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सकारात्मकता: जीवन को सुखदायी बनाने की शक्ति

The Power to Make Life Pleasant
सदा सकारात्मक चिंतन करे

The Power to Make Life Pleasant

रचनाकार

राहुल परमार
सहायक प्रशा. अधिकारी (शैक्षिक प्रकोष्ठ प्रभारी)
जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक (मु.) पाली
Mob. 9784148880

मनुज को ईश्वर की सबसे श्रेष्ठ कृति

कहते है कि मनुज योनि में जन्म लेना अपने आप में एक श्रेष्ठ सौभाग्य है। मनुज को ईश्वर की सबसे श्रेष्ठ कृति-रचना कहा गया है। यह एक ऐसी जीवित मूर्ति है जिसके पास बुद्धि,ज्ञान और विवेक है। अपने बौद्धिक क्षमता व कुशलता से जीवन के सम्पूर्ण सुख-समृद्धि को प्राप्त कर सकते है। जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नही है जहाँ उसने अपने को विजेता नही बनाया है। जहाँ उसने सफलता के शिखर को नही छुआ है।

सुख के बावजूद मानसिक तनाव: जीवन की लीला

The Power to Make Life Pleasant ; ऐसा होने के बाद भी मनुज की दुनिया में कष्ट-संकटो और दुःखो का कोई पार नही है। मनुज के पास जीवन जीने की सम्पूर्ण सुख-सुविधाओं के बाद भी वह मानसिक रूप से तनावग्रस्त अर्थात अवसादग्रस्त रहता है। व्यक्ति स्वयं ही अपनी जीवन लीला को समाप्त कर जाते है।क्या यह दुखद नही है? जब संत-महात्मा जैसे श्रेष्ठजन जो समाज को जीवन जीने की प्रेरणा देते है और आध्यात्मिक ज्ञान व दर्शन प्रदान करते है वे भी जीवन लीला को समाप्त कर देते है। बड़े सेलिब्रिटी,बड़े नेता या बड़े अधिकारी जिनके पास जीवन की अपार सुख-सुविधाएं है,वे भी आत्महत्या के रास्ते को चुनकर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर जाते है। यह बहुत ही गहन चिंतनीय और मंथन करने योग्य विषय है। जहाँ तक मेरी सोच यह है कि- यह सब नकारात्मक सोच का परिणाम है व्यक्ति जीवन के हर पक्ष में नकारात्मकता ढूंढता है तो मन-मस्तिष्क तनाव के आवेगों से सदा तरंगित रहता है। यही कारण है कि वे अपने आपको ऐसे निर्णय लेने को मजबूर कर देते है कि वे अपने ही हाथों अपने जीवन को नष्ट-विनष्ट कर जाते है।

किसी भी परिस्थिति में भी विचलित न हो

जीवन की नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदलने को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। मनुज का सम्पूर्ण जीवन संघर्षो और दुखों से भरा पड़ा है। जीवन मे कितने ही संघर्ष या विपदाएं आए, किसी भी स्थिति-परिस्थिति भी विचलित नही होना है और न ही मन-मस्तिष्क में नकारात्मकता को हावी होने देना है जिससे जीवन कष्टमय हो जाय। जीवन मे हर कठिन मोड़ पर भी यह सकारात्मक विचार रखे कि यह कुछ पलों की धूप है।यह धूप चली जायेगी और शीतल छाँव मिलेगी। सुख-दुःख,सम्पदा-विपदा, सफलता-असफलता और आशा-निराशा यह जीवन का अभिन्न हिस्सा है। विषम परिस्थितियों में ऐसा नही सोचे कि सब कुछ खत्म हो गया।ऐसी सोच उचित नही है।

