
  • SI Loan Online आवेदन से पूर्व 2015 से पूर्व नियुक्त कार्मिक 2015 तक की SI Passbook अद्यतन (प्रविष्टि किए हुए सभी पृष्ठों में से प्रत्येक पृष्ठ पर DDO के Sign&Seal, प्रत्येक पृष्ठ पर SI Premium राशि का महायोग, TV No एवं Encashment Date आदि Update होना चाहिए) की हुई pdf Format में Upload कर दें। क्योंकि इसके बिना आवेदन अस्वीकार्य होगा।
  • SI Policy Bond भी दोनों तरफ़ से Scan कर pdf Format में Upload करना होगा। SI Bond SIPF कार्यालय द्वारा पहले से ही Upload किया जा चुका है तो इसकी जांच कर लें। SI Passbook व Bond की pdf बनाकर अपने Mobile/PC/Laptop में Save कर लें ताकि आवेदन के समय अधिक समय ना लगें।

Online आवेदन – Employee Level Process :

  • sso.rajasthan.gov.in पर Employee Login करें, Pop Up द्वारा Paperless आवेदन से सम्बंधित सूचना को Close करें
  • Transaction में जाएं , SI Loan Tab पर Click करें। (State Insurance Loan Process)
  • SI Loan Tab पर Click करने पर कार्मिक के आवेदन से सम्बंधित पूरा Page Open होगा जिसमें अधिकांश सूचनाएं पहले से ही भरी होंगी जिनकी अच्छी तरह से जांच कर लें अगर कोई त्रुटि हो तो DDO Level/SIPF Office से सुधार करवाएँ। अतः आप अपनी Loan की Maximum Eligible Amount की जांच करें अगर यह Amount आपकी जमा राशि से नियमानुसार कम आ रही है तो पहले सम्बंधित SIPF Office से Update करवाएँ।
  • इसके बाद आप अपनी Loan Amount भरें। यह आपकी Maximum Eligible Amount के बराबर या कम होनी चाहिए।
  • EMI (मासिक क़िस्त) की राशि System Auto Calculate करेगा जिसे Note कर लें।
  • इसके बाद Form में नीचे Submit , Upload E-Passbook व Upload Bond Options दिखाई देंगे । यदि आपने पहले से ही SI Passbook व Bond Upload कर दिए हैं तो आपको Upload की जगह Download का Option दिखाई देगा जिसके द्वारा आप Passbook व Bond Download कर Check कर लें। यदि Upload नहीं किए हैं तो उनकी ऊपर बताए गए अनुसार Scan कर pdf File बनाकर Upload कर दें। और Submit पर Click करें।
  • ”Are you sure want to submit Loan Details” का Message Show होगा जिस पर Click करने पर Data Saved Successfully का Response आएगा।
  • इसके बाद आपको *Submit Without E-Sign, Submit With E-Sign एवं Close Options Show होंगे।आप Submit With E-Sign पर Click करें।
    • नोट : E-Sign केवल आधार OTP Base पर ही होने हैं कोई Digital Dongle से नहीं होंगे।
  • फिर कार्मिक के Mobile पर Adhaar Based OTP आएगा जिसको Fill करने के बाद Submit पर Click करने पर ऋण आवेदन आपके DDO के पास Forward हो जाएगा।
  • अब Homepage पर आकर Pending Task पर Click करें वहाँ आपके द्वारा Submit Loan की Details एक पंक्ति में Show होंगी उस पंक्ति पर कहीं भी Click करने पर पूरी Details Show होंगी जिसे भलीभांति Check कर लें यदि कोई त्रुटि हो तो Cancel Application Option पर Click कर Application Cancel करें एवं आवश्यक सुधार के बाद पुनः पूर्व प्रक्रियानुसार Submit करें।
    • नोट : कार्मिक द्वारा Loan Application को DDO के पास Pending रहने तक ही Cancel किया जा सकता है अगर DDO ने SIPF को Forward कर दिया है तो Cancel नहीं कर सकते एवं ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार के संशोधन हेतु सम्बंधित SIPF संपर्क करना होगा।
  • अगर आवेदन की Details सही है तो Proceed Application के नीचे Print Application पर Click कर Application का Print ले लें यदि Proceeding के बाद कोई System Error आ जाता है तो My Transactions में जाकर भी Print ले सकते हैं।
  • उसके बाद आप Application पर Validation के लिए Pending E-Sign को Adobe Reader 11 (Updated Version) में pdf File Open कर अपने E-Signature Validate कर सकते हैं।

More By Jagdish Prasad Barod

Online आवेदन – DDO Level Process :

  • http://sso.rajasthan.gov.in Open कर Login करें एवं SIPF Icon पर Click करें, As a DDO Select करें।
  • Pending Task में CLICK HERE TO SEARCH पर Click करें।
  • उसके बाद Pending Task Details में Red Colour में Q पर Click करने पर DDO के Forward किए गए आवेदन विभिन्न Modules के रूप में Show होंगे।
  • सम्बंधित कार्मिक द्वारा Forward किए गए SI Loan Application की पंक्ति पर Click करने पर आवेदन की Details Show होंगी।
  • Declaration के नीचे एक Check Box के सामने एक घोषणा Show होगी उसे पढ़कर Check Box पर ✅ Mark करें।
  • फिर नीचे की तरफ Forward, Upload E-Passbook, Upload Bond आदि Options Show होंगे।
  • यदि कार्मिक के स्तर पर गलती से SI Passbook/SI Bond Upload नहीं किया गया है या स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा है तो DDO स्वयं आवश्यकता अनुसार SI Passbook /SI Bond की pdf File Upload कर सकते हैं। अगर सभी Details सही हैं तो Forward पर Click करें।
  • DDO के Aadhaar से Link Mobile पर OTP आएगा उसे Fill कर आवेदन को Forward करें।
  • DDO द्वारा Forward किए हुए आवेदन का Print लेकर कार्मिक स्तर पर बताई गई उपरोक्त प्रक्रियानुसार E-Signature Validate कर सकते हैं।
  • Loan की राशि स्वीकृत होने एवं सम्बंधित कार्मिक के Acconut में जमा होने के अगले महीने से SI Loan की कटौती निर्धारित EMI के अनुसार शुरू की जानी है।

राज्य बीमा योजना जानकारी

प्रश्न #168 : State Insurance राज्य बीमा योजना जानकारी

जगदीश प्रसाद बरोड़ (प्राध्यापक)
राउमावि साहवा (चूरू)

परिचय : राज्य बीमा के नियम 1 अप्रेल-1998 से प्रभावी होंगे। राज्य बीमा की प्रथम कटौती कार्मिक के सेवा स्थायीकरण के उस वित्तीय वर्ष जिसमें वह नियुक्त हुआ है , के मार्च माह से की जाएगी। बीमा इस शर्त पर किया जाएगा कि बीमित कार्मिक क्षय, अस्थमा,कैंसर, मधुमेह, एड्स या सरकार द्वारा अधिसूचित किसी गम्भीर बीमारी से ग्रसित नहीं हो। (नियम-8) वेतन वृद्धि तथा आगे के 2 Slabs तक अतिरिक्त प्रीमियम कटौती कराने पर जोखिम बिना स्वास्थ्य परीक्षण के ही वहन की जाएंगी। नियम-11(4)

योजना से जुड़े प्रमुख बिंदु

➡️बीमित व्यक्ति की Policy परिपक्वता से पूर्व मृत्यु होती है तो बीमित के द्वारा नियमानुसार नामित व्यक्ति को बीमित राशि का दुगना भुगतान किया जाएगा। नियम-51