जीवन के परमानंद को पाना व्यक्ति स्वयं के हाथ में है

The Power to Make Life Pleasant ; जीवन में कभी किसी से तुलना नही करे, जो अपने पास है उसके लिए भी परम पिता परमेशकर को धन्यवाद दे। जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण ही जीवन को सुखदायी बना सकता है। जीवन के परमानंद को पाना व्यक्ति स्वयं के हाथ में है। सदा सकारात्मक चिंतन करे। हर परिस्थिति में सबल पक्ष को देखे। मैं स्वयं अपने जीवन में बड़े विकट दौर से गुजरा लेकिन अपने आपको दृढ़ निश्चयी और सकारात्मकता से युक्त रखा। मेरे मानसिक संतुलन और सकारात्मक सोच का ही परिणाम है कि मैं सदा अपने आपको खुशमिजाज और तनावरहित पाता हूँ। एक श्रेष्ठ सकारात्मक सोच के कारण ही मैं आप सबसे जुड़ा हुआ हूँ वरना मेरी दुनियां तो कभी की खत्म हो जाती। हर व्यक्ति के जीवन में संकट आता है बस संकटों से विचलित नही हो और दृढ़ मानसिकता से संकटों का सामना करे। The Power to Make Life Pleasant

जीवन धूप व छाँव की तरह

अतः मेरा मानना है कि जब भी जीवन में कोई आपदा-विपदा,दुःख या संकट आए या कोई आप पर अनावश्यक प्रहार करे,अनर्गल बाते करे तो भी अपने मन में यह विचार रखे कि यह परिस्थितियां मेरे लिए कसौटी बनकर आयी है।इस कसौटी से मैं अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति व सकारात्मक सोच से आसानी से पार पा लूंगा। विषम से विषम परिस्थिति में भी सकारात्मकता के प्रकाश पुंज को देखे और उस दिव्य प्रकाश से घनघोर अंधकार में उस रास्ते को ढूंढे और आगे बढ़े। जीवन मे कई बार आप जिससे अपेक्षा करते हो,उनसे ही निराशा हाथ लग जाती है तो निराश-हताश होने की आवश्यकता नही है और न ही अपने आपको तनावग्रस्त करने की जरूरत है। बस,मन मे यह रखे कि – जीवन में दोस्त,रिश्तेदार आते है और चले जाते है कोई भी स्थायी नही होता।

सच्चाई की राह के राहगीर बने

जीवन में कई मोड़ आते है जब कोई साथ दे जाता है तो कोई दगा दे जाता है। उसे यू समझे की यह सब विधाता का खेल है। यह प्रकृति का अटल नियम है। जीवन धूप व छाँव की तरह है। इससे निराश-हताश होने की आवश्यकता नही है। जीवन में यश-अपयश,मान-अपमान की परवाह किए बिना अपने बल,बुद्धि, विवेक और आत्मविश्वास से अपना सर्वोत्तम कर्तव्यकर्म करते रहे। अपनी राह सदा साफ-सुथरी रखे। अपने आपको गलत व सामाजिक रूप से त्याज्य कर्मो से बचाये औऱ जीवन जिए। ऐसा कोई कृत्य न करे जिससे अपनी आत्मा धिक्कारती हो। सदा ईमानदारी व सच्चाई की राह के राहगीर बन आगे बढ़े। अपने मन-मस्तिष्क में किसी के प्रति ईर्ष्या-राग-द्वेष का भाव न रखकर आनंदमय जीवन जीने का सकारात्मक प्रयास करे।

सुखमय जीवन के लिए सकारात्मकता को आत्मसात कर जीवन जिए और निम्न भाव को सदा अपने दिमाग मे रखे।

निर्माण संग निर्वाण छिपा है, निराशा संग आशा,
गुलाब संग कांटे मिले, यही जीवन की परिभाषा।

“रोना हँसना जुड़ा रहता, एक-दूसरे बिना है अपूर्ण, हर संज्ञा जड़ चेतन है कोई नही परिपूर्ण।” खुशमिजाज व खुशहाल जीवन के लिए अपने आपको सकारात्मक विचारों का धनी बनाये और जीवन को सुकूनदायी बनाये।