➡️अतिरिक्त बीमा नियम-

(1) विद्यमान वेतन Slabs में बदलाव होने या किसी कारण से वेतन वृद्धि की वजह से यदि प्रीमियम दरों में वृद्धि होती हैं तो वे वृद्धिशील वसूलियां उसी वित्तीय वर्ष के मार्च माह के वेतन से की जाएंगी,एवं इसके लिए अलग से घोषणा पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। नियम-11(i)(ii)

(2) बीमित कार्मिक स्वेच्छा से उस पर लागू प्रीमियम दर से अधिक आगे के 2 Slabs तक की प्रीमियम दरों का अभिदान कर सकता है जिसके लिए उसे नियम-8(3) में वर्णित रोगों से ग्रसित नहीं होने की घोषणा करते हुए नियम-11(2) के तहत अधि घोषणा पत्र Online प्रस्तुत करना होगा।

(3) 55 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद कोई भी कार्मिक अधिघोषणा का लाभ नहीं ले सकता। नियम-11(3)

(4) यदि किसी वजह से वेतन Slabs में कमी हो जाती है तो पूर्व में संदेय प्रीमियम दर को कम नहीं किया जा सकता। नियम-13

➡️ऋण आवेदन या दावे के निपटारे के लिए मूल Policy बीमा विभाग को प्रस्तुत करना अनिवार्य है। नियम-49(i)

➡️विभाग के आदेश क्रमांक-(प 4(8)वित्त/राजस्व/05/पार्ट दिनाँक 13.12.2017 के अनुसार बीमा ऋण एवं दावों की राशि 1 जनवरी,2018 से SIPF कार्यालय के द्वारा जारी अधिकार पत्र(Authority Letter)के स्थान पर अब सीधे ही सम्बंधित कार्मिक/दावेदार के बैंक खाते में Online स्थानांतरित की जाएगी।

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➡️विभाग के आदेश क्रमांक-(प.108/कम्प/एसआईपीएफ पेमेंट/2017/1214-141 दिनाँक-15.12.2017 के अनुसार 1 जनवरी,2018 से बीमा ऋण एवं दावों के Online भुगतान की प्रक्रिया आरंभ की गई है।

➡️घोषणा पत्र एवं अधि घोषणा पत्र Online Submit होंगे : मार्च-2017 से जिन कार्मिकों की प्रथम/अधिक कटौती होनी है तो उन्हें sso.rajasthan.gov.in पर Login कर SIPF Portal के माध्यम से Online ही Submit करना होगा।

➡️निलम्बन अवधि के दौरान प्रीमियम की वसूली : यदि किसी बीमित व्यक्ति को निलंबित किया जाता है तो SI प्रीमियम की वसूली उसको देय निर्वाह भत्ते से की जाएगी यदि उक्त अवधि में प्रीमियम वसूल नहीं किया जाता है तो उस प्रीमियम राशि पर प्रीमियम देय होने की तिथि से जमा कराने की तिथि तक 7.5% की दर से ब्याज़ वसूल किया जाएगा। नियम-28

➡️SI में नामित व्यक्ति का निर्देशन : बीमित व्यक्ति नाम निर्देशन के लिए निर्धारित प्रारूप संख्या-2 में किसी एक/अधिक व्यक्तियों को कार्यालय अध्यक्ष को सूचित कर नियमानुसार नामित कर सकते हैं परन्तु शादी से पूर्व किसी भी व्यक्ति के पक्ष में किया गया मनोनयन यदि रदद् नहीं किया गया है तो शादी के बाद स्वतः ही पति या पत्नी नाम हुआ माना जायेगा। नियम-31

➡️व्यक्ति जिन्हें नाम निर्देशीति नियुक्त किया जा सकता है : बीमित व्यक्ति अपने पति/पत्नी,संतान, भाई, बहन,माता-पिता को मनोनीत कर सकता है। यदि इनमे से कोई भी सम्बंधी जीवित हो, तो किसी अन्य व्यक्ति का नाम निर्देशन अकृत और शून्य माना जायेगा। नियम-32

➡️सेवानिवृत्ति के पश्चात आने वाले 31 मार्च तक बीमा Policy जारी रखने का विकल्प : नियमानुसार कार्मिक अपनी सेवानिवृत्ति तिथि के ठीक पूर्व में आने वाले 1 अप्रेल को अपनी राज्य बीमा Policy के दावे के भुगतान प्राप्त कर लेता है।राजस्थान सरकारी कर्मचारी बीमा नियम 1998 के नियम-39(2)(i) के प्रावधान के अनुसार अगर कार्मिक चाहे तो SI कटौती मूल परिपक्वता तिथि के 15 दिन पूर्व DDO के Through Application के तौर पर विकल्प भरकर सम्बंधित जिले के SIPF Office भेजकर सेवानिवृति के ठीक बाद में आने वाले मार्च तक अपनी SI Policy Continue रख सकते हैं, परन्तु बीमा नियम 18(2) के अनुसार इसका Due Premium सेवानिवृति तक के वेतन से Advance में कटाना होगा। और संचित असन्दत Premium बिना ब्याज के बीमा के दावे की रकम में से वसूलीय होगा। जो के सेवानिवृत्ति तिथि के ठीक बाद में आने वाले 1 अप्रेल को प्राप्त होगी। क्रमांक:एफ 19/बीमा/व्यय.एवंपं./2010-11/1068-1118/Dated:04.12.19

➡️Duplicate Policy Bond जारी करवाना : यदि बीमित व्यक्ति द्वारा मूल Policy Bond खो गया है या नष्ट/विकृत हो गया है तो उसके बदले निम्नानुसार अपनी sso id से Login कर Online Challan या फिर व्यक्तिगत रूप से निर्धारित शुल्क जमा करवाकर क्षतिपूर्ति बंध पत्र के साथ बीमा निदेशक को आवेदन कर Duplicate Policy जारी करवा सकता है- नियम-47 (i) मूल Policy खो जाने/नष्ट होने पर शुल्क-100/- होगा (ii) Policy विकृत/कटी-फटी हो जाने पर शुल्क-50/- होगा

महालेखाकार अंकेक्षण रिपोर्ट बेसिक जानकारी

प्रश्न #166 : महालेखाकार अंकेक्षण (AG audit) रिपोर्ट से सम्बन्धित बेसिक जानकारी दीजिये।

प्रदीप कुमार जसूजा, कनिष्ठ लेखाकार
सामु. स्वास्थ्य केंद्र, पीलीबंगा, हनुमानगढ़

उत्तर:- एजी ऑडिट रिपोर्ट के मुख्यतः तीन भाग होते हैं :

I परिचय अथवा प्रस्तावना

II ऑडिट आक्षेप :-इसके 3 भाग (A) (B) (C) होते है।

भाग II(A) में गंभीर अनियमितता के आक्षेप होते हैं।

III सामान्य अनियमितताएं

ऑडिट अनुपालना

● AG ऑडिट होने के बाद ऑडिट रिपोर्ट डिस्पेच होने की दिनांक से 1 माह में ऑडिट आक्षेपो की ठोस एवं समय पर अनुपालना महालेखाकार कार्यालय को भिजवाया जाना होता है।

अंकेक्षण प्रतिवेदन के पार्ट

Factual Report

भाग II(A) आक्षेपों का संतोषजनक / समय अनुपालना नहीं भिजवाने की दशा में महालेखाकार कार्यालय द्वारा फेक्चुअल रिपोर्ट (FS) जारी की जाती है जिसकी अनुपालना विभाग को 8 सप्ताह में महालेखाकार कार्यालय को भिजवाया जाना आवश्यक होता है।

Draft Para

विभाग द्वारा 8 सप्ताह में FS की ठोस अनुपालना नहीं की जाने पर महालेखाकार कार्यालय द्वारा ड्राफ्ट पैरा (DP) बनाया जाता है इसकी अनुपालना 3 सप्ताह में करनी होती है।

CAG रिपोर्ट

ड्राफ्ट पैरा की ठोस अनुपालना नही किये जाने पर AG द्वारा CAG को रिपोर्ट प्रकाशित करने हेतु प्रस्तावित करता है। प्रकाशन से पूर्व CAG द्वारा AG से रिपोर्ट पर चर्चा की जाती है तत्पश्चात रिपोर्ट CAG में प्रकाशित होती है।

PAC प्रतिवेदन

CAG रिपोर्ट राज्य विधानसभा को प्रेषित की जाती है जो विधानसभा में प्रस्तुत की जाती है इस पर चर्चा के बाद अनुमोदन हो कर जन लेखा समिति प्रतिवेदन (PAC) जारी होता है PAC प्रतिवेदन की अनुपालना 6 माह में देनी होती है। PAC प्रतिवेदन की उचित अनुपालना के अभाव मे PAC द्वारा सजा दी सकती है।

सेवानिवृत कर्मचारी के लीव एनकेशमेंट बिल बनाने की प्रक्रिया

प्रश्न – सेवानिवृत्त कार्मिक का लीव एनकेशमेंट रिटायर्ड बिल बनाना है | पे मैनेजर पर प्रक्रिया बताने का श्रम करें।

श्री सचिन शर्मा कनिष्ठ सहायक
रा. मा. वि. साण्डन जिला – चूरु

उत्तर – एक कर्मचारी के सेवानिवृत हो जाने के बाद उसे उसके खाते में शेष उपार्जित अवकाश का नगद भुगतान करने हेतु बिल बनाने से पहले निम्न कार्यवाही पूर्ण की जानी जरुरी है-

(1) PPO नं जारी हो जाने के बाद पे मैनेजर पर PPO नं वेरीफाई कीजिए जिसकी प्रक्रिया इस प्रकार है-

Paymanager Login » Master » Enter PPO no Enter Employee ID » Verify पर क्लिक कीजिए |

(2) कार्मिक का डाटा यथा नाम, जन्मतिथि पेमेनेजर पर और PPO में एक समान होना चाहिए। अगर एक समान नहीं है

तो पहले डाटा में संशोधन करके HOD से अप्रूव करवाना होगा |

(3) निर्धारित प्रारूप में बजट डिमांड करनी होगी।

(4) उपार्जित अवकाश के नगद भुगतान हेतु बजट हेड – 2071-01-115-01-01 निर्धारित है।

(5) बजट डिमांड हेतु प्रारूप के साथ PL सम्बन्धी कार्यालय आदेश प्रति, PPO नं की प्रति लगा कर अपने पेंशन विभाग के

क्षेत्रीय कार्यालय को E-mail कीजिए।

बजट प्राप्त होने के बाद पे मैनेजर पर लीव इंकेशमेंट बिल बनाने की प्रक्रिया

➡️ सबसे पहले Master में जाकर बजट हेड 2071-01-115-01-01 का निम्नानुसार नया ग्रुप बनाना होगा

➡️ Group Name-अपनी सुविधानुसार

➡️ Budget Head – 2071-01-115-01-01

➡️ Demand No-15

➡️ Object Head-84

➡️ BFC Type- SF

➡️ Head Type-Voted

➡️ Bill Allocation कीजिये। बिल एलोकेशन में ऑब्जेक्ट हेड 84 लिखना है। Bill Allocation करते समय Bill Name में उस ग्रुप को चुनिए जो आपने अभी बनाया है।

➡️ Bill Preparation » Leave Encashment Preparation » Leave Encashment Retirement पर क्लिक कीजिए।

➡️ Year चुनिए » Month चुनिए » Bill Group चुनिए » Bill No. चुनिए » Order no चुनिए।

➡️ No of Days में जितने दिन उपार्जित अवकाश का भुगतान करना है उतने दिनों की संख्या भरिए।

➡️ कर्मचारी को नाम या Employee ID के द्वारा सर्च कीजिये।

➡️ Add पर क्लिक कीजिए।

कार्मिक का उपार्जित अवकाश के नगद भुगतान का बिल (Leave Encashment Bill) बनकर तैयार है।

➡️ आवश्यक डाक्यूमेंट्स अपलोड कीजिए।

(कार्यालय से स्वीकृति आदेश, नियोक्ता अधिकारी द्वारा जारी सेवानिवृति आदेश, कार्यमुक्ति रिपोर्ट, PPO प्रति )

➡️ बिल को DDO फॉरवर्ड कीजिए।

➡️ बिल पर ई साइन करके ट्रेजरी को फॉरवर्ड कीजिए।

नोट : कार्मिक को सेवानिवृत्त पीएल भुगतान हेतु नए बनाये ” बजट हेड 2071 ” ग्रुप में ट्रांसफर नही करना है।

नवनियुक्त कर्मचारी को वेतन भुगतान की प्रक्रिया

प्रश्न #164 : नवनियुक्त कार्मिक के वेतन भुगतान हेतु क्या प्रक्रिया होगी ? सामान्य जानकारी देवे।

Shailendra Kumar Mishra

श्री शैलेन्द्र कुमार मिश्रा (वरिष्ठ सहायक)
खण्ड मुख्य चिकित्सा अधिकारी बानसूर (अलवर)

उत्तर : नवनियुक्त कर्मचारी के वेतन भुगतान हेतु वर्तमान परिपेक्ष्य में निम्न प्रक्रिया होगी :

1. सर्वप्रथम नवनियुक्त कार्मिक अपने आवेदन के समय दिए गये अपने समस्त दस्तावेजो की प्रमाणित प्रति मय नियुक्ति आदेश, फिटनेस सर्टिफिकेट व पुलिस सत्यापन सहित के डीडीओ के पास जमा करवाएगा।

कार्यग्रहण के बाद डीडीओ द्वारा कर्मचारी की सेवापुस्तिका मय पत्रावली नियमानुसार संधारित की जाएगी।

2. सर्वप्रथम कर्मचारी को एम्प्लोयी आईडी जारी करवाने हेतु निर्धारित प्रपत्र में समस्त डिटेल भरकर डीडीओ को जमा करवाना होगा जिसको डीडीओ द्वारा अपनी एसएसओ आईडी के माध्यम से एसआईपीएफ पोर्टल में ऑनलाइन कर बीमा विभाग को अग्रेषित की जाएगी।

(नोट :- एम्प्लोयी आईडी फॉर्म की जाँच डीडीओ के द्वारा की जाएगी इसमें भरी समस्त जानकारी बिल्कुल सही होनी चाहिए)

3. एम्प्लोयी आईडी जारी होने के उपरांत कार्मिक को प्रान नंबर जारी करवाने होते है जिसकी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है।

अतः कार्मिक को डीडीओ के माध्यम से अपने प्रान नंबर जारी करवाने हेतु आवेदन करना होगा।

(नोट : कर्मचारी की आईडी पेमैनेजर पर फीड करने के लिए एम्प्लोयी आईडी नंबर, प्रान नंबर, आधार नंबर, पैन कार्ड नंबर एवं बैंक खाता नंबर की आवश्यकता होती है अतः इन सब की उपलब्धता एवं सभी डॉक्यूमेंट में नाम, पिता का नाम एवं जन्मतिथि की एकरूपता सुनिश्चित कर ले)

4. डीडीओ द्वारा Paymanager पर कर्मचारी का Master Data फीड किया जायेगा तथा Verify Employee Detail में कर्मचारी के डाटा की जांच कर ESign करके HOD को अग्रेषित किया जायेगा तथा Employee Account Verification में कर्मचारी के बैंक खाते का पुनः सत्यापन किया जायेगा।

5. उक्त प्रक्तिया पूर्ण होने के पश्चात HOD द्वारा Request Approve होने पर कर्मचारी के वेतन बिल नियुक्ति तिथि से बनाये जा सकेंगे।

Note : उक्त प्रश्नोत्तरी सामान्य जानकारी हेतु संक्षिप्त रूप से तैयार की गई है।

शिक्षा विभाग में कर्मचारी की मृत्यु उपरान्त सेवा समाप्ति आदेश की प्रक्रिया

प्रश्न- शिक्षा विभाग में किसी राज्य कर्मचारी की मृत्यु उपरान्त सेवा समाप्ति आदेश जारी करवाने की प्रक्रिया बताइए।

उत्तर:- शिक्षा विभाग में किसी भी राज्य कर्मचारी की मृत्यु उपरान्त परिवारजनों को आगे मिलने वाले सभी परिलाभों की प्रक्रिया की यह प्रारम्भिक सीढ़ी सेवा समाप्ति आदेश को जारी करवाना होता है।

सेवा समाप्ति आदेश की परिभाषा- किसी कार्मिक के निधन पर उसके नियंत्रण अधिकारी के आवेदन पर अथवा मृत्यु पर भेजी गई वांछित दस्तावेजो को संलग्न कर भेजी गई सूचना के आधार पर नियुक्ति अधिकारी द्वारा जारी किया गया आदेश होता है। यह कार्मिक की सेवा समाप्ति तिथि का महत्वपूर्ण जायज दस्तावेज कहा जाए तो अतिश्योक्ति नही होगी।

सेवा समाप्ति आदेश की प्रक्रिया-👇

🚹1.कार्मिक की मृत्यु होते ही परिवारजनों को सचेत व प्रेरित कर संबंधित कार्यालय में आवेदन/प्रार्थना पत्र देकर मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करना।

🚹2..नियंत्रण अधिकारी द्वारा लेटर हेड पर उक्त आशय का विवरण लिख सेवा समाप्ति के लिए लिखना।अपने पत्र में मृत कार्मिक के संबंध में निम्न बातों का समावेश अवश्य करे-
1.नाम
2.पद
3.जन्मतिथि
4.एम्प्लॉयी आई डी
5.पदस्थान
6.मृत्य दिनांक

🚹3.कवरिंग लेटर के साथ संलग्न किये जाने योग्य दस्तावेज-👇

1.मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रमाणित प्रतिलिपि
2.सेवा पुस्तिका के प्रथम पेज की प्रमाणित प्रतिलिपि

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🚹4.विशेष नोट- अलग – अलग कार्यालयों/जिलों में अलग अलग दस्तावेज संलग्न करने का प्रचलन है।
क्रम संख्या 1 व 2 पर अंकित दस्तावेज कवरिंग के साथ सभी जगह अनिवार्य बाकी अन्य का आप आपके जिले व कार्यालय की अपेक्षा के अनुसार कमी व वृद्धि कर सकते है।
यदि सभी उपलब्ध हो तो अधिकतम भी संलग्न किये जा सकते है।

🚹5.उक्त प्रक्रिया अपना कर नियंत्रण अधिकारी/DDO से प्रमाणित कर इसे ईमेल के माध्यम से (कोरोना लॉकडाउन के दौरान) व साधारण दिनों में हार्ड कॉपी भी नियुक्ति अधिकारी के कार्यालय में भिजवा सकते है।

🚹6.जावक रजिस्टर में उक्त सूचना दर्ज करके जावक क्रमांक का उल्लेख जरूर करे तथा भेजे गए ईमेल की दिनांक व समय याद रखे।

🚹7.आप द्वारा भेजी गई सूचना प्राप्त होते ही संबंधित कार्यालय त्वरित कार्यवाही कर इसे जारी कर देंगे। जिसे आप ईमेल / व्हाट्सएप्प/cbeo/वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त कर पाएंगे।

🚹8.पत्र में अपने कार्यालय का पता, मोबाइल नंबर व ईमेल एड्रेस का उल्लेख करना नही भूले।

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